फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एआई आधारित राष्ट्रीय कीट निगरानी तंत्र लॉन्च किया है।
कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और तकनीकी प्रगति के साथ, यह लगातार नए आयाम छू रही है। केंद्र सरकार द्वारा 15 अगस्त, 2024 को एआई-आधारित राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली (एनपीएसएस) का शुभारंभ तकनीक से संचालित होने वाली खेती की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कीट प्रबंधन को नया रूप देने और पूरे भारत में किसानों को सशक्त बनाने के लिए यह इस अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली स्थित पूसा परिसर में स्वतंत्रता दिवस के दिन लॉन्च किया है। इससे कीटों की रोकथाम के जरिए फसलों के उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल सकेगी|
95 फीसदी तक सटीक सलाह
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अपर सचिव फैज अहमद किदवई ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग से लैस राष्ट्रीय कीट निगरानी सिस्टम (NPSS) फसल की फोटो देखकर बता देगा कि उसमें कौन-सा कीट लगा है। यही नहीं, कीट की रोकथाम के लिए कौन-सी दवा फसल में डालनी है, यह भी पता चल सकेगा। उन्होंने कहा, राष्ट्रीय कीट निगरानी सिस्टम (NPSS) में 61 फसलों को शामिल किया गया है। भविष्य में इसमें अन्य फसलों को भी जोड़ा जाएगा। इस सिस्टम के जरिए किसानों को 95 फीसदी तक सटीक सलाह मिलेगी। इस कीट मैनेजमेंट सिस्टम की मोबाइल एप्लीकेशन भी उपलब्ध कराई गई है।
कीट निगरानी सिस्टम के फायदे
यह कीट मैनेजमेंट सिस्टम डाटा और एआई आधारित अत्याधुनिक एनालिटिक्स के आधार पर काम करता है, जिससे कीटों की सटीक पहचान और निगरानी की जा सकेगी। यह कीटों के हमलों और फसल रोगों के लिए तुरंत समाधान प्रदान करके किसानों की मदद करता है। इससे फसलों के नुकसान को कम किया जा सकता है और उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इस तकनीक के उपयोग से खेती-बाड़ी के कामकाज को आधुनिक एवं सटीक बनाया जा सकता है, जिसे टिकाऊ कृषि पद्धतियों की ओर अग्रसर एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

एनपीएसएस का क्रियान्वयन कैसे किया जाएगा?
एनपीएसएस का लक्ष्य भारत के लगभग 14 करोड़ किसानों तक पहुंचना है, जिससे यह सबसे महत्वाकांक्षी कृषि परियोजनाओं में से एक बन जाएगी। एनपीएसएस का प्राथमिक लक्ष्य कीटनाशक बेचने वाले खुदरा विक्रेताओं पर किसानों की निर्भरता को कम करना और कीट नियंत्रण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है। किसान प्रभावित फसलों या कीटों की छवियों को कैप्चर करने के लिए एनपीएसएस प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकते हैं और उन्हें सीधे कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को भेज सकते हैं। किसानों और विशेषज्ञों के बीच यह तत्काल संपर्क सुनिश्चित करता है, जिससे कीटों से संबंधित मुद्दों को तुरंत संबोधित किया जा सकता है और फसल की क्षति को कम किया जा सकता है।
कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में दक्षता, उत्पादकता और स्थिरता में सुधार करके कृषि में क्रांति लाने की क्षमता है। पारंपरिक खेती के तरीके प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन उनमें अक्सर समय अधिक लगता है और मानवीय त्रुटियों की संभावना बनी रहती है । जाबकि, AI खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को स्वचालित करके वास्तविक समय में निगरानी को अधिक कुशल बनाने में सक्षम है। इसके उपयोग से डाटा-संचालित अंतर्दृष्टि और सटीक समाधान प्राप्त हो सकते हैं।
(1) कीट का पता लगाना और प्रबंधन – AI-संचालित सिस्टम कीटों की पहचान जल्दी कर सकते हैं, जिससे समय पर उनकी रोकथाम की जा सकती है और फसल के नुकसान को कम किया जा सकता है।
(2) मृदा स्वास्थ्य निगरानी – AI उपकरण मिट्टी की स्थिति का आकलन करने, सही मात्रा में आवश्यक पोषक तत्वों के उपयोग को सुनिश्चित करने और आवश्यक उपचारों की सिफारिश करने के लिए सेंसर या तस्वीरों से डाटा का विश्लेषण कर सकते हैं।
(3) फसल के स्वास्थ्य की निगरानी – AI की मदद से किसान बड़े क्षेत्रों में फसल के स्वास्थ्य की निगरानी कर सकते हैं, बीमारियों या पोषक तत्वों की कमी का समय रहते पता लगा सकते हैं और किसानों को आर्थिक नुकसान से बचा सकते हैं।
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