पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत में अब तक 44 प्रतिशत कम बारिश, फसलो को हो रहा नुकसान

हलधर किसान। जहां एक तरफ मानसून के चलते भारी बारिश के कारण लोगों को बाढ़ व भूस्खलन का सामान करना पड़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ देश के कई राज्य ऐसे भी जहां पर कम बारिश के चलते फसल के नुकसान की आशंका जताई जा रही है।
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और गंगीय पश्चिम बंगाल में पिछले 122 वर्षों में जुलाई महीने में सबसे कम वर्षा दर्ज की गई है. जो कि धान की खेती करने वाले किसानों के लिए बुरी खबर है. तो वहीं भारत मौसम विज्ञान विभाग की मानें तो अगले 2 महीनों में इन क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है.

इन राज्यों में होगी कम वर्षा
जहां तक ​​​​मौसम विभाग के पूर्वानुमान का सवाल है, पश्चिमी तट के कई हिस्सों और पूर्वी मध्य, पूर्व और उत्तर-पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है. पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में अभी भी अगस्त में सामान्य बारिश हो सकती है, लेकिन बिहार के लिए अनुमान बहुत उत्साहजनक नहीं लग रहे हैं, जिसके कारण राज्य को सबसे अधिक प्रभावित होना पड़ सकता है तो वहीं दूसरी तरफ देशभर में मानसून अब तक सामान्य से 8 प्रतिशत अधिक रहा है. पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत में अब तक 16 प्रतिशत तक की कमी के साथ शुष्क (Dry) मौसम का सामना करना पड़ रहा है. तो वहीं जुलाई महीने में वर्षा विशेष रूप से सामान्य से लगभग 44 प्रतिशत कम थी, जो पिछले 122 वर्षों में सबसे कम है. आपको बता दें कि इससे पहले सन् 1903 में जुलाई के महीने में इतनी कम बारिश दर्ज की गई थी.

सूखे की स्थिति
लंबे समय तक शुष्क मानसून ने इस क्षेत्र को सूखे जैसी स्थिति में धकेल दिया है, जिसका धान की बुवाई करने वाले किसानों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. जुलाई माह के अंत तक, बिहार में 474 मिमी सामान्य के मुकाबले केवल 278 मिमी वर्षा हुई थी, जिसमें 41 प्रतिशत की भारी कमी थी. झारखंड में भी लगभग 50 प्रतिशत की कमी है, 10 जिलों में बड़े पैमाने पर कम बारिश हुई है. यदि सिलसिला यूं ही चलता रहा तो वाकई आने वाले दिनों में किसानों को कम बारिश के चलते धान की फसल में भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है. क्योंकि धान की फसल के लिए पानी की अत्यधिक मात्रा की आवश्यकता होती है और कम बारिश होना किसानों के लिए नुकसान के संकेत हैं.

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