खरगोन में पशुधन विकास की नई पहल: काउ फिट डिवाइस से स्वास्थ्य प्रबन्धन प्रणाली की शुरुआत

खरगोन में पशुधन विकास की नई पहल

हलधर किसान अंदड।  मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में पशुधन विकास को नई दिशा देने के लिए बाएफ लाइव्लीहुड्स ने काउ फिट डिवाइस लगाकर स्वास्थ्य प्रबन्धन प्रणाली की शुरुआत की है। जिला पंचायत खरगोन के मार्गदर्शन में बीएसएस माइक्रोफायनेंस के सामाजिक उत्तरदायित्व कार्यक्रम के तहत काउ फिट डिवाईस की तकनीक का उपयोग बाएफ लाइव्लीहुड्स द्वारा पशुपालकों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सशक्त बनाने के लिए किया जा रहा है।

बाएफ लाइव्लीहुड्स के जिला कार्यक्रम अधिकारी डी.एन. बैरागी द्वारा बताया गया कि पशुपालन विभाग के तकनीकी सुझाव अनुसार डाबा गांव के प्रदीप मीणा और दिनेश मीणा की 10 निमाड़ी गायों में यह डिवाइस स्थापित किया गया है। यह डिवाइस गायों के स्वास्थ्य, प्रजनन और पोषण की निगरानी में मदद करता है, जिससे बीमारियों का समय पर पता चलता है और दूध उत्पादन में सुधार होता है।

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काउ फिट डिवाइस के मुख्य लाभ:

1. स्वास्थ्य की निगरानीरू गतिविधियों, तापमान और हृदय गति पर नजर रखता है।

2. प्रजनन में सुधाररू सही समय पर कृत्रिम गर्भाधान सुनिश्चित करता है।

3. आहार प्रबंधन: आहार संबंधी समस्याओं का पता लगाता है।

4. स्थान ट्रैकिंग: गायों की सटीक स्थिति की जानकारी।

5. डेटा विश्लेषणः पशुपालकों को बेहतर निर्णय लेने में मदद।

काउ फिट डिवाइस की इंस्टालेशन प्रक्रिया को देखने के लिए बाएफ लाइव्लीहुड्स भोपाल से आये राज्य प्रमुख पवन पाटीदार और रीजनल इंचार्ज जे.एल. पाटीदार ने डाबा का दौरा किया। उन्होंने स्थानीय पशुपालकों के साथ चर्चा कर डिवाइस की उपयोगिता और इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला।

पशुपालकों की प्रतिक्रिया: प्रदीप मीणा और दिनेश मीणा ने इसे वैज्ञानिक पशुपालन की दिशा में बड़ा कदम बताते हुए अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, काउ फिट डिवाइस ने हमारी गायों के स्वास्थ्य और प्रजनन में अवश्य सुधार होगा। काउ फिट डिवाइस के अपने अनुभवों को अन्य गांवों के पशुपालकों के साथ भी साझा करेगें।

भविष्य की संभावनाएं: राज्य प्रमुख पाटीदार ने कहा, खरगोन में यह पहल प्रदेश के अन्य जिलों के लिए एक मॉडल साबित होगी। इससे पशुपालन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाकर पशुपालकों की सतत् आजीविका को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी। रीजनल इंचार्ज जे.एल.पाटीदार द्वारा बताया गया कि पशुपालन में नवाचार और तकनीकी प्रगति का यह संयोजन न केवल पशुपालकों के लिए लाभकारी है, बल्कि यह स्थायी ग्रामीण विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी है।

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