व्यापारियों ने कहा सरकार सोसायटियों के साथ व्यापारियों को भी उपलब्ध कराए
हलधर किसान, इंदौर। मानसून विदाई के बाद अक्टूबर से रबी फसलों की बुआई का सीजन शुरू हो जाता है। किसान खेतों की तैयारी, प्रशासन बीज, खाद उपलब्ध कराने की व्यवस्थाओं में जुट गया है। इस बीच खाद व्यवस्था को लेकर फिर सवाल उठने लगे है। शासन स्तर पर यूरिया की कमी बताकर अन्य खादों के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है, वहीं खाद व्यवसाय से जुड़े संगठन शासन की खाद उपलब्ध कराने की नीति पर सवाल उठा रहे है।
जागरुक कृषि आदान विक्रेता संघ इंदौर अध्यक्ष श्रीकृष्णा दुबे ने बताया कि बीते वर्षों में खाद की कमी को ध्यान में रखते हुए किसान बाजार से लेकर सोसायटी तक दौड़ लगा रहे हैं। लेकिन, उन्हें निराशा हाथ लग रही है। वर्तमान में पर्याप्त मात्रा मेें न तो सोसायटी न ही खुले बाजार में खाद पहुंचा है। जब भी किसी वस्तु की मांग व आपूर्ति में संतुलन बिगड़ जाता है, तो उस वस्तु की कालाबाजारी शुरू हो जाती है। बाजार में सामान मिलने में थोड़ी सी भी देर हो जाती है, तो कालाबाजारी का माहौल बन जाता है। जबकि शासन कई बार व्यापारी को खाद की कमी के लिए जिम्मेदार ठहराकर अपनी खामियों को छिपाता है|

व्यापारी और सोसायटी में हो समान व्यवहार
ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र सरकार से भेजी गई उर्वरक में 80 प्रतिशत सोसायटी जबकि महज 20 प्रतिशत व्यापारी को दी जाती है। इतने बड़े अंतर के बावजूद अधिक दाम पर बेचने, नकली खाद बेचने का आरोप व्यापारी पर लगाया जाता है। सरकार को इस नीति में बदलाव की महती आवश्यकता है। शासन को चाहिए कि खाद की जांच के दौरान सोसायटी और व्यापारी से समान व्यवहार हो, सैंपल पैक बोरी से लिया जाता है, ऐसे में सैंपल फेल होने पर संबंधित कंपनी को आरोपी बनाया जाए, लेकिन ऐसा नही होता। विभाग व्यापारी को जिम्मेदार ठहराता है, वही सोसायटी में सैंपल फेल होने पर विभाग का रवैया बदल जाता है, महज चेतावनी तक कार्रवाई सीमित रहती है। इसके लिये संगठन प्रदेशभर में अभियान चलाकर व्यापारियों के साथ शासन को मांगपत्र भेजेगा।
50-50 के अनुपात में उपलब्ध कराए खाद
दुबे ने सुझाव देते हुए शासन से मांग की है कि बाजार में खाद की कमी न हो, इसके लिए शासन को अपनी नीति में बदलाव करना होगा। सोसायटी के साथ खुले बाजार में भी 50- 50 प्रतिशत उर्वरक उपलब्ध कराई जाए, जिससे कालाबाजारी पर रोक लगने के साथ ही किसान को समय पर खाद उपलब्ध हो सकेगा। क्योंकि सोसायटी में कई किसानों के खाते कालातीत होने या खाते ही नही होने से वह खुले बाजार पर आश्रित रहता है। इसके अलावा थोक व्यापारी के साथ ही फुटकर व्यवसायी तक भी खाद पहुंचे।
हर सरकार में होता रहा व्यापारी के साथ छल
- वितरण व्यवस्था :- सेक्टर प्राइवेट हो या सरकारी /सहकारी माल वितरण का अनुपात 50-50 प्रतिशत समान होना चाहिए।
- सैंपल नमूना टारगेट :- विभाग के अधिकारियों को प्राइवेट दुकानों से नमूने लेने का टारगेट 80% से 85% दिया जाता है और सरकारी केंद्रों से १०%से २०% सैंपल लिए जाते है।
- सैंपल अमानक होने पर कार्यवाही : – जब सैंपल सील बंद बोरी मेसे लिया जाता है तो अमानक होने पर प्राइवेट व्यापारी को दोषी मानकर उसके खिलाफ कार्यवाही की जाती है और सरकारी / सहकारी को कार्यवाही से मुक्त रखते हुए केवल फॉर्मल चेतावनी दे दी जाती है ।
- टैगिंग : – प्राइवेट व्यापारी को सरकारी व ग़ैर सरकारी सभी कम्पनिया उर्वरकों के साथ अनेक प्रकार के माल की टैगिंग करती है।
- सामाजिक दायित्व :- जब कोई आपदा या कोई सामाजिक दायित्वों की पूर्ति के व्यक्त इन सभी को प्राइवेट व्यापारी और उनके संगठनों की याद आती है ।
इन सभी बिन्दुओ में पक्षपात साफ़ दिख रहा है, भविष्य में भी इसी प्रकार चलता रहा तो प्राइवेट व्यापारियों का पतन तय है। वर्तमान में भी कई व्यापारी अपना व्यापार समेटने की ओर है ।