लाखों की नौकरी छोड़ गांव में शुरू की जैविक खेती, 150 विदेशी शोधार्थियों को सिखा चुके हैं जैविक खेती के गुर

गांव में शुरू की जैविक खेती

हलधर किसान (सफलता की कहानी)। राजस्थान का डूंगरपुर जिले के लीलवासा ग्राम पंचायत क्षेत्र के चुंडियावाडा गांव इन दिनों विदेशी पर्यटकों को बेहद लुभा रहा है। यह जमावड़ा क्रिसमस या नये साल का जश्न मनाने के लिये नही बल्कि आर्गेनिक खेती और पशुपालन के देशी गुर सीखने के लिए लगा रहा है। यहां गांव के ही ईश्वर सिंह राठौड़ के फार्म हॉउस पर यह विदेशी मेहमान रुके है। 

ईश्वर सिंह वर्ष 2004 तक बड़े शहरों में कार्पोरेट जॉब करते थे, लेकिन लाखों का पैकेज की नौकरी छोड़कर अपने चुंडियावाड़ा गांव आ गए और करीब 18 बीघा जमीन पर फार्महाउस बनाकर जैविक खेती कर रहे है और आस-पास गांवों को ही नहीं, बल्कि विदेशी शोधार्थियों को भी जैविक खेती के गुर सिखा रहे हैं. 

विदेशी शोधार्थियों

विदेशी मेहमान स्टीवन व थॉमस का कहना है कि भारत की प्रकृति बहुत ही अच्छी है. गांवों में रहकर जैविक खेती, पशुओं का दूध दुहना, चारा डालना, फसल काटना आदि सब काम कर रहे है.

जैविक खेती को समय की मांग बताते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए उक्त संस्था से जुड़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि यहां के बारे में संस्था से ही पता चला है, जिसके बाद जैविक खेती व पशुपालन का कार्य सीखने चुंडियावाडा गांव आ गए है. 

 पिछले 17 वर्षो से विदेशी सैलानी फार्म हाउस पर पहुंच रहे है, जहां वो जैविक कृषि के गुर सीख रहे हैं और आज भी यह सिलसिला जारी है. दिसंबर माह में भी फ्रांस, स्वीडन व इंग्लैंड से कई विदेशी शोधार्थियों का चुंडियावाडा गांव पहुंचा है.

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