हलधर किसान(सफलता की कहानी)। शीत मरुस्थल के नाम से विख्यात लाहुल स्पीति जिले के स्पीति घाटी के किसान प्राकृतिक खेती से किस्मत चमका रहे हैं। किसानों ने इस साल मटर की 12 करोड़ रुपये से अधिक की फसल बेची है। हर किसान ने तीन से चार लाख रुपये का लाभ अर्जित किया है।
रसायनमुक्त मटर के मार्केट में किसानों को मुंह मांगे दाम मिले हैं। किसानों को इस बार खेत में ही मटर के 65 से 85 रुपये प्रति किलो दाम मिले हैं। पहले मटर 40 से 50 रुपये प्रति किलो तक बिकता था। जबसे किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनाई है उससे उन्हें उत्पाद के अच्छे दाम मिल रहे हैं।
किसानों ने 1200 क्विंटल किया मटर का उत्पादन
स्पीति घाटी में किसानों ने 89.6 हेक्टेयर भूमि में मटर की खेती की थी। करीब 1200 क्विंटल उत्पादन हुआ है। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आतमा प्रोजेक्ट) के तहत क्षेत्र के किसानों को 2020 से प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करने की मुहिम शुरू हुई थी। 314 किसानों का पंजीकरण कर उन्हें प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया।

जीवामृत व अन्य जैविक खाद तैयार करने की विधि बताई गई थी। मटर ही नहीं स्पीति घाटी के किसान फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली, मूली व पालक का प्राकृतिक रूप से उत्पादन कर रहे हैं।
हाथोंहाथ बिक रहे प्राकृतिक खेती के उत्पाद
प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पाद होटल, रेस्टोरेंट व होम स्टे संचालक हाथोंहाथ खरीद रहे हैं। स्पीति घाटी में घूमने आने वाले पर्यटक इन उत्पादों की मांग कर रहे हैं। स्पीति घाटी के बागवान भी अब इसी विधि से सेब उत्पादन करने की ओर आकर्षित हुए हैं।
15 से अधिक बागवानों व कृषि विज्ञान केंद्र ताबो ने सेब का उत्पादन कर नई मिसाल पेश की है। प्रगतिशील किसान यशे डोलमा का कहना है कि वह अपने खेत में किसी भी प्रकार के कीटनाशक व रसायन का प्रयोग नहीं करती हैं। गोमूत्र व अन्य जैविक आधारित उत्पाद का प्रयोग कर सब्जियां उगा रही हैं। प्राकृतिक उत्पादों की बाजार में ज्यादा मांग है।