19 से 24 तक जर्मप्लाज्म एक्सचेंज पर होगा मंथन

दिल्ली 202 देशों के प्रतिनिधि होंगे शामिल

हलधर किसान। देश में पहली बार 19 से 24 सितंबर तक खाद्य कृषि के लिए प्लांट जेनेटिक्स संसाधनों पर अंतरराष्ट्रीय संधि (आईटीपीजीआरएफए) की गवर्निंग बॉडी के नौवें सत्र का आयोजन किया जाएगा. इसमें दुनिया भर के विशेषज्ञ जर्मप्लाज्म एक्सचेंज पर मंथन करेंगे. ताकि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने वाली बीज की किस्मों का विकास हो सके. कृषि विकास लिए उन्नत बीज, उसके प्रबंधन और सिंचाई आदि से जुड़ी जरूरतों तक किसान की पहुंच सुनिश्चित हो सके. इसमें दुनिया की प्रमुख 64 फसलों को लेकर अनुबंध किया गया है. इसमें से ज्यादातर फसलें हमारे भोजन का करीब 80 फीसदी हिस्सा हैं.

दिल्ली में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में 202 देशों के प्रतिनिधि शिरकत करेंगे. दावा है कि इसमें करीब 50 देशों के कृषि मंत्री अलग-अलग दिन आएंगे. इसमें संयुक्त राष्ट्र और विशिष्ट एजेंसियों के 20 प्रतिनिधि, 43 अंतर सरकारी संगठन, 75 अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन और अंतरराष्ट्रीय कृषि अनुसंधान के13 सलाहकार समूह भाग ले रहे हैं. यह संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के 31वें सत्र के दौरान नवंबर 2001 मेंरोम में अपनाया गया एक कानूनी बाध्यकारी समझौता है. प्लांट वेराइटी को लेकर यह समझौता जून 2004 से लागू है.

सभी सदस्य देशों को वीटो का अधिकार
दिलचस्प बात यह है कि पादप आनुवंशिक संसाधनों की अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत आयोजित होने वाली गवर्निंग बॉडी की बैठक में किसी भी फैसले पर सभी देशों की एक राय होना अनिवार्य है. खास बात यह है कि सभी सदस्य देशों को वीटो का अधिकार प्राप्त है. कृषि मंत्रालय के सचिव मनोज आहूजा ने बताया कि इस आयोजन में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां किसानों के अधिकारों के साथ सदस्य देशों से जर्मप्लाज्म, जैव विविधता, बीज, खाद्य, कृषि के संरक्षण, बीजों के रखरखाव पर व्यापक विचार विमर्श होगा.

जैव विविधता से मिलेगा लाभ
दरअसल, यह संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन की पहल है. इसमें कृषि जैव विविधता पर काम किया जाता है. इस संधि में 150 देशों ने पादप अनुवांशिक संसाधनों के संरक्षण के लिए एक मंच पर काम करने पर सहमति व्यक्त की है. इसमें सभी देश जैव विविधता से मिलने वाले लाभ और न्याय संगत प्रणालियों को साझा करते हैं. इसका लक्ष्य जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए किसानों को फसलों के विविधीकरण से परिचित कराना है.

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