सोयाबीन पर घोंघे का प्रकोप, कृषि विभाग ने की है नियंत्रण की तैयारी

हलधर किसान। महाराष्ट्र में सोयाबीन की फसलों पर घोंघा का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. किसान महंगी दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है. इसे देखते हुए महाराष्ट्र कृषि विभाग की तरफ से किसानों को प्रति हेक्टेयर छिड़काव के लिए 750 रुपए देने की योजना बनाई गई है.सोयाबीन की फसल पर घोंघा का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. अब कृषि विभाग नियंत्रण के लिए किसानों की मदद कर रहा है. सोयाबीन की फसल सबसे ज्यादा खरीफ सीजन में बोई जाती है. मराठवाड़ा में इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है. इस साल राज्य भर में सोयाबीन की खेती पर किसानों ने जोर दिया है. बुवाई के बाद भारी बारिश और घोंघे के प्रकोप ने फसलों के लिए खतरा पैदा कर दिया है. अब कृषि विभाग की तरफ से कहा गया है कि घोंघे के खात्मे के लिए किसानों को विभाग की ओर से सीधी आर्थिक मदद दी जाएगी. इसके लिए किसानों को 750 रुपए प्रति हेक्टेयर दिया जाएगा. यह राशि एक हेक्टेयर के लिए ही दी जाएगी. आकस्मिक नियंत्रण के लिए यह निर्णय लिया गया है. इससे किसानों पर आर्थिक बोझ कम होगा.
सोयाबीन और अन्य फसलों पर घोंघे का प्रकोप बढ़ रहा है. ऐसे में किसानों को कीटनाशकों का छिड़काव करना पड़ रहा है. किसानों की स्थिति और बारिश से हुए नुकसान को देखते हुए कृषि विभाग ने मदद का हाथ बढ़ाया है. किसानों को प्रति हेक्टेयर छिड़काव के लिए 750 रुपए दिए जाएंगे. उसके लिए किसानों को कृषि सहायक, कृषि पर्यवेक्षक या तालुका कृषि कार्यालय से संपर्क करना होगा. छिड़काव या अन्य कीटनाशकों की रसीद कृषि कार्यालय में जमा करनी होगी. इसके बाद किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी. केवल घोंघे से होने वाले नुकसान के मामले में ही यह सहायता प्रदान की जानी है. लेकिन किसानों का कहना है कि इतने से उनके नुकसान की भरपाई नहीं हो पाएगी.

कृषि विभाग ने दी सलाह

किसान भी घोंघा को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कुछ किसानों द्वारा गलत तरीके से नियंत्रण करने के कारण
इसने जानवरों के लिए खतरा पैदा कर दिया है. दरअसल चुरमुरे में जहर डालकर किसान फसलों पर डाल रहे हैं. यदि वे अन्य जानवरों या पक्षियों द्वारा खा लिया जाए है तो उनकी जान को भी खतरा हो सकता है. इसलिए यह तरीका गलत है और कृषि विभाग ने किसानों से वसंतराव नाइक कृषि विश्वविद्यालय द्वारा की गई दिशा निर्देशों का पालन करने की अपील की है.

यदि फसल के अंकुरित होते ही कीट का प्रकोप होता है, तो यह वृद्धि को प्रभावित करेगा. इसलिए किसानों को बांध को खरपतवार मुक्त रखना होगा. उसके बाद घोंघे के पास रुकने के लिए सुरक्षित जगह नहीं होगी. इन घोंघों को सुबह या शाम को साबुन या नमक के पानी से छिड़काव करना होगा. किसानों को यह ध्यान रखना होगा कि फसल क्षेत्र में 7 से 8 मीटर सूखी घास खड़ी कर दें ताकि घोंघे उसकी शरण में आ जाएं और फिर जब वे अंडे देने के लिए इकट्ठे हों तो उन्हें नष्ट कर दें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *