हलधर किसान। गेहूं निर्यात पर लगे प्रतिबंध और उसके बाद टूटते खरीदी के करारों के बीच अब मामला कानूनी लड़ाई तक पहुंच गया है। छोटे-मध्यम व्यापारियों से गेहूं खरीद के सौदे कर बाद में केंद्र सरकार के प्रतिबंध के नाम पर तोड़ने का आरोप बड़ी एग्री कंपनियों पर लग रहा है।
व्यापारियों ने भेजा कानूनी नोटिस
गेहूं निर्यात प्रतिबंध की लड़ाई अब कानूनी पचड़े में पड़ रही है। इंदौर के सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ ने मामले में केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण विभाग के सचिव को कानूनी नोटिस भेज दिया है। महासंघ ने मांग रखी है कि कंपनियों से सरकार के स्तर पर चर्चा कर व्यापारियों और किसानों का गेहूं खरीदी का भुगतान दिलवाया जाए। सात दिनों में मांग पूरी नहीं होने पर कानूनी कार्रवाई की धमकी भी महासंघ ने दे दी है।
नोटिस भेजने की यह वजह है
13 मई को केंद्र सरकार ने गेहूं निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया था। इसके पहले तक बड़े पैमाने पर मप्र से गेहूं निर्यातक कंपनियों को भेजा जा रहा था। सकल अनाज व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल ने सचिव को लिखा है कि कंपनियां सरकार के आदेश का हवाला देकर माल खरीदने से इन्कार कर रही है। उन्होंने कहा कि एक तरफा करार को निरस्त करना भी गैर कानूनी है। क्योंकि कंपनियां सरकार के आदेश का हवाला देकर करार तोड़ रही है इसलिए सरकार मामले में हस्तक्षेप करे और व्यापारियों को कंपनियों की ओर से पूरा भुगतान मय ब्याज के करवाए। सात दिनों में कार्रवाई की जाए।
सरकार ने नियम कड़े किए
इधर, वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 15 लाख टन गेहूं के एक्सपोर्ट के लिए आए आवेदन खारिज कर दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने गेहूं के एक्सपोर्ट के लिए लेटर्स ऑफ क्रेडिट जारी करने की प्रोसेस को थोड़ा कड़ा कर दिया है। इसके लिए कई चरण की स्क्रूटनी प्रोसेस लागू की गई, ताकि केवल उन्हीं निर्यात ऑर्डर के लिए एलसी जारी हों जो सरकार के मई महीने में गेहूं निर्यात पर लगाए गए बैन के नियमों के अनुकूल हों।
तुर्की और मिस्र ने लौटाया भारत का गेहूं
सरकार के गेहूं एक्सपोर्ट को लेकर कड़ाई के बीच कई देशों ने भारत का गेहूं लेने मना कर दिया है। पहले तुर्की ने भारतीय गेहूं में रूबेला वायरस की शिकायत होने की वजह से भारतीय गेहूं को लेने से मना कर दिया। बाद में करीब 55,000 टन इस गेहूं को मिस्र ने लेने की बात कही, लेकिन अंत में उसने भी इसे लेने से मना कर दिया।
गेहूं निर्यात प्रतिबंध नहीं हटाया जाएगा
सरकार ने फिलहाल देश से गेहूं के निर्यात पर रोक लगा रखी है। इस बैन की वजह घरेलू जरूरत को पूरा करना, बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करना और पड़ोसी एवं जरूरतमंद देशों की मदद करना है। अब सरकार की ओर से केवल उन्हीं एक्सपोर्ट ऑर्डर को पूरा करने की अनुमति है जिनके लिए 13 मई से पहले लेटर्स ऑफ क्रेडिट (LC) जारी हो चुके हैं. बाकी अन्य पड़ोसी और जरूरतमंद देशों को गेहूं का एक्सपोर्ट सरकारों के बीच डील से होगा। हाल में दावोस में पीयूष गोयल ने एक इंटरव्यू में साफ कर दिया था कि सरकार की इस बैन खत्म करने की तत्काल कोई मंशा नहीं है।