ईरान-इज़राइल संघर्ष का भारत के कृषि निर्यात पर पड़ेगा क्या असर, बासमती निर्यातकों को सता रही नुकसान की चिंता

Will the Iran Israel conflict affect Indias agricultural exports Basmati exporters are worried about losses

हलधर किसान नई दिल्ली। ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते सैन्य संघर्ष का असर वैश्विक व्यापार पर पड़ रहा है और भारत का कृषि निर्यात भी इससे अछूता नहीं है। ईरान, भारत के बासमती चावल और अन्य कृषि उत्पादों का बड़ा खरीदार है। वहां से ऑर्डर घटने, शिपमेंट अटकने और भुगतान में देरी के कारण निर्यात प्रभावित हो रहा है, जिसका असर किसानों पर भी पड़ सकता है। 

देश का 60-70 फीसदी बासमती निर्यात मध्य एशिया में होता है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने ईरान को लगभग ₹6,400 करोड़ मूल्य के बासमती चावल का निर्यात किया था। लेकिन पश्चिम एशिया में हालात बिगड़ने के बाद ईरान से नए ऑर्डर लगभग ठप हो गए हैं, जिसके चलते बासमती की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। बासमती का निर्यात मूल्य घटकर लगभग $900-950 प्रति टन रह गया है, जबकि पिछले वर्ष यह $1,200 प्रति टन से ऊपर पहुंच गया था।

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने रूरल वॉयस को बताया कि ईरान और इज़राइल दोनों देशों से भारत का काफी व्यापार होता है। मध्य एशिया में पैदा हालात से बासमती निर्यात पर संकट मंडरा रहा है। निर्यातकों के भुगतान अटक रहे हैं और बासमती की कीमतों में गिरावट की आशंका है। मध्य एशिया में तनाव, देश के निर्यात क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

ऐसे में पाकिस्तान अपनी भौगोलिक स्थिति का फायदा उठाकर ईरान से बार्टर ट्रेड के ज़रिए बासमती का निर्यात बढ़ा सकता है। गौरतलब है कि 2019 में ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत को ईरान से कच्चे तेल का आयात रोकना पड़ा था। तब भारत से बासमती व अन्य वस्तुओं का निर्यात भी प्रभावित हुआ था। मौजूदा हालात ईरान के साथ व्यापार को एक नया झटका हैं।

ईरान और इज़राइली के बीच बढ़ते तनाव के कारण अप्रैल में ही बासमती के दाम ₹75–80 प्रति किलोग्राम तक गिर गए थे। हालांकि ईरान व मध्य एशिया के अन्य देशों द्वारा खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कम कीमतों पर बासमती की खरीद बढ़ाने से कीमतों में कुछ उछाल आया था। लेकिन अब हालात बिगड़ने के साथ बासमती की कीमतों में गिरावट की आशंका बढ़ गई है।

व्यापार मार्ग बाधित 

मध्य एशिया में युद्ध जैसे हालात के चलते लाल सागर और होर्मुज़ जलडमरूमध्य जैसे अहम समुद्री मार्गों में खतरा बढ़ गया है, जिससे शिपमेंट में देरी और बीमा प्रीमियम में 15–20% तक की वृद्धि हुई है। कई शिपमेंट के अटकने का खतरा भी मंडरा रहा है। बीमा कंपनियां अधिक जोखिम के कारण बीमा कवर देने से कतरा रही हैं।

वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भारतीय निर्यात के लिहाज से महत्वपूर्ण ईरान के बंदर अब्बास से व्यापार में काफी अड़चनें आ रही हैं। इजराइल के हमलों में इस बंदरगाह को काफी नुकसान पहुंचा है। 

पंजाब के निर्यातक और किसान चिंतित
देश के बासमती निर्यात में लगभग 40% हिस्सेदारी रखने वाले पंजाब के लिए मध्य एशिया में बने हालात विशेष रूप से चिंताजनक हैं। खरीफ बुवाई सीज़न की शुरुआत में आया यह संकट बासमती धान की बुवाई पर भी असर डाल सकता है।

सोयामील, चाय और सूखे मेवे पर भी असर
ईरान भारत से न केवल बासमती चावल बल्कि सोयामील, चाय, दालें और मसाले भी आयात करता है। 2024-25 में भारत ने ईरान को कुल मिलाकर ₹11,200 करोड़ के कृषि उत्पाद निर्यात किए थे। इसमें बासमती के अलावा लगभग ₹1,500 करोड़ मूल्य का सोयामील और ₹700 करोड़ मूल्य की चाय भी शामिल थी।भारत में ईरान से बड़ी मात्रा में पिस्ता और मामरा बादाम आयात होता है। लेकिन युद्ध जैसे हालात के चलते ईरान से ड्राई फ्रूट्स की आपूर्ति प्रभावित हुई है, जिससे बाज़ार में पिस्ता और मामरा बादाम के दामों में ₹50–60 प्रति किलो तक की तेजी आई है।

कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी
ईरान एक प्रमुख तेल उत्पादक देश है। होर्मुज़ जलसंधि, जिसके माध्यम से भारत का लगभग दो-तिहाई कच्चा तेल और आधा एलएनजी आयात होता है, इस संघर्ष के कारण खतरे में है। ब्रेंट क्रूड की कीमतें हाल ही में $78 प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं, जिससे भारत में महंगाई बढ़ने की आशंका है। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी समूची भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर डालेगी।

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