रबी सीजन में गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले 25 फीसदी बढ़ा

रबी सीजन

हलधर किसान (कृषि)। चालू रबी सीजन में गेहूं का रकबा पिछले साल के मुकाबले 25 फीसदी बढ़ गया है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 9 दिसंबर तक गेहूं का क्षेत्रफल 255.76 लाख हैक्टेयर पर पहुंच गया।

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में गेहूं का क्षेत्रफल काफी अधिक बढ़ा है। पिछले साल इसी समय तक गेहूं का क्षेत्रफल 203.91 लाख हैक्टेयर रहा था। गेहूं के क्षेत्रफल में अधिक बढ़ोतरी काी मुख्य वजह इसकी कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होना रहा है।

बेहतर कीमत की उम्मीद में किसानों ने गेहूं का रकबा इस बढ़ाया है।

उत्तर प्रदेश में गेहूं का क्षेत्रफल 20.09 लाख हैक्टेयर पर पहुंच गया है जबकि मध्य प्रदेश में यह 13.48 लाख हैक्टेयर रहा है राजस्थान में 5.32 लाख हैक्टेयर, गुजरात में 2.61 लाख हैक्टेयर, महाराष्ट्र में 2.43 लाख हैक्टेयर, बिहार में 2.24 लाख हैक्टेयर, पंजाब में 1.32 लाख हैक्टेयर और हरियाणा में 1.28 लाख हैक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई है।

पिछले रबी सीजन (2021-22) में गेहूं का उत्पादन घटकर 10.68 करोड़ टन रह गया था। जिसके चलते गेहूं की सरकारी खऱीद 14 साल क निचले स्तर 187.92 लाख टन पर अटक गई थी जबकि उसके पहले साल गेहूं की सरकारी खरीद 434.44 लाख टन रही थी।

उत्पादन घटने और गेहूं के निर्यात की संभावना के चलते बाजार में गेहूं की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर चली गई थी। कीमतों में तेजी के चलते सरकार ने मई में गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन उसके बावजूद गेहूं की कीमतें रिकार्ड ऊंचाई की ओर जा रही है।

बेहतर कीमत वृद्धि की संभावना ने किसानों को गेहूं का रकबा बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 9 दिसंबर, 2022 तक दालों का रकबा 127.07 लाख हैक्टेयर रहा है जो पिछले साल इसी समय तक 123.77 लाख हैक्टेयर रहा था।

इसमें चना का क्षेत्रफल 89.42 लाख हैक्टेयर रहा है जो पिछले साल 87.28 लाख हैक्टेयर था। मोटे अनाजों का क्षेत्रफल पिछले साल के 32.05 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 36.39 लाख हैक्टेयर पर पहुंच गया है।

चालू रबी सीजन में तिलहन फसलों का क्षेत्रफल 95.19 लाख हैक्टेयर पर पहुंच गया है जो पिछले साल इस समय तक 87.65 लाख हैक्टेयर रहा था।

चालू रबी सीजन में तिलहन फसलों का क्षेत्रफल 95.19 लाख हैक्टेयर पर पहुंच गया है जो पिछले साल इस समय तक 87.65 लाख हैक्टेयर रहा था। इसमें सरसों का क्षेत्रफल पिछले साल के 80.78 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 87.95 लाख हैक्टेयर पर पहुंच गया है।

रबी सीजन में सरसों ही मुख्य तिलहन फसल है। पिछले करीब डेढ़ साल में सरसों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते किसानों ने अधिक क्षेत्रफल में सरसों की बुआई की है। भारत अपनी जरूरत का 60 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है।

इस बीच गेहूं की थोक कीमतें जनवरी के मुकाबले नवंबर में 22 फीसदी बढ़कर 2721 रुपये प्रति क्विटंल पर पहुंच गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में गेहूं की कीमत 2228 रुपये प्रति क्विटंल थी।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हाल ही में राज्य सभा में बताया कि गेहूं समेत दूसरे कृषि उत्पादों की कीमतें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति पर निर्भर करती हैं।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ऑल इंडिया एवरेज के साथ पर गेहूं की कीमत जनवरी में 2228 रुपये प्रति क्विटंल, फरवरी में 2230 रुपये, मार्च में 2339 रुपये प्रति क्विटंल थी। जो अक्तूबर में 2571 रुपये प्रति क्विंटल और नवंबर में 2721 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गईं।

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