परम्परागत के साथ अब आधुनिक खेती का आ गया समय: कलेक्टर वर्मा

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जिला स्तरीय कृषि मेला: वैज्ञानिको ने कि प्राकृतिक खेती अपनाने कि अपील

हलधर किसान। खरगोन शहर के बिस्टान रोड़ स्थित कृषि उपज मंडी में शुक्रवार से दो दिवसीय कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया जा रहा है। प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने मेले में वर्चुअली जुड़कर किसानों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मप्र शासन किसानों को एमएसपी वाले किसान नही बल्कि एमआरपी वाले किसान बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने कहा कि वर्तमान में कई तरह के बदलाव सभी दूर आये हैं क्यों न किसान भी अपनी खेती के तरीकों में बदलाव करें। परम्परागत खेती तो सभी किसान जानते ही है, अब समय आधुनिक खेती का आ गया है। इस दौरान कृषि स्थायी समिति के जिला अध्यक्ष पंकज बिरला, पूर्व विधायक बाबूलाल महाजन, जिला पंचायत उपाध्यक्ष बापूसिंह परिहार, जिला पंचायत सदस्यों में सिगता सोलंकी, भीमसिंह धारवे, कल्याबाई, शोभाग सिंह चौहान, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष बड़वाह वीरेंद्र भाले, उपसंचालक केके गिरवाल, कृषि आदान विक्रेता संघ के प्रदेश संगठन मंत्री विनोद जैन, जिलाध्यक्ष नरेंद्र चावला आदि उपस्थित रहे।
कृषि मेले में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके त्यागी, ड़ॉ. वायके जैन, ड़ॉ. जीएस कुल्मी, डॉ. आरके सिंह, पीएस बार्चे, उद्यानिकी कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया कि सेहत के प्रति जागरूक लोग प्राकृतिक उपज की मांग करने लगे हैं। इसके चलते प्राकृतिक खेती पर जोर दिया जा रहा है। प्राकृतिक खेती से किसानों की लागत भी घटेगी और आय भी बढ़ेगी। कम से कम एक एकड़ में प्राकृतिक खेती जरुर करेंगे। वर्तमान में कंैसर जैसी घातक बीमारी गांव-गांव तक पहुंच गई है। इसका मुख्य कारण रसायनिक खेती है। उद्यानिकी विभाग के पीएस बडोले ने सरकार द्वारा किसानों के हित में चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देते हुए इसके लाभ लेने की अपील की। ड़ॉ. वायके जैन ने किसान प्राकृतिक खेती के लिए गोबर की सड़ी खाद, ढैंचा की हरी खाद, केंचुआ खाद का प्रयोग कर सकते हैं। गौमूत्र, नीम आयल व नीम की खली का उपयोग वह कीटनाशक के रूप में कर सकते हैं। जीवाश्म बनाने की विधि भी बताई।
किसान सामूहिक रूप से जुड़े और एफपीओ बनाए
कलेक्टर ने किसानों से कहा कि किसान भी एफपीओ से जुड़कर व्यापारी भी बन सकते हैं। एआईएफ स्कीम से बड़े.बड़े वेयर हाउस और गोडाउन बना सकते हैं। साथ ही पीएमएफएमई स्कीम/ योजना में किसान खाद्य प्रसंस्करण की इकाई लगा सकते हैं। ये सब एफपीओ से जुड़कर भी संभव है। एफपीओ का एक और लाभ है। वो किसानों को उपज बेचने के बाद लाभांश भी प्रदान करता है।
स्टॉल, प्रदर्शनी पर दी जानकारी
मेले में विभिन्न खाद- बीज कंपनियों के साथ ही उद्यानिकी, आत्मा, कृषि विभाग, मतस्य विभाग, पशुपालन आदि की प्रदर्शनी एवं स्टॉल परिसर में लगाए गए। जहां किसानों ने भ्रमण कर नई किस्म के बीजों के साथ शासकिय योजनाओं, आधुनिक कृषि उपकरण आदि की जानकारी ली। कृषि अधिकारियों ने कहा कि कृषि यंत्रों, बीजों, उत्पादों, जैविक खादों के बारे में जितना अधिक से अधिक किसानों को जानकारी प्राप्त होगी, वे उसका अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
4 लाख 16 हजार हेक्टेयर में होती है खेती
कृषि उप संचालक एमएल चौहान ने बताया कि कृषि मेले में किसानों को विशेषज्ञ वैज्ञानिको द्वारा उन्नत खेती की तकनिको की जानकारी दी जा रही है। जिले में करीब 4 लाख 16 हजार हेक्टेयर में खेती होती है, जिसमें सबसे ज्यादा 2 लाख 5 हजार हेक्टेयर में केवल कपास बोया जाता है। कपास की उन्नत तकनिक एवं पैदावार बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
एक एकड़ में 35 क्विंटल कपास का किया उत्पादन
कृषि विज्ञान केंद्र और गोगावां के फार्मा कंपनी ने नई तकनिक से एक एकड़ में 35 क्विंटल कपास का उत्पादन किया है, आमतौर पर एक एकड़ में 20 क्विंटल कपास की पैदावार होती है। इस नई तकनिक से भी किसानों को रुबरु कराया गया।
सोयाबीन की 9 नई वैरायटियां कि ईजाद
उपसंचालक चौहान ने बताया कपास के साथ सोयाबीन की नई किस्मो की मेले में जानकारी दी गई। अब तक सोयाबीन की वर्षो पुरानी वैरायटी की बुआई हो रही थी, लेकिन इस वर्ष 9 नई वैरायटियां तैयार की गई है, जिसका करीब 6 हजार क्विंटल बीज उपलब्ध है। किसानों को मेले के माध्यम से नवीन वैरायटियों की जानकारी देकर उनकी आर्थिक स्थिति सुधार का प्रयास किया जा रहा है।
किसान हुए पुरस्कृत
मेले के दौरान कलेक्टर पूछा कि जो किसान एक एकड़ में 4 लाख रुपये की मिर्च की फसल ले रहा है। वो मंच से अपने अनुभव साझा कर सकते हैं। धीरेंद्र सिंह और निमगुल के किसान बनवारी कर्मा ने मंच से मिर्च उत्पादन में अपनाई अपनी तकनीक साझा की। जिला स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार से भी किसानों को सम्मानित किया। इसमें 25.25 हजार रुपये के साथ प्रमाण पत्र प्रदान किये गए। वहीं मुख्यमंत्री कृषक जीवन कल्याण योजना अंतर्गत भट्याण खुर्द के रामेश्वर पिता धन्या को 4 लाख रूपये की आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई। सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार प्राप्त करने वाले किसानों में अल्केशन गोविंद, मधुसुदन रामचन्द्र, विनोद नाना पाटील, मंशाराम परसराम, राकेश प्रतापसिंह, जगदिश गिरधारी, नानाजी राजाराम चौधरी, पंढरी भगवान, संजय गोविन्द एवं रामलाल रमेश शामिल रहे।

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