नवाचार: गोबर खाद से तैयार किया खेत, लहलहा रही गेहूं की फसल

रासायनिक खेती कितनी खतरनाक

प्रगतिशील कृषक दौलत माली ने 3 एकड़ रकबे में तैयार कि गोबर खाद, जैविक खेती से तैयार किया खेत

हलधर किसान। सहज और सरल तरीके से कैसे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ाई जा सकती है यह राह प्रगतिशील किसान दौलत माली ने दिखाई है। उन्होंने साल दर साल कम हो रहे उत्पादन को बढ़ाने के लिए नवाचार के रुप में दोबारा जैविक खेती की ओर रुख कि और उसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे है।

श्री माली ने हलधर किसान को बताया कि वे 9 एकड़ रकबे में खेती करते है। भेड चाल के दौर में वे भी परंपरागत खेती छोड़कर रसायनिक की ओर चल पड़े थे। शुरुआत में अधिक उत्पादन मिलने से इसी पर आश्रित हो गए थे,

नवाचार: गोबर खाद से तैयार किया खेत, लहलहा रही गेहूं की फसल

लेकिन पिछले कुछ समय से मौसम में आए बदलाव और मिट्टी की कम होती उपजाऊ क्षमता के चलते उत्पादन कम होने लगा था, जिसे बढ़ाने के लिए उन्होंने 3 एकड़ रकबे में रबी सीजन में खेत को गोबर खाद से तैयार कराया। इसके बाद गेहंू बीज की बुआई की। वर्तमान में फसल करीब 3 माह की हो गई है, जैविक और रसायनिक दोनो तरह की लगाई फसल में साफ अंतर नजर आ रहा है। जैविक तरीके से तैयार कि गई गेहंू फसल की बाली  अधिक होने के साथ ही दाना मोटा है, जबकि रसायनिक फसल की हाईट कम होकर बाली मेें दाने भी कम है। 

रासायनिक खाद और अन्य जहरीले रसायनों से बर्बाद हो रही खेती

श्री माली ने बताया कि  रासायनिक खाद और अन्य जहरीले रसायनों के इस्तेमाल से खेती बर्बाद हो रही है। भूमि में आर्गेनिक कार्बन, मित्र सूक्ष्म जीव, मित्र फंगस और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है।

गोबर की विभिन्न तरह की खादों और अन्य जैविक खादों का प्रयोग लगभग न के बराबर हो रहा है। या बिल्कुल बंद कर दिया गया है। अपने अनुभव का हवाला देते हुए श्री माली ने बताया कि जैविक खाद से उत्पादन पर उपज का भाव भी अधिक मिल रहा है। इस प्रयोग से उपज की कीमत अधिक मिलने के साथ ही बिकने में भी समय नहीं लगता है।  

उन्होंने कहा जैविक खाद की ताकत किसी रासायनिक खाद से कम नहीं होती है। गोबर की खाद जिसे किसान खेतों में डालना भूल गये हैं। उसी से बनी खाद से पहाड़ी पर फसल लहलहा सकती है। यहीं नहीं लगातार जैविक खाद के प्रयोग से फायदा यह हुआ कि आस.पास के खेतों के मुकाबले इस जमीन में सूक्ष्म तत्वों  में भी इजाफा हुआ है।

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यहां पर केवल जैविक खाद ही मिट्टी में नहीं डाली जा रही है बल्कि जैव विविधता पर ध्यान दिया जा रहा है।   श्री माली ने कहा कि आगे वह अब पूरे खेत में जैविक खेती करेंगे। इसमें न केवल जैविक तरीके से खेत तैयार करें बल्कि फसलों में भी जैविक घोलों का उपयोग करेंगे, जिससे जहरीली फसल के बजाय सेहत के लिए फायदेमंद फसलों का उत्पादन हो।

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