हलधर किसान। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन (आईडीएफ डब्ल्यूडीएस) 2022 का उद्घाटन किया।यह सम्मेलन आज से शुरू होकर 15 सितम्बर तक चलेगा. विश्व डेयरी सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय और भारतीय डेयरी उद्योग से जुड़े उद्यमी,किसान,नीति निर्माता और विशेषज्ञ सहित लगभग 50 देशों के 1500 से अधिक लोग शिरकत कर रहे है. केंद्रीय डेयरी, मत्स्य और पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने बताया कि इससे दुग्ध उत्पादकों को अत्यधिक लाभ होगा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन, केंद्रीय कृषि और खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री संजीव कुमार बालियान, सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर और डॉ. महेश शर्मा, अंतर्राष्ट्रीय डेयरी फेडरेशन के अध्यक्ष पी. ब्रेजाले और अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ की महानिदेशक सुश्री कैरोलिन एमोंड इस अवसर पर उपस्थित थे। प्रौद्योगिकी के माध्यम से 75 लाख किसान इस आयोजन से जुड़े।
प्रधानमंत्री ने सभा को अपने संबोधन में, प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि डेयरी सेक्टर के विश्व भर के गणमान्य व्यक्ति आज भारत में एकत्रित हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन विचारों के आदान-प्रदान का एक बड़ा माध्यम बनने जा रहा है। उन्होंने कहा, “डेयरी सेक्टर का सामर्थ्य ना सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देता है बल्कि ये दुनिया भर में करोड़ों लोगों की आजीविका का भी प्रमुख साधन है।”
प्रधानमंत्री ने भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य में ‘पशु धन’ और दूध से संबंधित व्यवसाय के महत्व के बारे में बताया। इसने भारत के डेयरी क्षेत्र को कई अनूठी विशेषताएं दी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व के अन्य विकसित देशों से अलग, भारत में डेयरी सेक्टर की असली ताकत छोटे किसान हैं। भारत के डेयरी सेक्टर की पहचान ‘मास प्रोडक्शन’ से ज्यादा ‘प्रोडक्शन बाय मासेस’ की है। एक, दो या तीन मवेशियों वाले इन छोटे किसानों के प्रयासों के आधार पर भारत सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र देश में 8 करोड़ से अधिक परिवारों को रोजगार प्रदान करता है।
भारतीय डेयरी प्रणाली की दूसरी अनूठी विशेषता इसके बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने दोहराया कि आज भारत में डेयरी कोऑपरेटिव का एक ऐसा विशाल नेटवर्क है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में मिलना मुश्किल है।12 से 15 सितंबर तक आयोजित चार-दिवसीय आईडीएफ डब्ल्यूडीएस 2022, ‘डेयरी फॉर न्यूट्रिशन एंड लाइवलीहुड’ के विषय पर केंद्रित उद्योग जगत के दिग्गजों, विशेषज्ञों, किसानों और नीति योजनाकारों सहित वैश्विक व भारतीय डेयरी हितधारकों का एक समूह है। आईडीएफ डब्ल्यूडीएस 2022 में 50 देशों के लगभग 1500 प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है। इस तरह का पिछला शिखर सम्मेलन भारत में लगभग आधी सदी पहले 1974 में आयोजित किया गया था।
सम्मेलन का उद्देश्य:
इस सम्मलेन का उद्देश्य भारत में दुग्द उत्पादन सम्बंधित क्रियाकलापों और इसकी बेहतरी के नए उपायों के बारें में चर्चा करना है. साथ ही भारतीय डेयरी उद्योग की सफलता के बारे में विश्व जगत को अवगत कराना है. इस आयोजन का एक उद्देश्य यह भी है कि विश्व के अग्रणी दुग्ध उत्पादक देशों से डेयरी उद्योग के और बेहतर विकास के उपायों को सिखा जा सके.
सहकारी मॉडल: यह सम्मलेन इस मायने में अद्वितीय है कि यह एक सहकारी मॉडल पर आधारित है. जो छोटे और सीमांत डेयरी किसानों को सशक्त बनाएगा. साथ ही इस क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं को भी सशक्त बनाएगा.
भारतीय डेयरी उद्योग की सफलता: इस कार्यक्रम के माध्यम से भारतीय डेयरी उद्योग की सफलता के बारे में भी विश्व जगत को अवगत कराया जायेगा. यही कारण है कि भारत आज वैश्विक दुग्ध जगत में 23 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है.
पीएम मोदी का विजन: प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी सोच और प्रयासों से सरकार ने डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाएं है. जिसके परिणाम स्वरुप पिछले 8 वर्षों में दूध उत्पादन में 44 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. इस सम्मलेन में इन उपलब्धियों पर भी चर्चा की जाएगी, जो आगे डेयरी जगत को मदद कर सके.
210 मिलियन टन दूध का उत्पादन: एक वर्ष में भारत में लगभग 210 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता है. जिसका प्रभाव 8 करोड़ डेयरी किसानों को सशक्त बना रहा है. अतः इस सम्मेलन की मदद से भारतीय डेयरी किसानों को दुग्ध उत्पादन की विश्व की सर्वोत्तम प्रथाओं के बारें में जानकारी का एक बेहतर अवसर प्राप्त होगा.