यवतमाल में 205 किसानों की आत्महत्या से उड़ी नींद, कलेक्टर ने बताए चोकाने वाले आंकड़े

person walking on pathway beside plants during daytime

अगस्त में 48 और सितंबर में अब तक 12 अन्नदाताओं ने मौत को लगाया गले

हलधर किसान। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां पिछले 8 महीने में बढ़ते आत्महत्याओं के मामले में प्रदेश सहित देश को चिंतित कर दिया है। सरकारों के खेती को लाभ का धंधा बनाने की सारी कवायदे यहां खोखली साबित होती नजर आ रही है। इसे लेकर कई बार राजनीति भी गर्मा चुकी है लेकिन किसानों की हालत में इससे कोई सुधार नही हुआ। राज्य के केवल यवतमाल जिले में 2022 के शुरू के नौ महीनों में 205 किसानों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। यह चौंकाने वाला खुलासा खुद प्रशासन ने किया है।
जिला कलेक्टर अमोल येडगे ने मंगलवार को बताया कि अगस्त में 48 किसानों ने आत्महत्या की, जबकि सितंबर के महीने में अब तक 12 किसानों ने अलग-अलग वजहों से जान दे दी। इस साल 12 सितंबर तक जिले में अब तक 205 अन्नदाताओं के सुसाइड के मामले सामने आ चुके हैं। हमारी समिति इन सभी मामलों की जांच कर रही है।
यवतमाल जिले के ये आंकड़े बेहद गंभीर और चौंकाने वाले हैं। इस पर जिला कलेक्टर ने कहा “हम किसानों के साथ हैं। सरकारी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सरकारी अधिकारी उनके मुद्दों को जानने और उन्हें सरकारी योजनाओं और लाभों के बारे में सूचित करने के लिए 13-14 सितंबर को उनके साथ एक दिन बिताएंगे।”

यवतमाल जिले में आत्महत्या करने वाले एक किसान के बेटे ने बताया, हम पर करीब 12 लाख का कर्ज था, भारी बारिश से हमारी फसल बर्बाद हो गई। हमने कभी नहीं सोचा था कि मेरे पिता आत्महत्या कर लेंगे। लेकिन वह चुपचाप खेत में गए और सुसाइड कर लिया। हमें प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है। बीडीओ या कलेक्टर सहित कोई अधिकारी हमसे मुलाकात करने नहीं आया है।
गौरतलब हो कि महाराष्ट्र के किसान मुख्य तौर पर कृषि कर्ज के चलते आत्महत्या करते है। बीते साल जनवरी से नवंबर 2021 तक 11 महीने की अवधि में 2,498 किसानों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया। जबकि साल 2020 में 2,547 कर्ज में डूबे किसानों ने आत्महत्या की थी।

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