हलधर किसान। अफ्रीकन चीतों के भारत आने का इंतजार जा रहा है, 17 सितंबर पीएम मोदी के जन्मदिन पर दक्षिण अफ्रीका चीते आने की खबरे सामने आ रही है।
कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकन चीतों के स्वागत की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कूनो पहुंचने को लेकर भी तैयारियां तेज हो गई हैं. कूनो नेशनल पार्क में पांच हेलीपैड बनाए गए हैं. बताया जा रहा है कि इसमें से तीन हेलीपैड वीवीआइपी के लिए हैं. वहीं चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाए जाने को लेकर विशेषज्ञों की टीम 2 दिन पहले पार्क में निरीक्षण कर चुकी है. पार्क से विशेषज्ञों के निर्देश के बाद तीन तेंदुआ को भी पकड़ कर बाहर निकाल दिया गया है।
5 दिन रखा जाएगा बेहोश
बताया जा रहा है कि चीतों को नामीबिया से मध्य प्रदेश तक एअरलिफ्ट करके लाया जाएगा.भारत लाए जा रहे चीतों की यात्रा इससे कहीं मुश्किलों भरी होंगी।इन्हें भारत पहुंचाने की यात्रा के लिए तीन से पांच दिन तक बेहोश रखा जाएगा, इस वजह से प्रक्रिया को चीतों के लिए बेहद जटिल और संवेदनशील मानते हुए पूरी सावधानी रखी जा रही है। सितंबर में ही 8 चीते नामीबिया से भी भारत लाए जा रहे हैं। इसके बाद अक्टूबर में भी 12 चीते भेजे जाएंगे। दक्षिण अफ्रीका के प्रोजेक्ट से जुड़े वन्यजीव चिकित्सक एंडी फ्रेजर ने बताया कि किसी वन्य जीव के लिए भी स्थान परिवर्तन बेहद तनाव भरा समय होता है।
एअरलिफ्ट किए जाएंगे चीते :
इन्हें नामीबिया से पहले ग्वालियर और बाद में सड़क मार्ग से कूनो नेशनल पार्क तक लेकर जाया जाएगा. ग्वालियर से कूनो की दूरी करीब 200 किलोमीटर है. इस तरह करीब साढे 8000 किलोमीटर की दूरी तय कर चीते 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क पहुंचेंगे, जहां उन्हें अपना नया घर मिलेगा. ये भारत के लिए भी गर्व का मौका होगा. देश की धरती पर चीतों की नई बसाहट शुरु होगी और प्रजनन के बाद इनकी संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो
बता दें कि 1952 से भारत में चीते विलुप्त हो चुके हैं. मध्यप्रदेश में चीतों को इंटरकॉन्टिनेंटल ट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट के तहत लाया जा रहा है. ये चीते नामीबिया से लाए जा रहे हैं, जिनकी संख्या 6 है. इसी तरह दक्षिण अफ्रीका और भारत सरकार के बीच भी समझौता अपने अंतिम चरण में है. भारतीय वन संस्थान के डीन बाईबी झाला इस पूरे कार्यक्रम को देख रहे हैं.
हर साल 8 से 12 चीते भेजेगा अफ्रीका
आबादी बढ़ाने का लक्ष्य ध्यान में रख दक्षिण अफ्रीका हर साल 8 से 12 चीते भारत भेजता रहेगा।
इससे मौजूदा आबादी में नये जीन्स वाले चीते पहुंचेंगे। उल्लेखनीय है कि दक्षिण अफ्रीका में सालाना 8 फीसदी की दर से चीते बढ़ रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका के प्रोजेक्ट से जुड़े वन्यजीव चिकित्सक एंडी फ्रेजर ने बताया कि किसी वन्य जीव के लिए भी स्थान परिवर्तन बेहद तनाव भरा समय होता है। उन्हें ट्रैक्यूलाइज करके लाया जाता है और ‘बोमा’ (बाड़-बंदी वाला क्षेत्र) में रखा जाता है। यहां रहना चीतों को मुश्किल लगता है क्योंकि वे विचरण नहीं कर पाते। लेकिन इसमें अब बदलाव का समाचार है।दक्षिण अफ्रीका ने अक्तूबर में 12 चीते भारत भेजने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इन्हें भारत पहुंचाने की यात्रा के लिए तीन से पांच दिन तक बेहोश रखा जाएगा, इस वजह से प्रक्रिया को चीतों के लिए बेहद जटिल और संवेदनशील मानते हुए पूरी सावधानी रखी जा रही है। इससे पहले सितंबर में ही 8 चीते नामीबिया से भी भारत लाए जा रहे हैं।
इसी सप्ताह चार चीते मोजांबिक भेज चुका है, लेकिन भारत लाए जा रहे चीतों की यात्रा इससे कहीं मुश्किलों भरी होंगी। दक्षिण अफ्रीका के प्रोजेक्ट से जुड़े वन्यजीव चिकित्सक एंडी फ्रेजर ने बताया कि किसी वन्य जीव के लिए भी स्थान परिवर्तन बेहद तनाव भरा समय होता है।