हलधर किसान(आर्थिक)। नीति आयोग ने देश में करीब 25 करोड़ लोगों के गरीबी से बाहर आने के बारे में जो रिपोर्ट जारी की है उसके अनुसार सरकार की कई पहलों के कारण यह सफलता हासिल हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसी उल्लेखनीय पहलों ने स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि की है,
जिससे वंचित रहने में काफी कमी आई है। इसके अलावा दुनिया के सबसे बड़े खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों में से एक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली 81.35 करोड़ लाभार्थियों को कवर करती है। इसके तहत ग्रामीण और शहरी आबादी को अन्न दिया जाता है।
नीति आयोग ने देश में गरीबी को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. आयोग 2022-23 के लिए जारी रिपोर्ट में कहा कि पिछले 9 साल में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं.
प्रमुख राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई. नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बहुआयामी गरीबी 2013-14 में 29.17 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में मात्र 11.28 प्रतिशत रह गई है. इस अवधि के दौरान लगभग 24.82 करोड़ लोग इस ब्रैकेट से बाहर निकल गए.
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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त खाद्यान्न वितरण को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ाना, सरकार की प्रतिबद्धता का उदाहरण है। रिपोर्ट के अनुसार मातृ स्वास्थ्य का समाधान करने वाले विभिन्न कार्यक्रम, उज्ज्वला योजना के माध्यम से स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन वितरण, सौभाग्य के माध्यम से बिजली कवरेज में सुधार, और स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसे परिवर्तनकारी अभियानों ने सामूहिक रूप से लोगों की रहने की स्थिति और समग्र कल्याण की स्थिति में सुधार किया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री जन धन योजना और पीएम आवास योजना जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने वित्तीय समावेशन और वंचितों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अलग-अलग रहा राज्यों का प्रदर्शन
रिपोर्ट के मुताबिक राज्यों का प्रदर्शन अलग-अलग रहा। कुछ राज्यों में जहां परंपरागत रूप से अत्यधिक गरीबी थी, उन्होंने लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। इससे दो राज्यों के बीच बहुआयामी गरीबी में असमानता कम हुई है। इससे बुनियादी सेवाओं तक पहुंच में आने वाली मूलभूत समस्याओं का तेजी से समाधान हो रहा है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर में सुधार
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभाव को मापती है. यह 12 सतत विकास लक्ष्यों-संरेखित संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं.
12 सतत विकास लक्ष्यों में क्या-क्या हैं शामिल?
इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं. नीति आयोग का राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) गरीबी दर में गिरावट का आकलन करने के लिए अल्किरे फोस्टर पद्धति का उपयोग करता है, हालांकि राष्ट्रीय एमपीआई में 12 संकेतक शामिल हैं, जबकि वैश्विक एमपीआई में 10 संकेतक शामिल हैं.

किस राज्य से कितने लोग गरीबी रेखा से हुए बाहर?
उत्तर प्रदेश में पिछले 9 वर्षों में सबसे ज्यादा 5.94 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं. दूसरे नंबर पर बिहार है, जहां 3.77 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं, जबकि मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ और राजस्थान में 1.87 करोड़ लोग गरीबी रेखा से निकले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक गरीब राज्यों में बेहद तेज रफ्तार के साथ गरीबी घटी है जिससे आर्थिक असामनता में कमी आई है.
एमपीएस में हुआ सुधार
पिछले 9 साल में एमपीएस के सभी 12 संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. मीडिया को संबोधित करते हुए, नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि 9 सालों में 24.82 लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले, यानी हर साल 2.75 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकल रहे हैं.