जीवित पशु निर्यात करने के प्रस्ताव पर लगे रोक

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अंतर्राष्ट्रीय जैन प्रबुद्ध मंच ने केंद्रीय पशुपालन मंत्री को भेजा आपत्ति पत्र

हलधर किसान, खरगोन। केंद्र सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा पशुधन आयात और निर्यात विधेयक का ड्राफ्ट तैयार किया गया है, इस विधेयक में देश से जीवित पशुओं के निर्यात करने के प्रस्ताव पर पर अंतर्राष्ट्रीय जैन प्रबुद्ध मंच ने पशुपालन मंत्री के नाम आपत्ति पत्र भेजकर इस निर्णय पर रोक लगाने की मांग की है।
मंच के अध्यक्ष प्रितेश जैन और सचिव आशीष जैन ने बताया कि देशभर से इस प्रस्ताव का विरोध हो रहा है। प्रस्तावित बिल आश्चर्यजनक रूप से मवेशियों और जानवरों को कमोडिटी के रूप में परिभाषित करता है और उनको Óलाइव स्टॉक एक्सपोर्टÓ करने को कानूनी जामा पहनाना चाहता है। जिंदा पशु.पक्षियों एवं मवेशियों को, हेरा.फेरी कर, उनके एक्सपोर्ट को इस तरह से पुश करना, संविधान के प्रावधानों एवं भावना के खिलाफ है। वर्तमान में दुनिया भर में जिंदा पशुओं के एक्सपोर्ट की प्रथा की आलोचना की जा रही है, जिंदा पशुओं के एक्सपोर्ट को बंद करने की मांग उठ रही है। इस विधेयक के पारित होने से राष्ट्रीय पशु संपत्ति के हितों पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जबकि भारत से बड़े पैमाने पर मांस निर्यात के चलते, पशु.पक्षी वर्ग तो पहले से ही सरकार और इसकी मशीनरी की घोर उपेक्षा एवं उदासीनता का शिकार है। सरकारी स्तर पर कहीं पर तो उनके शोषण को रोकने की सीमा रेखा हो।
पशुपालन विभाग की वेबसाइट में दी गई जानकारी में बताया गया है कि आपके मंत्रालय का क्षेत्राधिकार केवल पशुओं के आयात से संबंधित मामलों तक ही सीमित है और निर्यात मामला डीजीएफटी, वाणिज्य मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए उपरोक्त प्रस्तावित विधेयक में लाया गया निर्यात का मसला, आपके मंत्रालय के कार्य क्षेत्र में नहीं आने के कारणए संपूर्ण विधेयक की कानूनी वैधता पर भी प्रश्न चिन्ह खड़े करता है। हितधारकों की जागरूकता के लिए इस प्रस्तावित विधेयक को प्रिंट मीडिया के माध्यम से उचित प्रचार दिया जाना चाहिए था, जो कि आपने नहीं दिया। इसके साथ ही हितधारकों द्वारा अपने सुझाव और टिप्पणियां प्रस्तुत करने के लिए भी सामान्यत: 60 दिनों का समय दिया जाता है, पर आपने इसके लिये केवल 10 दिनों का समय दिया जो कि नाकाफी है। इस तरह के सामान्य मानदंडों को दरकिनार करने से ऐसा प्रतीत होता है कि शायद बाहरी निहित स्वार्थ के प्रभाव में, इस विधेयक को जल्दबाजी में पास कराना चाहा जा रहा है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।
मंच और समाज की मांग है कि हम सभी पशु प्रेमियों की भावनाओं और उपरोक्त आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित विधेयक को तुरंत रद्द किया जाकर या विधेयक लेकर आयें जिसका दायरा केवल पशु.पक्षियों के आयात के मसले तक ही सीमित हो, जो कि आपके मंत्रालय के क्षेत्र में आता है।

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