हलधर किसान। नई दिल्ली भारत के अफीम प्रोसेसिंग मार्केट पर सरकार के बड़े नियम लागू किए गए हैं. इसकी प्रोसेसिंग केवल दो सरकारी फैक्ट्रियां ही काम करती हैं. लेकिन अब इन नियमों को खोल दिया गया है और इस क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों की एंट्री हो रही है. इस काम में शामिल होने वाली पहली प्राइवेट कंपनी होगी बजाज हेल्थकेयर है.मनीकंट्रोल की एक खबर के मुताबिक, राजस्व और प्रॉफिट मार्जिन के मामले में भारी संभावनाओं को देखते हुए यह बाजार विशेष रूप से फार्मास्युटिकल दिग्गजों के लिए गेम चेंजर साबित हो चुका है. बजाज हेल्थकेयर अब भारत सरकार को अफीम से बनने वाली एल्कलॉइड और एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रीडिएंट्स API की आपूर्ति करेगी. सरकार, बदले में, फार्मास्युटिकल उद्योग को मॉर्फिन और कोडीन जैसे अल्कलॉइड मुहैया भी कराएगी.
दवा कंपनियां दर्द निवारक दवाओं के निर्माण के लिए अफीम डेरिवेटिव का उपयोग किया जाएगा. अफीम डेरिवेटिव का प्रयोग मुख्य तौर पर टर्मिनल कैंसर, दुर्घटना से ट्रॉमा और पुराने दर्द के उपचार में किया जाता है. बजाज हेल्थकेयर को आने वाले अन्लांस्ड पोस्त कैप्सूल से कन्संट्रेटेड पोस्त स्ट्रॉ CPS एल्कलॉइड और एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रीडिएंट्स के निर्माण के लिए 2 सरकारी निविदाएं दी गई हैं. CPS एक मशीनीकृत सिस्टम होता है, जिसके तहत पूरी फसल को मशीन द्वारा काट लिया जाता है और उसमें से अल्कलॉइड निकालने के लिए कारखानों में ट्रांसफर कर दिया जाता है.केवल 2 ही सरकारी कारखाने
यह अफीम प्रोसेसिंग के लिए भारत के दृष्टिकोण में एक ऐतिहासिक परिवर्तन और अब तक केवल सरकार की अफीम और अल्कलॉइड फैक्ट्री GOAF द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है. सरकारी स्वामित्व वाले उपक्रम के दो कारखाने और गाजीपुर और उत्तर प्रदेश और नीमच,जोकि प्रदेश में स्थित हैं, जो अफीम किसानों के द्वारा पैदा की गई अफीम के एकमात्र खरीदार हैं.
हजार करोड़ से ज्यादा की मार्केट
मनीकंट्रोल से बात करते हुए बजाज हेल्थकेयर के जॉइन्ट मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल सी जैन ने कहा है कि भारत में अफीम का कारोबार 1,000 करोड़ रुपये से भी अधिक का है. जैन ने कहा, “सरकार 500-700 मीट्रिक टन उत्पादन को कर रही है, लेकिन मांग बहुत अधिक है. इसमें मार्जिन EBITDA के 20-25% के बीच रही है. बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सरकार विदेशों से अफीम का आयात भी कर रही है. केवल प्राइवेट प्लेयर ही मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को पूरा किया जा सकता हैं.”
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि विभिन्न अल्कलॉइड्स में से और कोडीन फॉस्फेट की भारत में सबसे बड़ी मात्रा में आवश्यकता रही है. सरकारी कारखानों द्वारा कोडीन फॉस्फेट का कुल उत्पादन भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से पर्याप्त नहीं है. इसलिए सरकार को हर साल कोडीन फॉस्फेट का आयात करना पड़ रहा है.
सख्ती से नियंत्रित है पूरा अफीम बिजनेस
भारत में अफीम का व्यवसाय सख्ती से नियंत्रित ही किया जाता है. इसका कारण यह है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो INCB द्वारा अधिकृत देशों में से एक देश है, जो दवा उद्योग में उपयोग किए जाने वाले अल्कलॉइड के निर्माण के लिए अफीम का उत्पादन को करता है.
वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के एक पूर्व प्रमुख ने बताया है कि, “यदि अफीम के उत्पादन के लिए कोई रेगुलेटरी अथॉरटी न हो तो यह गलत हाथों में आ जाएगा. इससे मेथामफेटामाइन और हेरोइन जैसी अवैध ड्रग्स के उत्पादन के लिए दुरुपयोग होगा, जो कि देश में एक बड़ा खतरा है.”