हलधर किसान नई दिल्ली:ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने बासमती चावल के लिए निर्यात मूल्य घटाने की मांग को लेकर एसोसिएशन ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा है. एसोसिएशन ने कहा कि अक्टूबर 2023 से बासमती चावल के निर्यात के लिए निर्धारित न्यूनतम निर्यात मूल्य 950 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से घटाकर 700 डॉलर प्रति मीट्रिक टन करना चाहिए. उनका दावा है कि न्यूनतम निर्यात मूल्य ज्यादा होने की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती चावल महंगे रेट पर उपलब्ध हैं, जबकि पाकिस्तानी चावल निर्यातक इसका फायदा उठाकर 800 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के सस्ते रेट पर बासमती चावल बेच रहे हैं.
एक्सपोर्ट पर सीमित पाबंदियों की वजह से मंडियों में बासमती चावल उगाने वाले किसानों को पिछले साल के मुकाबले कम कीमत मिल रही है. दादरी की नवीन अनाज मंडी में बासमती चावल के व्यापार पर इसका असर दिख रहा है. ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस संबंध में मंगलवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी से भी मुलाकात की। एसोसिएशन ने उन्हें इस संबंध में ज्ञापन सौंपकर एमईपी घटाने का आग्रह किया है।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश गोयल ने बताया कि मौजूदा चावल निर्यात नीति में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अधिक एमईपी के चलते चावल निर्यातक कम कीमत वाली बासमती की कुछ किस्मों को निर्यात नहीं कर पा रहे हैं। इससे भारतीय चावल उद्योग तो प्रभावित हुआ ही है, साथ ही देश में बासमती की कीमतों में भी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा लागू 950 डॉलर प्रति टन एमईपी के चलते भारतीय बासमती का निर्यात प्रभावित हो रहा है। वहीं, पाकिस्तान में एमईपी केवल 700 डॉलर प्रति टन है, जिससे वहां के बासमती की मांग बढ़ गई है।
मंडी में पहुंची पहली खेप, लेकिन कम मिल रहे दाम
दादरी की नवीन अनाज मंडी में खरीफ सीजन की 1509 वैरायटी के बासमती चावल की पहली खेप पहुंचने लगी है. मंडी में सैकड़ों बोरियों में बासमती चावल को पैक किया जा रहा है. हालांकि दादरी इलाके के बासमती चावल उगाने वाले किसान मायूस हैं, क्योंकि उन्हें पिछले साल की तरह रेट नहीं मिल रहा है. उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे इस पत्र में ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने मांग की है कि पिछले साल अक्टूबर में बासमती चावल के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य 950 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन निर्धारित किया गया था, उसकी वजह से बासमती चावल के निर्यातकों को नुकसान हो रहा है. उनकी दलील है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाकिस्तानी बासमती चावल की कीमत करीब 50-100 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन कम है, जिससे पाकिस्तानी बासमती चावल निर्यातकों की वैश्विक बाजार पर पकड़ मज़बूत हो रही है.

आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव अजय भलोटिया ने कहा, “हमने पिछले 2-3 हफ्तों में अधिकारियों से बात की है. हमने कहा है कि बासमती चावल पर जो न्यूनतम निर्यात मूल्य है, उसे 950 डॉलर प्रति मीट्रिक टन घटाकर 700 डॉलर प्रति मीट्रिक टन किया जाए”
शिपिंग और इंश्योरेंस खर्च बढ़ने का किया दावा
बासमती चावल निर्यातकों की दलील है कि मध्य-पूर्व में जियोपॉलिटिकल तनाव की वजह से शिपिंग और इंश्योरेंस का खर्च बढ़ गया है और इस दौरान डॉलर के मुकाबले रूपया कमजोर होने से ग्लोबल मार्केट में भारतीय बासमती चावल कम प्रतियोगी रह गया है. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने तर्क दिया, “पिछले नौ महीनों में बासमती चावल उगाने वाले महत्वपूर्ण राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बासमती चावल की कीमतें घटी हैं. इस सीजन में चावल की बुआई अच्छी हुई है और खरीफ की फसल अच्छी होने की उम्मीद है. ऐसे में अगर न्यूनतम निर्यात मूल्य घटाया जाता है तो किसानों को भी फायदा होगा.” इस मुद्दे पर आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ प्रतिनिधि खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी से मिलने वाले हैं. यह देखना अहम होगा कि किसानों, व्यापारियों और बासमती चावल निर्यातकों के इस मांग से भारत सरकार कैसे निपटती है.