हलधर किसान। इस समय महाराष्ट्र के कई जिलों में भारी बारिश होने के कारण किसानों में उत्साह देखा जा रहा है. पुणे के भोर तालुका में अच्छी बारिश होने के बाद किसान अब धान की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. ब्लॉक में किसान मराठी में लोक गीत भालारी गाना गाते हुए धान की खेती कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि अच्छी बारिश हो रही है. सब कुदरत की देन है और पिछले 10 दिनों से हो रही बारिश ने हम किसानों का उत्साह बढ़ा दिया है. थकान दूर करने के लिए किसान मिलके एक दूसरे को प्रेरित करने के लिए सामूहिक गीत गाते हैं. इस समय ग्रामीण क्षेत्रों के खेतों में इन खूबसूरत गीतों की आवाज सुनाई दे रही है, इसलिए कृषि गतिविधियां तेज गति से हो रही हैं. इसके अलावा चारसूत्री यानी बांध के पानी की योजना कार्यक्रम के माध्यम से भी खेती की जा रही है, इसलिए उम्मीद है उत्पादन में भी वृद्धि होगी.
राज्य में भारी बारिश ने कृषि व्यवसाय की तस्वीर बदल दी है. कई जिलों में किसानों की बुवाई काम भी पूरा हो चुका है. मराठवाड़ा और विदर्भ को खरीफ सीजन में बोई गई सोयाबीन, कपास और अरहर की फसलों ने हरा-भरा बना दिया है. वहीं अब धान की रोपाई भी शुरू हो चुकी है. विदर्भ में सबसे ज्यादा धान और कपास की खेती होती है. वहीं मराठवाड़ा में सोयाबीन तुअर और उड़द की खेती ज्यादा होती है.
दोहरी बुवाई का संकट टला
जिले में प्री-मॉनसून बारिश के बाद अब बारिश हो रही है. इससे पहले बारिश में देरी के चलते किसानों को डर सता रहा था कि कहीं दोहरी बुवाई का संकट न हो, लेकिन जिले के किसानों ने कृषि विभाग की सलाह पर ही बुवाई शुरू की और आज अच्छा समय आ गया है. अब पुणे जिले में कृषि कार्यों में तेजी आई है. दोहरी बुआई का संकट लगभग टल गया है. अब किसान धान की खेती जोरों से कर रहे हैं. जिले के भोर तालुका में पिछले कुछ दिनों से जारी मूसलाधार बारिश ने क्षेत्र के धान के खेतों में भरपूर पानी भर दिया है, इसलिए इस क्षेत्र में धान की बुआई में तेजी आई है. धान खरीफ फसल की मुख्य फसल है और किसान परिवारों के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है.
महाराष्ट्र में धान की रोपाई करते समय खेत में पारंपरिक भालारी गीत गाए जाते हैं. इस समय धान की रोपाई की तस्वीर हर तरफ देखने को मिल रही है. धान की रोपाई में किसान थक जाते हैं. शारीरिक थकान को दूर करने के लिए और रोपाई करते समय उत्साह बढ़ाने के लिए गीत गाते हैं. किसानों का कहना है की गीत गाते हुए समय कैसे बीत जाता है, पता ही नहीं चलता.