हलधर किसान. भोपाल। मानसून की जोरदार बारिश ने जहां खरीफ फसलों को जीवन दान दिया है तो वही मौसमी बीमारियां, वायरस इन फसलों के लिए खतरा बन गए है। ज्यादातर सोयाबीन की फसल प्रभावित हो रही है। लगातार बारिश के बीच यलो मोजेक की बीमारी से खेतो में खड़ी सोयाबीन फसल पीली पडऩे लगी है, इसके पत्तों में छेद नजर आने लगे हैं। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। जहां हल्की भूमि है वहां पोषक तत्वों की कमी होना इसका कारण बताया जा रहा है, वहीं जहां भूमि अच्छी है वहां पीला मोजेक का प्रकोप है। हालांकि सभी जगह अलग. अलग तरह से पत्ते पीले पडऩे की समस्या किसान बता रहे है। कृषि वैज्ञानिको के अनुसार इसके लिए टीम खेतो में समस्या जानने के लिए भेजी गई है, अब तक जो समस्या मिली है वह पोषक तत्वों की कमी होना है।
ज्यादातर असर मध्य प्रदेश के नीमच, मंदसौर, धार, खरगोन और देवास सहित अन्य जिलों में देखने को मिल रहा है। किसानों का कहना है कि अगर समय रहते पीली मोजेक की रोकथाम नही हुई तो पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। किसानों का कहना है कि अच्छी बारिश से बेहतर उत्पादन की आस थी, लेकिन बीमारी फैलने के साथ ही सोयाबीन खरीदी के फिलहाल कम दाम को देखते हुए किसान चिंतित है।
कई गांवों में सोयाबीन की फसलों पर रोग

ग्रामीण क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल में लगने वाला रोग सोयाबीन को पूरी तरह से नष्ट कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई इलाकों में सोयाबीन की फसल पूरी तरह से पीली पड़ गई है। किसानों का कहना है कि इसमें कोई ऐसा रोग हुआ है कि सोयाबीन की जड़ से लगाकर ऊपर तक पूरे पत्ते पीले पड़ रहे हैं।
किसानों का कहना है कि हमने हजारों रुपए की दवाई का छिडक़ाव कर दिया है फिर भी फसल में पीलापन नहीं जा रहा है।
खरगोन कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जीएस कुल्मी के अनुसार बताया कि पीली मोजेक एक कीट से फैलने वाला रोग है। यह व्हाइट फ्लाई के चलते सोयाबीन की फसल में फैलता है। इस रोग के कारण पौधों की पत्तियां पीली होने लगती हैं और ग्रोथ रुक जाती है। पीली मोजेक के चलते सोयाबीन के पत्तों पर पीले और भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते है। साथ ही फलियों का आकार छोटा हो जाता है और दाने सिकुड़ जाते हैं। अगर इस रोग की शुरुआत में रोकथाम कर ली जाए तो इस पर नियंत्रण किया जा सकता है।
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