हलधर किसान। छत्तीसगढ़ सरकार रासायनिक उर्वरकों की कमी को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखेगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में केन्द्र से रासायनिक उर्वरकों की कम आपूर्ति को देखते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त को केन्द्र से समन्वय कर मांग के अनुरूप रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति के लिए पत्र लिखने को कहा है. उन्होंने अधिकारियों को मौसम की स्थिति पर नजर रखने और जहां खाद, बीज की कमी है, वहां खाद-बीज की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. बघेल ने आज यहां मुख्यमंत्री निवास में आयोजित बैठक में प्रदेश में बारिश की स्थिति, खाद-बीज की उपलब्धता, सिंचाई जलाशयों में जल भराव की स्थिति, खरीफ फसलों के एरिया और संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के उपायों की समीक्षा की. बैठक में कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे भी उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से काफी आगे है. रासायनिक उर्वरकों की कमी की पूर्ति काफी हद तक वर्मी कम्पोस्ट से की जा सकती है. आने वाले समय में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन बढ़ाना होगा. उन्होंने रासायनिक उर्वरकों के ओवर रेट की शिकायतों के प्रकरणों में कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने बारिश के दौरान संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के उपायों की समीक्षा के दौरान आवश्यक दवाओं के पर्याप्त मात्रा में भंडारण, शहरों में साफ-सफाई, जल स्रोतों, हैण्ड पम्पों की साफ-सफाई और क्लोरिनेशन कराने के निर्देश दिए.
रासायनिक खाद की कितनी कमी
बैठक में जानकारी दी गई कि खरीफ 2022 में केंद्र से यूरिया, डीएपी, एनपीके, पोटाश और सुपर फास्फेट को मिलाकर कुल 13.70 लाख मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरकों की मांग की गई थी. लेकिन छत्तीसगढ़ को मात्र 6.30 मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति केन्द्र द्वारा की गई है. मार्कफेड, सहकारी समिति और निजी क्षेत्रों में कुल 11.03 लाख मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक का भंडारण किया गया, जो खरीफ 2022 के लिए निर्धारित लक्ष्य का 81 प्रतिशत है. भण्डारण की तुलना में किसानों को समितियों और निजी क्षेत्रों को मिलाकर 67 प्रतिशत रासायनिक उर्वरकों का वितरण किया जा चुका है.
किसानों को कितना खाद मिला
अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष किसानों को पिछले वर्ष इसी अवधि में अधिक रासायनिक उर्वरकों का वितरण किया गया है. खरीफ वर्ष 2022 में 11 जुलाई तक 7.35 लाख मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरकों का वितरण किया गया. जबकि गत वर्ष की अवधि में 6.74 लाख मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरकों का वितरण किया गया था. कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने बैठक में बताया कि डीएपी उर्वरक की कमी को दूर करने के लिए किसानों को यूरिया, एनपीके, सुपर फास्फेट और पोटाश के साथ वर्मी कम्पोस्ट निर्धारित मात्रा में उपयोग करने की सलाह दी गई है.
चारागाह विकास की हुई समीक्षा
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि मनरेगा के तहत भू-जल संरक्षण और संवर्धन की संरचनाएं प्राथमिकता के साथ बनाई जाएं. इससे भू-जल स्तर में सुधार होगा. सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ेगी और ईको सिस्टम के लिए भी लाभदायक होगा. उधर, गौठानों में चारागाह विकास की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि चारे का उत्पादन करने वाले समूहों को खुले बाजार में चारा बेचने की अनुमति दी जाए, इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी.