16 से काली पट्टी बांधकर करेंगे काम, 18 से करेंगे हड़ताल
हलधर किसान, खरगोन। अनाज मंडियों में इन दिनों चल रही व्यापारियों की हड़ताल के बाद अब मंडी समितियों के अधिकारी- कर्मचारी भी आंदोलन की राह अख्तियार करने जा रहे है, जिससे मंडियों में 18 सितंबर से ताले जडऩे कि स्थिति निर्मित होने वाली है। खासकर किसानों को ज्यादा परेशान होना पड़ेगा, क्योंकि वर्तमान में कपास की आवक भी शुरु हो गई है। कर्मचारी- अधिकारियों की हड़ताल से अब कपास मंडी भी बंद होने की नौबत आ जाएगी। फिलहाल कपास मंडी में खरीदी हो रही है, जबकि अनाज मंडी बिल्कुल बंद है।
शासन से बार- बार मांगों को लेकर संपर्क करने के बाद भी मांग पूरी नही होने पर गुरुवार को अपना रुख साफ मंडी कर्मचारियों ने सचिव लक्ष्मण सिंह ठाकुर के नेतृत्व में मंडी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल में शामिल होने की जानकारी कलेक्टर एवं एसपी को दी है। इस हड़ताल से जहां शासन को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होगा तो वही किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि ऑनलाईन बिक्री का विकल्प है लेकिन वह किसानों को रास नही आता है।
मंडी सचिव ठाकुर ने बताया कि 16 सितंबर से लंबित मांगों के समर्थन में काली पट्टी बांधकर काम करेंगे, इसके बाद 18 सितंबर से जिले की सभी 9 मंडियों में कर्मचारी- अधिकारी हड़ताल पर रहेंगे। हमारी प्रमुख मांग में मंडी बोर्ड और मंडी समितियों को एक करने की है। इसको लेकर लंबे समय शासन से संपर्क कर रहे है, कई बार हड़ताल कि लेकिन आश्वासन देकर मामला टाल दिया जाता है। कर्मचारियों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य शासन द्वारा रिफार्म एवं अन्य प्रकार से मंडी अधिनियम का संशोधन कर मंडी समितियों को प्रभावित कर बंद करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे कर्मचारी- अधिकारियों का भविष्य संकट में है। इसी को देखते हुए कर्मचारी- अधिकारी एकजुट होकर अपने हितों की लड़ाई लडऩे के लिए हड़ताल करने जा रहे है।
10 दिन से मंडी में नही हो रही खरीदी
उल्लेखनीय है कि 5 सितंबर से मंडी व्यापारियों की मंडी टैक्स कम करने सहित अन्य मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल जारी है। न ही किसान मंडी में अपनी उपज लेकर पहुंच रहे है और न ही व्यापारी। अब तक सरकार ने व्यापारियों की मांग नहीं मानी है। इससे पिछले 10 दिन में जिले की 9 कृषि उपज मंडी व उपमंडियों में होने वाली आवक से मंडी टैक्स, हम्माली से लेकर बाजार तक का करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।