लहसुन उत्पादक किसान संगठित नहीं हैं इस कारण उनके साथ अन्याय नहीं हो – मुख्यमंत्री श्री चौहान

देवास, धार, मंदसौर, नीमच, रतलाम और उज्जैन की मंडियों में लगेगी लहसुन की ग्रेडिंग मशीनें

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मंडियों में लहसुन की आवक और मूल्य पर ली बैठक

हलधर किसान। लहसुन उत्पादक कृषकों को फसल के उचित दाम दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएँ। लहसुन उत्पादक किसान संगठित नहीं हैं इस कारण उनके साथ अन्याय नहीं हो। लहसुन के सही दाम दिलवाने के लिए जिला प्रशासन अपने स्तर पर कार्यवाही करे।

यह निर्देश मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लहसुन की आवक और मूल्य पर ली बैठकमें दिए।

निवास कार्यालय में बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव किसान कल्याण अजीत केसरी तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले, इस उद्देश्य से मंडियों में ग्रेडिंग की व्यवस्था स्थापित की जाए। साथ ही पश्चिम बंगाल, कर्नाटक सहित जिन राज्यों में लहसुन की माँग रहती है, वहाँ राज्य सरकार की ओर से प्रतिनिधि-मंडल भेजा जाए। बैठक में बताया गया कि देवास, धार, मंदसौर, नीमच, रतलाम और उज्जैन की मंडियों में ग्रेडिंग मशीन लगाई जाएगी। जारी वर्ष 2022-23 में अप्रैल से सितम्बर तक की अवधि में मंडियों में लहसुन की आवक गत वर्षों की तुलना में अधिक रही है।

कृषि मंत्री ने कहा था ऐसी फसल लगाई क्यो

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल का एक लहसुन के दामो को लेकर किसान से हुई बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें धार जिले का एक किसान सुनील पाटीदार लहसुन के भाव को लेकर मंत्री जी से चर्चा कर रहा है। इस ऑडियो में किसान ने कम रेट मिलने की अपनी मजबूरी और परेशानी बताई तो मंत्री ने भी अपनी बेबसी बता दी।साथ ही साथ मूंग और मटर की खेती करने का भी सुझाव दे दिया, हालांकि कमल पटेल ने उन्हें आश्वासन दिया कि कुछ करते है।

किसान और कृषि मंत्री के बीच बातचीत के अंश

  • किसान- जय श्री राम
  • कृषि मंत्री- कौन बोल रहा है?
  • किसान- जी, मैं सुनील पाटीदार बोल रहा हूं धार जिले से।
  • कृषि मंत्री- हां बोलो।
  • किसान- सर, ये लहसुन का रेट क्या है, क्या नहीं?
  • कृषि मंत्री- लहसुन का रेट मैं कहां से दूं। यार भैया.. थोड़े दिन दो महीने रुको रेट चार गुना हो जाएंगे।
  • किसान- कहां से हो जाएंगे, नई फसल आने वाली है एक महीने बाद, वही समझ में नही आ रहा।
  • कृषि मंत्री- तो फिर एक महीने बाद नई लगने वाली है, तो अब तक रेट कहां गए थे?
  • किसान- वही तो समझ नहीं आ रहा था। 700-800 तो फरवरी मार्च से चल रहे थे।
  • कृषि मंत्री- फसल कब आएगी?
  • किसान – फसल अब नवंबर में लगने वाली है। अब फरवरी में एक फसल निकल गई। मैंने आपका एक स्टेटमेंट देखा एक और नई फसल आ रही है।
  • कृषि मंत्री- सुनो, मेरे पास कृषि विभाग है इसमें ये लहसुन-प्याज आता ही नहीं हैं। ये उद्यानिकी में आता है उद्यानिकी मंत्री से बात करो। मैं किसान हूं इसलिए तुम्हारा सपोर्ट करता हूं। मैं किसान के लिए कृषि मंत्री और कृषि मंत्री से इसका निर्यात खोलने की मांग करके आया हूं। निर्यात खुला हुआ है। कभी-कभी तुमको रेट डबल-ट्रिपल मिलता है।
  • किसान- वो तो मिलते हैं, मगर अभी दो साल से किसान परेशान हो रहा है।
  • कृषि मंत्री- तो ऐसी चीजें मत बोओ, जिसके रेट अच्छे मिलें वो उगाओ।
  • किसान- कौन सी फसल बोएं? प्याज के भी रेट ऐसे मिल रहे। किसान की लागत नहीं निकल रही। सोयाबीन भी राउस आ गए। फसल खराब हो गई। कोई अधिकारी धार जिले में सर्वे को भी नहीं आ रहा।
  • कृषि मंत्री- मूंग की फसल उगाओ, उसमें बहुत कमाई हो रही है।
  • किसान- धार जिले में मूंग होती नहीं है। हमारे जिले में सोयाबीन, मटर, गेहूं की खेती होती है।
  • कृषि मंत्री- अरे, तुम्हारे यहां तो नर्मदा जी की पाइप लाइन है न।
  • किसान- अभी कहां आई नर्मदा जी की पाइप लाइन उसे आने में तो सालों लग जाएंगे।
  • कृषि मंत्री- चलो ठीक है। तुम्हारे लिए कुछ करते हैं।

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