खरगोन। ग्यारंटी की ग्यारंटी हो, जितना बोला उतना दो, 2700 में गेहूं लो एवं 3100 में धान लो…प्रदेश सरकार होश में आओ, होश में आओ, वादा किया वादा निभाओ…। जैसे नारों के साथ किसानों ने मंगलवार को प्रदेश सरकार के चुनावी वादे याद दिलाए।
भारतीय किसान संघ के बैनर तले कृषि उपज मंडी में इकट्ठा हुए किसानों ने समर्थन मूल्य वृद्धि कि घोषणा पर अमल करने के साथ ही हाल ही में हुई ओलावृष्टि, तुफान से फसलों की नुकसानी के मुआवजे की मांग को लेकर दोपहर में आक्रोश रैली निकाली, करीब 3 किमी पैदल नारेबाजी करते हुए किसान जब कलेक्ट्रेट पहुंचे तो यहां आंदोलन का स्वरुप बदल गया।
कार्यालय में सांकेतिक धरना प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर पहुंचे थे, लेकिन कलेक्टर कार्यालय प्रवेश का मुख्य द्वारा बंद कर बाहर ही रोके जाने से किसान आक्रोशित हो गए और शहर के प्रवेश मार्ग याने इंदौर रोड पर धरना दे दिया। जिससे जाम कि स्थिति निर्मित हो गई।
एएसपी के पहुंचने पर खोला गेट
किसानों के उग्र होते प्रदर्शन की सूचना पर पहुंचे एएसपी तरुणेंद्र सिंह ने कलेक्टर कार्यालय का गेट खुलवाकर किसानो को प्रवेश दिलाया। इसके बाद बैठक व्यवस्था को लेकर कुछ देर के लिए प्रशासनिक अफसरों सहित पुलिसकर्मियों की सांसे फूली नजर आई। किसान कलेक्टर कार्यालय के प्रवेश द्वार पर धरना करना चाह रहे थे, जिन्हें समझाईश देकर बिल्डिंग की छाया में बैठाया गया। एएसपी ने किसानों के लिए पानी और चाय की व्यवस्था भी कराई। प्रदर्शन के दौरान कलेक्टर कार्यालय परिसर में भारी पुलिस बल तैनात रहा।

सांसद की अनदेखी पर फूटा आक्रोश
धरना दे रहे किसान उस वक्त आक्रोषित हो गए जब परिसर में मौजूद सांसद गजेंद्र पटेल किसानों का धरना देख दूसरे रास्ते से जाने लगे। धरनास्थल से महज 100 फीट की दूरी पर अफसरों से चर्चा कर रहे सांसद को माईक सेट पर संबोधित कर रहे जिला मंत्री मुकेश पटेल ने धरना स्थल पर आमंत्रित करते हुए कहा कि चेतावनी दी कि आप हमारी बात सूने, यदि धरनास्थल नही आए तो गांवों में घुसने नही देंगे, इस चेतावनी का सांसद पर कुछ असर नही हुआ, वे अफसरों से चर्चा के बाद अपने वाहन में बैठकर रवाना हो गए। इस पर किसानों ने सांसद और कलेक्टर के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। संभाग अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार, प्रांत उपाध्यक्ष दिनेश पाटीदार ने कहा कि सांसद हमारी विचारधारा की पार्टी के जनप्रतिनिधि होकर हमारे बीच आना उचित नही समझते, चुनाव में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे। जिले के 1300 गांवों में सांसद का बहिष्कार करेंगे।
किसानों के लिए कलेक्टर के दरवाजे बंद क्यों?
प्रदर्शन में शामिल जिलाध्यक्ष सदाशिव पाटीदार, बाबूलाल तिरोले, श्रीराम पाटीदार आदि ने बताया कि हाल ही में प्रकृति की मार से सैंकड़ों गांवों की हजारों हेक्टेयर खरीफ फसलें चौपट हो गई है। कई गांवों में सर्वे टीम नही पहुंच रही, जब किसान अपनी बात रखने मुख्यालय पहुंच रहा है तो कलेक्टर कार्यालय के दरवाजे किसानों के लिए बंद कर रहे है। यदि प्रशासन यहां बात नही करता है तो फिर हम ऐसे हालात कर देंगे कि उन्हें 1300 गांवों में चौपाल लगाना पड़ेगी।
मोदी की गारंटी पर जताया था भरोसा
प्रांत उपाध्यक्ष दिनेश पाटीदार ने कहा कि पूर्व की सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते थे, अब भाजपा की सरकार बन गई है, फिर भी भ्रष्टाचार कहां रुका। विधानसभा में मोदी की गारंटी पर घोषणा पत्र जारी हुआ और पीएम मोदी की बात पर आज के दौर में हर कोई भरोसा करता है। हमने भी किया, फिर सरकार बनने के बाद क्यों नही 2700 रुपए में गेहूं और 3100 रुपए में धान खरीदा जा रहा है। मंडियों में आज 1700-1800 रुपए में गेहूं बेचना मजबुरी बन गया है।
5 सुत्रीय मांगों का सौंपा ज्ञापन
- किसानों ने बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि से खराब हुई फसलो ंका सर्वे कर 10 हजार रुपए प्रति एकड मुआवजा मांगा।
- . मौसमी चना 6500 और डालर चना 15000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से हो खरीदी।
- . खरीदी केंद्रों पर गेहंू व चना खरीदी में बड़े प्लेट कांटे से तौल की मांग।
- . ट्रांसफार्मर योजना का अनुदान 70 प्रतिशत किया जाए।
- . बिजली कंपनी द्वारा सिंचाई के लिए दी जा रही बिजली शेड्यूल बदलने की मांग भी की है।