भाकिसं ने भरी हुंकार, सड़कों पर उतरे हजारों किसानों ने की फसलों के दाम बढ़ाने की मांग
हलधर किसान, खरगोन। कपास, सोयाबीन, मक्का, गेहूं, मिर्च आदि फसलों के खरीदी दाम बढ़ाने सहित अन्य समस्याओं, मांगों को लेकर सोमवार को किसान सड़क पर उतरे। भारतीय किसान संघ के बैनर तले आयोजित रैली और सभा में करीब 400 गांव के 5 हजार किसान शामिल हुए। दोपहर एक बजे रैली की शुरुआत हुई।
बैलगाड़ी और ट्रेक्टर.ट्राली के साथ ही हजारों की संख्या में पैदल चलते हुए नारेबाजी कर बिस्टान रोड स्थित अनाज मंडी पहुंचे। रैली में ग्राम गवल के किसान बिहारीलाल गुर्जर कपास का भाव 10 हजार और मलगांव के धुलीचंद भामोरिया ने सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपए किए जाने की तख्तियां टांग रखी थी, जो बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रही थी। वहीं बैलगाड़ी पर एक किसान कांधे पर हल लिए सवार था।
ट्रेक्टर पर भगवान बलराम की प्रतिमा भी स्थापित कि गई थी। किसान करीब 3 किमी की विशाल रैली के रुप में बिस्टान रोड़ स्थित कपास मंडी पहुंचे। यहां रैली सभा के रुप में तब्दील हो गई।

मंडी परिसर में आयोजित सभा में प्रांतीय उपाध्यक्ष रेवाराम भाईडीया, प्रांतीय युवा वाहिनी संयोजक श्याम सिंह पवार, जिला अध्यक्ष सदाशिव पाटीदार, जिला मंत्री मुकेश पटेल आदि ने किसानों से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि संगठन में ही शक्ति है और इसी शक्ति से हम अपनी मांगें मनवा सकते है। अगर सरकार हमेंं लाभ देना ही चाहती है तो हमें लाभकारी मूल्य दें। सोयाबीन पर 6000, कपास पर 10 हजार, मक्का पर 2500 रुपए की दर से खरीदा जाए। अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती है, तो हम आंदोलन करेंगे।
सभास्थल पर सौंपा ज्ञापन –
जिला कोषाध्यक्ष झबर सिंह पवार, जिला कार्यालय मंत्री सीताराम पाटीदार, जिला मीडिया प्रभारी नितेश सिंह मौर्य ने बताया सभास्थल पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और कलेक्टर के नाम अलग. अलग मांगों, समस्याओं, शिकायतो के ज्ञापन सौंपे गए। पीएम के नाम सौंपे ज्ञापन में सोयाबीन, कपास, मक्का का समर्थन मूल्य तय किए जाने के साथ ही कृषि उपज को लागत के आधार पर ही लाभकारी मूल्य देने, कृषि बजट अलग बनाए जाने, बलराम जयंती को किसान दिवस घोषित करने जैसी मांगें शामिल है।
वहीं सीएम के नाम सौंपे ज्ञापन में कृषि, मंडी, बिजली, राजस्व, सिंचाई, बैकिंग सेक्टर से जुडी समस्याओं, मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। कलेक्टर से जिले में अतिवृष्टि से खराब फसलों के सर्वे कर मुआवजा देनेए कृषि भूमि की रजिस्ट्री के बाद स्वत: नामांतरण करने की योजना बनाने, भाकिसं के साथ प्रशासनिक स्तर पर त्रैमासिक बैठक आयोजित कराए जाने जैसी मांगें शामिल है।
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