टिकाऊ कृषि के लिए कृषि अधिकारी एवं वैज्ञानिको ने प्राकृतिक खेती की दी सलाह
हलधर किसान, खरगोन । कृषि विज्ञान केंद्र सभागार में जिले के ग्रामीण कृषि विस्तार कार्यकर्ताओं का टिकाऊ कृषि के लिए प्राकृतिक खेती विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि उप संचालक कृषि एमएल चौहान ने कहा की वर्तमान में कृषि क्षेत्र में रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से मृदा और मानव स्वास्थ्य अत्यधिक प्रभावित हो रहा है, जिसका सशक्त विकल्प प्राकृतिक खेती है।
कृषकों को यह समझाइस दी जाने की आवश्यकता है कि रसायनों के उपयोग को धीरे-धीरे कम करते हुए अपने सीमित क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को अपनाएं। कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे सह संचालक अनुसंधान केंद्र योगेंद्र जैन ने कहा की प्राकृतिक खेती को समझना आज की महत्ती आवश्यकता है। यदि प्राकृतिक खेती को समझते हुए अपनाया जाता है तो निश्चित रूप से यह रासायनिक खेती से उत्पन्न हुए दुष्परिणामों को कम करने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने आह्वान करते हुए कहा की प्रशिक्षण से ज्ञान प्राप्त कर अपने क्षेत्र के कृषकों को प्राकृतिक खेती पर पूर्ण जानकारी देते हुए उन्हें प्रोत्साहित करें। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. जीएस कुलमी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा, महत्व एवं आवश्यकता के बारे में सविस्तार जानकारी दी। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने समस्त प्रतिभागीओं के समक्ष पीपीटी के माध्यम से टिकाऊ कृषि के लिए प्राकृतिक खेती विषय पर सविस्तार प्रशिक्षण प्रदान करते हुए उनका ज्ञानवर्धन किया। उन्होंने प्राकृतिक खेती के सभी आवश्यक एवं अति महत्वपूर्ण घटकों जैसे बीजामृत, घनजीवामृत, जीवामृत, नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्निअस्त्र, दशपर्नी अर्क, बाफसा, आच्छादन एवं मिश्रित फसलों इत्यादि का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. संजीव वर्मा एवं डॉ. सुनील कुमार त्यागी, तकनीकी अधिकारी विनोद मित्तोलिया, तकनीकी सहायक संतोष पटेल के अतिरिक्त कृषि विभाग के सहायक संचालक डॉ. माना सोलंकी, पियूष सोलंकी, प्रकाश ठाकुर, दीपक मालवीय, पर्वत सिंह बड़ोले, एवं अन्य अधिकारियों के अतिरिक्त 28 प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे। संचालन केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने किया तथा आभार वैज्ञानिक डॉ. सुनील कुमार त्यागी ने माना।