बीज कानून पाठशाला – 30 “बीज की एम०आर०पी०”

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हलधर किसान इंदौर। बीज कृषि का अनमोल रत्न है। इसकी गुणवत्ता के लिये बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968, बीज नियन्त्रण आदेश-1983 जिसकी रचना आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 से हुई है लागू है। बीज की गुणवत्ता एवं बीज विक्रय का नियमन इन कानूनों के द्वारा किया जाता है। इन कानूनों की पालना करवाने के लिये बीज निरीक्षक और बीज लाइसेंसिंग प्राधिकारी को असीम शक्तियाँ दी हुई हैं। कृषक को बीज उचित दर पर पर्याप्त मात्रा में सुगमता से उसकी पहुंच तक पहुंच सके इसके लिये वाट एवं नापतौल अधिनियम-1976 एवं नियम-1977 लागू है जो अब विधिक माप विज्ञान (पैक की गई गई वस्तुएं) नियम-2011 कहलाते हैं और बीज के पात्र पर एम०आर०पी० या यू०एस०पी० या विधिक माप विज्ञान अधिनियम-2009 या नियम-2011 का उलंघन होने पर विधिक माप विज्ञान निरीक्षक (Legal Metrology Inspector) को आवश्यक कार्यवाही करने के लिए अपार शक्तियाँ दी हैं और यदाकदा बीज पैकेटों पर भी विधिक माप विज्ञान के प्रावधानों का उलंघन होने पर आवश्यक दण्डात्मक कार्यवाही करता है।

2. एम०आर०पी० :-

बीज के पात्रों पर भी एम०आर०पी० लिखी जाए। दिनांक 01.04.2022 से MRP के साथ यूनिट सेल प्राईज USP भी लिखना आवश्यक कर दिया है। एक किलो से नीचे मूल्य प्रति ग्राम और किलो से उपर की पैकिंग पर USP प्रति किलो अंकित की जाए। बिना एम०आर०पी० लिखे विधिक माप विज्ञान (पैक वस्तु) नियम 2011 का उलंघन है और उलंघन होने पर दण्ड 20,000/- रुपये है। इस अधिनियम में यह प्रावधान है कि दण्ड को कम्पाउन्ड (समझोता) कर दिया जाता है और यदि आरोपी एक मुश्त भुगतान कर देता है तो वह आरोप से मुक्त हो जाता है और उस पर कोई अभियोजन / मुकद्दमा/वाद दायर नहीं होता है। वह 8-10 साल न्यायालयों की आवाजाही से बच जाता है। यदि एक साथ जुर्माने का भुगतान नहीं करता है तो व्यापारी पर मुकद्दमा दायर किया जाता है।

एम०आर०पी० क्या हो ?

किसी बीज का एम०आर०पी० क्या हो यह बीज उत्पादक कम्पनी की उत्पादन लागत डीलर कमीशन मुनाफा (Profit) की गणना कर निश्चित की जाती है। बीज उत्पादन तकनीकि साधारण या संकर। संकर उत्पादन प्रणाली में GMS या Emasculation है। बीज की MRP या USP कितनी हो यह बीज उत्पादक का एक मात्र अधिकार है। MRP के लिये बीज उत्पादक पर दबाव नहीं डाला जा सकता है। जब तक की फसल का अधिकतम मूल्य किसी अधिनियम / कानून द्वारा केन्द्र या राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न किया गया हो। उदाहरण के लिये केन्द्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के अनुसार बी.टी. कपास की विक्रय एम०आर०पी० प्रति वर्ष तय होती है। इसी प्रकार Maharastra Cotton Seed (Regulation of Supply, Distribution Sale and Fixation of Sale Price) Act 2009) जिसके द्वारा महाराष्ट्र सरकार कपास की एम०आर०पी० निश्चित करती है।

एम०आर०पी० और अभियोजन :-

M.R.P. के उलंघन के लिये विधिक माप विज्ञान निरीक्षक वाद दायर कर सकता है यदि दोषी व्यक्ति Compounding के दौरान जुर्माना नहीं जमा करता। कृषि अधिकारी बीज निरीक्षक तथा लाइसैंस अनुज्ञापन प्राधिकारी (Licensing Authority) को बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968 तथा बीज नियन्त्रण आदेश-1983 तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 के उलंघन करने पर वाद दायर करने का अधिकार है न कि विधिक माप विज्ञान (पैक वस्तु) नियम-2011 के उलंघन करने पर। Maharashtra Cotton Seed (Regulation of Supply Distribution, Sale & Fixation of Sale Price / Act 2009) या ऐसे ही अन्य राज्यों द्वारा बनाए अधिनियमों के तहत कपास (बी.टी. गैर बी.टी.) की विक्रय दर घोषित की गई हो जैसे Bt. कपास के लिये भारत सरकार हर वर्ष Bt. जीन I और Bt. जीन II में करती है उसके विरूद्ध तो M.R.P. में कार्यवाही कर सकते हैं तथा अन्य फसलों में जिनकी दर भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा तय नहीं की गई के बारे बीज निरीक्षक द्वारा वाद दायर करना त्रुटि पूर्ण है।

हर रिश्ते में कुछ ना कुछ स्वार्थ तो होता है किसान अच्छे उत्पादन हेतु प्रमाणित बीज बोता है।

संकलन सहयोगी-

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श्रीकृष्ण दुबे, जागरूक कृषि आदान विक्रेता संघ जिलाध्यक्ष इंदौर।

संजय रघुवंशी-  राष्ट्रीय प्रवक्ता, कृषि आदान विक्रेता संघ।

लेखक-

सेवानिवृत्त आर.बी. सिंह 1 300x169 1

आर.बी. सिंह, बीज कानून रत्न, एरिया मैनेजर (सेवानिवृत) नेशनल सीड्स कारपोरेशन लि० (भारत सरकार का संस्थान) सम्प्रति “कला निकेतन”, ई-70, विधिका-11, जवाहर नगर, हिसार-125001 (हरियाणा), दूरभाष सम्पर्क-79883-04770, 94667-46625 (WhatsApp)

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