पशुपालकों को सशक्त बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

पशुपालकों को सशक्त बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

हलधर किसान खरगोन। बीएसएस माइक्रोफाइनेंस के सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत बीएफ लाइव्लीहुड्स मध्यप्रदेश द्वारा संचालित पशुधन विकास कार्यक्रम ने पशुपालकों को आत्मनिर्भर और प्रगतिशील बनाने की दिशा में एक और उल्लेखनीय कदम उठाया है। खरगोन जिले के पशुधन विकास केंद्र बाड़ी और अन्दड के अंतर्गत आने वाले ग्राम डाबा विकास खण्ड कसरावद और ग्राम देवला विकास खण्ड भीकनगाव  में पशुपालन प्रबंधन पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें कुल 137 उत्साही पशुपालकों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण का उद्देश्य और विषयवस्तु:-

कार्यक्रम का उद्देश्य पशुपालकों को आधुनिक और वैज्ञानिक पशुपालन तकनीकों से परिचित कराना था, ताकि वे न केवल अपने व्यवसाय में उन्नति करें, बल्कि अपने जीवन स्तर में भी सुधार ला सकें।

प्रशिक्षण के दौरान निम्नलिखित विषयों पर गहन जानकारी दी गई:-

पशुओं की नस्ल सुधार और बेहतर प्रजनन प्रबंधन, पोषण और आहार में सूखे और हरे चारे का सही अनुपात, टीकाकरण और रोग नियंत्रण की तकनीक, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के उन्नत उपाय, गौमूत्र और गोबर के बहुउपयोगी लाभ रहा जिसमें डॉ. राकेश पांडे और डॉ. सौरभ राजवैद्य जैसे अनुभवी पशुपालन विशेषज्ञों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और अपने व्यावहारिक अनुभव से पशुपालकों को लाभान्वित किया। उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण और उन्नत तकनीकों को अपनाने के महत्व को रेखांकित करते हुए उपयोगी सुझाव दिए।

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हरे चारे के क्षेत्र में वृद्धि पर तकनीक चर्चा:-

बाएफ के जिला कार्यक्रम अधिकारी डी.एन. बैरागी ने हाइब्रिड नेपियर घास बाएफ बीएनएच-11 किस्म के क्षेत्र में वृद्धि करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस किस्म से क्षेत्र में हरे चारे की कमी दूर होगी और पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी। उन्होने बताया कि उपरोक्त किस्त के वर्षभर उपलब्ध होने वाले चारे की नर्सरी चयनित किसानों के यहा स्थापित की गयी है।

प्रेरणादायक शुरुआत और सफल समापन:-

कार्यक्रम का आयोजन और संचालन बेहद प्रभावी ढंग से किया गया। अंत में केंद्र प्रभारी पवन बर्वे और सोकत खान ने सभी का आभार व्यक्त किया।

दीर्घकालिक प्रभाव: यह कार्यक्रम न केवल पशुपालकों के ज्ञानवर्धन का माध्यम बना, बल्कि उन्हें अपने व्यवसाय को आधुनिक तकनीकों के साथ आगे बढ़ाने की प्रेरणा भी दी। इस तरह की पहल से क्षेत्रीय पशुपालन में स्थायित्व और नवाचार को नई दिशा मिलेगी।

यह पहल पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ ग्रामीण विकास की कहानी को भी नया आयाम देने का काम कर रही है।

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