केंद्र सरकार ने उर्वरक भंडारण के साथ ही बिक्री नियमों में बदलाव कर जारी किए नए गजट नोटिफिकेशन
हलधर किसान खरगोन। सावधान! अगर आप उर्वरकों की बिक्री या भंडारण करते है तो सतर्क हो जाइये। केंद्र सरकार ने हाल ही में उर्वरक भंडारण के साथ ही बिक्री नियमों में बदलाव कर नए आदेश जारी किए है। नए गजट नोटिफिकेशन में अकार्बनिक, कार्बनिक या मिश्रिम उर्वरको में चौथा संशोधन करते हुए ह्युमिक एसिड, फुल्विक एसिड और उनके यौगिक ह्युमिक, समुद्रि शैवाल अर्क, वनस्पति अर्क, बायोस्टिमुलेंट्स के मिश्रित फॉर्मूलेशन से तैयार किए गए उर्वरको के लिए उर्वरक पंजीयन जरुरी है। इस नोटिफिकेशन के जारी होने के बाद उप संचालक कृषि कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने अपने- अपने जिले में इस आदेश के पालन के निर्देश दे दिए है।
प्रादेशिक सचिव और ऑल इंडिया एग्री इनपुट डीलर एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय रघुवंशी ने बताया उर्वरक फर्टिलाइजर लाइसेंस के लिए जिले में कई जगह प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। व्यापारी किसी भी कानूनी कार्रवाई से बचें और नियम अनुसार लाइसेंस लेकर अपना व्यापार करें। जागरुक कृषि आदान विक्रेता संघ जिलाध्यक्ष श्रीकृ़ष्णा दुबे ने बताया कि इस प्रक्रिया से व्यापार में पारदर्शिता भी रहेगी। बेवजह कोई प्रताडि़त भी नही कर पाएगा। जैसा की नये संशोधन मे दिया गया है।
फुल्विक एसिड क्या है
फुल्विक एसिड एक प्रकार का प्राकृतिक कार्बनिक अम्ल होता है जो पौधों और जानवरों के टूटने पर बनने वाले रसायनों का समूह है, जो सभी पीएच स्तरों पर पानी में घुलनशील होता है। यह मिट्टी और ह्यूमस या कार्बनिक पदार्थ के भाग में पाया जाता है, और यह नदियों और झीलों में भी पाया जाता है। ह्यूमिक एसिड की तुलना में फुल्विक एसिड का आणविक भार कम होता है इसलिए, यह पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित किया जा सकता है। यह कोशिका झिल्ली को कोशिका में पोषक तत्वों को ले जाने के लिए अधिक पारगम्य बनाता है। इसलिए, कोशिकाओं में अधिक उपयोगी पोषक तत्व हो सकते हैं।
- ह्युमिक एसिड उर्वरक का उपयोग कृषि में मिट्टी कंडीशनर और पौधों के विकास उत्तेजक के रूप में बड़े पैमाने पर किया जाता है। यह मिट्टी की संरचना को बढ़ाता है, पानी और पोषक तत्वों को धारण करने की क्षमता में सुधार करता है। पोषक तत्वों की उपलब्धता और ग्रहण को बढ़ावा देकर, ह्यूमिक एसिड फसल की पैदावार बढ़ाता है, जड़ विकास को बढ़ाता है और पौधों के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
- समुद्री शैवाल का अर्क – समुद्री शैवाल खाद, समुद्री शैवाल से निकाला जाता है। इसमें सभी प्रकार के प्रोटीन, एमिनो एसिड में समृद्ध है जो पौधे सीधे अवशोषित और उपयोग कर सकते हैं, और पौधे विकास नियामकों, अल्जीनिक एसिड, विटामिन, न्यूक्लियोटाइड, पौधे तनाव प्रतिरोध कारकों और पौधों के विकास के आवश्यक तत्वों को पौधे शारीरिक प्रक्रियाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। सभी जैव सक्रिय पदार्थ समुद्री शैवाल से निकाले गए शुद्ध प्राकृतिक पदार्थ होते हैं, कोई अवशेष नहीं प्रभाव नहीं होता है।ये खाद धीर-धीरे मिट्टी में पोषक तत्व छोड़ता रहता है, जिससे लंबे समय तक पौधे को न्यूट्रीशन मिलता रहता है। इसमें पौधे की बढ़त के लिए जरूरी उत्प्रेरक हार्मोन होते हैं, जोकि सूर्य से प्राप्त ऊर्जा का उचित उपयोग करके पौधे को मजबूत व स्वस्थ बनाता है|
चूंकि समुद्री शैवाल समुद्री जल में विकसित होता है, वहाँ पर विशेष विकास पर्यावरण समुद्री शैवाल को न केवल स्थलीय पौधों के रासायनिक घटकों को शामिल करने में सक्षम बनाता है, बल्कि इसमें कई पोषक तत्व भी होते हैं जो कई भूमि पौधों के लिए अतुलनीय हैं, जैसे कि समुद्री पोलीसेकेराइड, मैनिटोल, फेनोलिक बहुलक, बीटाइनएफ्यूकोइडन। इसके अलावा, समुद्री शैवाल खाद में बड़ी मात्रा में पौधे की वृद्धि वाले सक्रिय पदार्थ जैसे कि इंडोलैसिटिक एसिड, साइटोकिनिन, जिब्रेलिन और खनिज तत्व जैसे आयोडीन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज और टाइटेनियम होते हैं।
- बायोस्टिमुलेंट्स– आज के आधुनिक कृषि युग में भोजन की उपलब्धता को सुनिश्चत करने और फसलों में बिना किसी नुकसान के उपज को बेहतर करने के लिये बायोस्टिमुलेंट्स बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है। बायोस्टिमुलेंट्स पौधों की प्राकृतिक प्रक्रियाओं जैसे वानस्पतिक विकास को बढ़ावा देने वाले पदार्थ होते है, जो उनकी वृद्धि, पोषक तत्वों का उपयोग और विभिन्न तनाव सहनशीलता में सुधार करते है। ये उत्पाद पौधों को अजैविक तनाव जैसे ठंड, सूखा, और अधिक पानी से बचाने में मदद करते है। विभिन्न प्रकार के बायोस्टिमुलेंट्स आज बाजार में उप्लब्ध है, जिनमें विटामिन्स और अमिनो एसिड, ह्यूमिक और फुल्विक एसिड, समुद्री शैवाल के अर्क, प्रोटीन हाइड्रोलाइसेट्स ये पौधों की पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता को बढ़ाते है। बायोस्टिमुलेंट्स से फसलों के लिये बहुत महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त होते है, जिससे सीधे.सीधे उपज और मृदा संरचना पर प्रभाव पड़ता है। बायोस्टिमुलेंट्स का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। पौधों की पत्तियों पर स्प्रे किया जाता है। बायोस्टिमुलेंट्स को सीधे मिट्टी में मिलाया जाता है। बीजों को बायोस्टिमुलेंट्स के साथ उपचारित किया जाता है।
अकार्बनिक, कार्बनिक, और मिश्रित उर्वरकों के बारे में जानकारी:

अकार्बनिक उर्वरक– ये रासायनिक पदार्थ प्राकृतिक तत्वों से बने होते हैं। इनका मकसद पौधों को ज़रूरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स मुहैया कराना होता है। ये किफायती आसान इस्तेमाल करने वाले और पौधों के लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं। हालांकि, इनकी प्राकृतिक अम्लता से सहायक सूक्ष्मजीव मर जाते हैं और पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ता है। ज़्यादा अकार्बनिक उर्वरक का इस्तेमाल करने से पर्यावरण प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ती है।
कार्बनिक,अकार्बनिक मिश्रित उर्वरक – इनमें अमीनो एसिड, ह्युमिक एसिड, और एंजाइम जैसे कई शारीरिक उत्प्रेरक होते हैं। ये जड़ श्वसन, पोषक तत्वों के अवशोषण, और पत्ती प्रकाश संश्लेषण को बढ़ावा देते हैं|
मिश्रित उर्वरक– इन्हें बहुपोषक उर्वरक भी कहा जाता है। इनमें दो या ज़्यादा पोषक तत्व होते हैं। इन्हें रासायनिक रूप से प्रतिक्रिया करने वाले अवयवों को मिलाकर बनाया जाता है। इन्हें समान आकार के दो या ज़्यादा दानेदार उर्वरकों को मिलाकर भी बनाया जा सकता है।
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