हलधर किसान। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कृषि विभाग के एक अहम प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने जनपद कौशाम्बी में ‘इंडो- इजरायल एक्सीलेंस फ़ॉर फ्रूट की स्थापना करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. गौरतलब है कि उद्यान विभाग द्वारा यूपी में फलपट्टी के विकास के लिए पूरे यूपी में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाए जा रहे हैं. इस कड़ी में बुंदेलखंड को वरीयता देते हुए बांदा में पिंड खजूर और अंजीर का, झांसी के बरुआसागर में नींबू वर्गीय फलों एवं सब्जियों का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जा रहा है. इसके अलावा हाल ही में यूपी सरकार ने सूबे के सभी 75 जिलों में फल एवं सब्जियों के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का फैसला किया है. यूपी में पहला सेंटर ऑफ एक्सीलेंस सब्जियों के लिए कन्नौज जिले में बनाया गया था. इस सेंटर से किसानों सब्जियों की उन्नत किस्मों के बीज, पौध एवं सब्जियों की आपूर्ति की जाती है.
योगी कैबिनेट ने दी मंजूरी
शाही ने बताया कि कैबिनेट द्वारा मंजूर किया गया सेंटर कौशांबी जिले में तहसील सिराथू के ग्राम कोखराज में बनाया जाएगा. इसे कृषि विभाग की 09 हेक्टेयर जमीन पर विकसित किया जाना है. कृषि विभाग ने यहां फलों का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाए जाने के लिए यह जमीन भूमि उद्यान विभाग को निःशुल्क हस्तांतरित कराये जाने का प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष पेश किया था. जिसे स्वीकार कर लिया गया. उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने ‘एकीकृत बागवानी विकास मिशन’ योजना के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा जनपद कौशाम्बी के लिए स्वीकृत ‘इण्डो-इजराइल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर फ्रूट’ की स्थापना हेतु कौशांबी के ग्राम कोखराज में कृषि विभाग की 11.573 हेक्टेयर जमीन में से 09 हेक्टेयर जमीन उद्यान विभाग को निःशुल्क हस्तांतरित कराने को मंजूरी दी है. इतना ही नहीं इस सेंटर की स्थापना के लिए सरकार ने 6 करोड़ 51 लाख 64 हजार रुपये भी स्वीकृत किये हैं. इसमें केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 3.90 करोड़ रुपये तथा राज्य सरकार की ओर से दिए जाने वाले 2.60 करोड़ रुपये शामिल हैं.
कुशीनगर में कृषि विश्वविद्यालय के लिए मिली जमीन
शाही ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में एक अन्य महत्वपूर्ण फैसला कुशीनगर में स्थापित हो रहे महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय को जमीन उपलब्ध कराए जाने से जुड़ा है. उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के पक्ष में निःशुल्क भूमि का हस्तांतरण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही कुशीनगर के तमकुहीराज स्थित कृषि बीज प्रक्षेत्र की कुल 58.97 एकड़ एवं मैत्रेए परियोजना के अन्तर्गत संस्कृति विभाग की कुल 195.82 एकड़ भूमि में से 50 एकड़ जमीन को छोड़ कर शेष 145.82 एकड़ जमीन दी गई है. इसके साथ ही अब इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कुल 204.79 एकड़ मिलने का रास्ता साफ हो गया है.
उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के स्थापित होने से आसपास के 10 जनपदों के युवाओं को कृषि शिक्षा का लाभ मिलेगा. ये इलाके कृषि प्रधान हैं, किंतु शिक्षा एवं अन्य बुनियादी सहूलियतों के मामले में पिछड़े हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी ICAR के तहत कुशीनगर में संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र तथा मसाला शोध फार्म की कुल 185.75 एकड़ भूमि के सम्बन्ध में आईसीएआर से सहमति प्राप्त होने के उपरान्त विश्वविद्यालय के पक्ष में भूमि हस्तान्तरण की कार्यवाई की जाएगी. भविष्य में कृषि विश्वविद्यालय की आवश्यकता के दृष्टिगत अन्य विभागों से भूमि प्राप्त करने की कार्रवाई भी यथा समय की जाएगी. इस विश्वविद्यालय की स्थापना पर चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में 50 करोड़ रुपये का बजट पहले ही प्राविधान किया गया है. इस परियोजना में प्रशासनिक भवन, छात्रावास, शोध हेतु प्रयोगशाला तथा अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए न्यूनतम 750 करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित है.