हलधर किसान (पंजाब)। राज्य में पराली मशीनरी प्रबंधन को लेकर खरीदी में हुए कथित घोटाले की जांच शुरु हो गई है। करीब डेढ़ साल बाद यह जांच आगे बढ़ी है। इससे पहले मामले में इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) की ओर से करीब डेढ़ साल पहले कृषि विभाग को नोटिस भेज कर रिकॉर्ड मांगा गया था।
नोटिस में सहायक उप.निरीक्षकों, कृषि विकास अधिकारियों, कृषि विस्तार अधिकारियों और कृषि अधिकारियों का भी नाम शामिल है, कहा जा रहा है कि जांच में पता चला है कि केंद्र सरकार की सब्सिडी से खरीदी गई 90,422 फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों में से लगभग 11,000 मशीनें गायब पाई गई हैं।
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिकख् साल 2018.19 और साल 2021.22 में किसानों के बीच मशीनें बांटी गई थीं। यह आरोप लगाया गया है कि लगभग 140 करोड़ रुपये की मशीनें किसानों तक कभी नहीं पहुंचीं और कथित तौर पर फर्जी बिल जमा करके धन का गबन किया गया।
इन चार साल के दौरान केंद्र सरकार ने मशीनों की खरीद के लिए राज्य सरकार को 1178 करोड़ रुपये दिये। खास बात यह है कि जिन जिलों में सबसे ज्यादा मशीनें गायब पाई गईं है, उनमें फरीदकोट, फिरोजपुर, अमृतसर, गुरदासपुर, फाजिल्का, बठिंडा, मोगा और पटियाला का नाम शामिल है।
इन्हें केंद्र प्रायोजित फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने की योजना के तहत 2018.19 और 2021.22 के बीच वितरित की गईं। सभी पराली प्रबंधन मशीनों के भौतिक सत्यापन के बाद जारी किया गया है।

विशेष मुख्य सचिव, कृषि केएपी सिन्हा ने नोटिस की पुष्टि की है, उन्होंने कहा है कि जिन जिलों में सबसे ज्यादा मशीनें गायब पाई गईं, उनमें फरीदकोट, फिरोजपुर, अमृतसर, गुरदासपुर, फाजिल्का, बठिंडा, मोगा और पटियाला शामिल हैं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक टीम ने एक क्षेत्रीय सर्वेक्षण किया था और योजना के तहत स्थापित कस्टम.हायरिंग केंद्रों का पता नहीं लगा सकी थी।
अब मशीन खरीद घोटाले में राज्य सरकार की ओर से नोटिस जारी करके 15 दिनों में जवाब मांगा गया है। राज्य सरकार की ओर से 2018.19 और 2021.22 के दौरान सूबे में पराली प्रबंधन को लेकर 90422 मशीनें किसानों, रजिस्टर्ड फार्म, ग्रुपों, सहकारी सभाओं और पंचायतों को दी गई थी।
- औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देगा इंदौर कृषि विभाग
- मोदी सरकार में 25 करोड़ गरीबो का हुआ उत्थान, नीति आयोग की रिपोर्ट खुलासा
जब सरकार की ओर से मशीनों की जमीनी तौर पर वेरीफिकेशन की तो 11275 मशीनें लगभग 13 फीसद गायब पाई गई। उक्त समय के दौरान मशीनरी के लिए 1178 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
जांच में सामने आया कि 140 करोड़ रुपए की मशीनें कभी किसानों तक पहुंची ही नहीं। शंका है कि जाली बिल लगाकर फंड का गबन किया गया। अब राज्य के अलग अलग जिलों में तैनात सहायक सब इंस्पेक्टरों, खेतीबाड़ी विकास अफसरों, खेती विस्तार अफसरों व कुछ खेतीबाड़ी अफसरों को नोटिस जारी किए गए है।