हलधर किसान (वन्य)। डायनासोर के पृथ्वी से विलुप्त होने के रहस्यों से पर्दा उठने लगा है। इसको लेकर कई तरह के सिद्धांत हैं. एक सिद्धांत जो सबसे ज्यादा माना जाता है कि 65 मिलियन साल पहले धरती पर एक एस्टेरॉयड टकराया था जिस वजह से डायनासोर प्रजाति का विनाश हो गया.
लेकिन अब एक नया शोध आया जिसमें डायनासोर के विलुप्त होने की वजहों पर नए सिरे से प्रकाश डाला गया है.
फॉक्स न्यूज ने एक नए अध्ययन के हवाले से बताया कि डायनासोर एस्टेरॉयड के टकराने से नहीं बल्कि एस्टेरॉयड के धरती पर टकराने के बाद इससे उठने वाली धूल के विशाल बादल के प्रभाव की वजह से विलुप्त हुए. शोध के अनुसार एस्टेरॉयड की धरती से टकराते ही धूल के बादल आसमान में छा गए. धूल से भरे इन बादलों ने 15 सालों तक पृथ्वी के वातावरण के ढक कर रखा.
वैज्ञानिकों का मानना है कि वातावरण के ढक जाने से सूर्य की किरणें धरती तक पहुंच नहीं पा रही थी, जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रकिया में बाधा आई और इसके बाद पेड़-पौधे मरने लगे, खाना और पोषण की कमी से पृथ्वी पर डायनासोर समेत तीन-चौथाई प्रजातियां
विलुप्त हो गईं. शोधकर्ताओं ने बताया कि जंगलों में आग लगने की वजह से पूरे धरती के वातावरण में सल्फर एरोसोल फैल गया.
वैज्ञानिकों ने नॉर्थ डकोटा में टैनिस पेलियोन्टोलॉजी साइट की तलछट परतों का अध्ययन किया. इस जगह पर ही एस्टेरॉयड के टकराने के प्रमाण मिले हैं.
वैज्ञानिकों का मानना है कि एस्टेरॉयड के टकराने के बाद खाद्य श्रृंखला में गंभीर चुनौतियां पैदा हो गई थी और लंबे समय तक पृथ्वी का वातावरण ढके होने की वजह से धरती का तापमान भी काफी नीचे गिर गया था. वैज्ञानिक मानते हैं कि तब धरती का तापमान 24 डिग्री तक नीचे गिर गया था.
