26 से शुरु होगी पांच दिवसीय श्री नवग्रह पंचक्रोशी यात्रा, 12 गांवों में श्रद्धालू करेंगे भ्रमण 

Navgraha Panchkroshi Yatra

गुरुदेव रवींद्र भारती की प्रेरणा से 2008 में हुई थी शुरुआत 

हलधर किसान,खरगोन( अध्यात्म)। निमाड़ की खुशहाली की कामना को लेकर निकाली जाने वाली श्री नवग्रह पंचक्रोशी यात्रा सफला एकादशी 26 दिसंबर से शुरु होगी। श्री शैव संप्रदाय के तत्वावधान में गुरुदेव डॉ. रवींद्र भारती चौरे की पे्ररणा से निकाली जाने वाली यह पांच दिवसीय यात्रा के दौरान यात्री 12 गांवों का भ्रमण कर 30 दिसंबर याने अमावस्या को वापस  श्री नवग्रह मंदिर लौटकर यात्रा को विराम देंगे।

श्री गुरुदेव डॉ. रविंद्र भारती चौरे कृत नर्मदा पंचक्रोशी पदयाात्रा केंद्रिय समिति  गुरु स्थान पुनासा  एवं स्थानीय नवग्रह पंचकोशी पद्यात्रा समिति से मिली जानकारी अनुसार यात्रा 26 दिसंबर को नवग्रह मंदिर में औंकार ध्वज पूजन, मां नर्मदा व नवग्रहों के पूजन.अर्चन, दर्शन के बाद शुरु होगी। यात्रा के ध्वजवाहक श्री नर्मदे हर नयनदास बाबा मेहरजा होंगे। श्री नवग्रह पंचक्रोशी यात्रा अन्य सभी यात्राओ से अलग है जो नवग्रह शांति,  पूजन और परिक्रमा के उद्देश्य से प्रारंभ की गई थी और यह एक मात्र यात्रा है जो नर्मदा जी के किसी भी तट से होकर नही गुजरती है।

श्री नवग्रह पंचकोशी  यात्रा की शुरुआत 2008 में हुई थी जिसमें केंद्रीय समिति के  राधेश्याम शर्मा, जगदीश नेगी, कल्याण चौरे, गंगाराम मिस्री आदि शामिल हुए  थे। यात्रा में हजारों की संख्या में सर्द मौसम के बाद भी बुजुर्गो, महिला- पुरुषों के साथ बच्चे भी शामिल होते है। यात्रियों की संख्या को देखते हुए समिति के अध्यक्ष शंकर लाल यादव संरक्षक राधेश्याम शर्मा, प्रभारी राजेंद्र शर्मा, पंडित लोकेश जागीरदार, संतोष भाई मारू ने अपील की है कि यात्रा में शासन प्रशासन के नियमों का पालन करें और व्यवस्था में सहयोग करे।

पहला पड़ाव – यात्री भजन. कीर्तन करते हुए शहर के विभिन्न मार्गो से होकर गोपालपुरा, मेहरजा, बड़गाँव होते हुए संत बोंदरूबाबा के समाधि स्थल नागझिरी में रात्रि विश्राम करेंगे। 

 दूसरा दिवस – दिनांक 27 सितंबर दिसंबर 2024 शुक्रवार प्रात: खेड़ा राजपुर पास रेणुका माता मंदिर के दर्शन कर ग्राम जामली में दोपहर विश्राम पश्चात कुकडोल से कुम्हार खेड़ा  होकर खांडेराव बाबा, मोती माता मंदिर दर्शन कर ग्राम उमरखली पहुंचकर रात्रि विश्राम होगा।

तृतीय दिवस – दिनांक 28 दिसंबर 2024 शनिवार को प्रात: देवझिरी दर्शन कर ग्राम बसनेर में दोपहर विश्राम बाद संतोषी माता मंदिर से जलकल यंत्रालय बड़घाट कुंदा तट खरगोन में रात्रि विश्राम होगा ।

चतुर्थ दिवस -दिनांक 29 दिसंबर 2024 रविवार सुबह दामखेड़ा के प्रसिद्ध नाग मंदिर में दर्शन बाद रणगांव में दोपहर विश्राम कर ग्राम बिरोठी होते हुए ब्रह्मलीन परम संत श्री पूर्णानंद जी लूला बाबा की समाधि स्थल बेंडिय़ांव में रात्रि विश्राम होगा ।

पांचवें दिवस – दिनांक 30 दिसंबर 2024 सोमवार अमावस्या को प्रात:  पंचकोशी मेलडेरा मंदिर में शिवालय दर्शन कर स्नेह वाटिका होते हुए पुन: नवग्रह मंदिर में यात्रा पहुंचेगी जहां पर नवग्रह पूजन, नर्मदा पूजन, ध्वज पूजन कर आरती बाद प्रसादी वितरण कर यात्रा का समापन होगा ।

1975 में औंकारेश्वर से शुरु हुई थी पहली यात्रा

स्व. डॉ. भारती की पुत्री अनुराधा शर्मा ने बताया कि पिताजी डॉ. रवीन्द्र चौरे “भारती” नर्मदा पंचकोशी पदत्राओं के जनक होकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गुरु रहे है। पिताजी का मानना था कि विश्व में आने वाला समय कठिन होगा और संघर्ष लगातार बढ़ते चले जायेंगे। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर नवग्रह की शांति और पूजन के उद्देश्य से नवग्रह पंचकोशी, खरगोन की शुरुआत हुई। ओंकारेश्वर से सन 1975 में पंचक्रोशी यात्राओं की शुरूआत की थी, पिताजी ने अपने जीवनकाल मे 25 नर्मदा पंचकोशी यात्राओं की शुरुआत की थी, जो आज भी अनवरत जारी है। पंचकोशी यात्रा के दौरान ही पुनासा में चौरेजी ब्रह्मलीन हो गए। 

 इन स्थानों से शुरू की थी यात्राएं

नर्मदेश्वर पूर्णश्वर नर्मदा नगर पुनासा, सीतामाता जयंती माता सीतापीपरी बागली देवास, ममलेश्वर कुबेर भंडारी ओंकारेश्वर  जिला खंडवा, ओकार मांधाता ओकारेश्वर, वाराहेश्वर बड़ा बड़ौदा बाकानेर जिला धार, कोटेश्वर महादेव राजघाट जिला बड़वानी, श्री नवग्रह खरगोन, नारद पांडव ढाणा जिला होशंगाबाद, श्री मां वागेश्वरी सगुर भगुर , नर्मदापुरम सेठानीवाट जिला होशंगाबाद, विष्णुपुर शिवपुर भीलाडियां जिला होशंगाबाद, सूरजकुंड बांद्राभान जिला होशंगाबाद, मनोकामनेश्वर चिचली जिला खरगोन, वेदेश्वरी कुंडेश्वरी दयालपुरा जिला खरगोन, सिद्धनाथ नाभि कुंड नेमावर जिला देवास, रिद्धनाध हंडिया जिला हरदा, कवेश्वर नर्मदेश्वर रणगांव जिला खंडवा, बाला मर्दाना कतरगांव  जिला खरगोन, माहिष्मती महेश्वर जिला खरगोन, श्रीमार्कडेय गालव पिपरिया जिला होशंगाबाद, शाली वाहन नावड़ाटोड  जिला खरगोन, गोदबलेश्वर गोदागांव जिला हरदा, मां विध्यवासिनी सलकनपुर जिला सीहोर, बिल्वामृतेश्वर धरमपुरी  धार, शूलपाणेश्वर वासला राज पीपला गुजरात से यात्राओं की शुरुआत की थी। वर्तमान में उनकी प्रेरणा से समिति इकत्तीस यात्राओं का संचालन करती है। डॉ. रवींद्र चौरे उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक थे। 

पदयात्रा से स्वास्थ्य में सुधार के साथ मिलती है मन की शांति

डॉ. चौरे कहते थे कि पदयात्रा  में जितने स्थान देखे जा सकते है वह अन्य किसी भी साधन से मुश्किल होते है। पदयात्रा  से स्वाथ्य सुधरता है और मन भी शांत होता है क्योंकि पैदल चलने में व्यक्ति  सुकून के साथ चलता है। नर्मदा नदी पहाड़ों जंगलों के बीच में बहती है और नदी के तट पर अनेक ऋषि मुनियों ने तपस्या की थी। इसी वजह से नर्मदा नदी के तट पर अनेक प्राचीन मंदिर एवं आश्रम बने हैं। नर्मदा जी विश्व की एकमात्र नदी है जिसकी बड़ी परिक्रमा होती है। गृहस्थ आश्रम में लंबी परिक्रमा करना हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं है इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए डॉ रवींद्र  चौरे ने पच्चीस लघु पंचकोशी यात्राओं की शुरुआत की थी।

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