संसार के मायाजाल से निकालकर आत्म मिलन का माध्यम है पर्युषण पर्व: पंडित श्रुत जैन

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हलधर किसान खरगोन। हमें अपने जीवन में किसी भी प्रकार की मायाचारी या छल.कपट नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे हमारा जीवन कष्टमय हो जाता है। गुरु से कपट अरु मित्र से चोरी, या हो निर्धन या हो कोढ़ी…। यह दस दिवसीय महापर्व हमें संसार के मायाजाल से निकाल कर अपनी आत्मा से मिलन कराता है।
उक्त उद्गार 10 दिवयीय पर्युषण पर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म का वर्णन करते हुए सांगानेर से पधारे पं. श्रुत जैन शास्त्री ने टेगौर पार्क स्थित श्री पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में व्यक्त किए।
समाज अध्यक्ष विनोद जैन ने बताया कि भगवान् महावीर स्वामी को मोक्ष गए लगभग 2549 वर्ष हो गए लेकिन उनके द्वारा बताये गए सिद्धांत अभी तक जीवंत हैं। पर्युषण पर्व के दौरानसमस्त श्रावक.श्राविका पूर्ण रूप से संयम का पालन करते हुए ज्ञान, ध्यान, तप में लीन होकर की आराधना कर रहे है। इस अवसर पर सुहाग दशमी व्रत कथा का नाटक का मंचन श्रीमती सोनिया गोधा के संचालन में श्रीमती मुक्ति जैन, श्रीमती नेहा, श्रीमती रजनी अजमेरा, श्रीमती रीना जैन, रत्ना, आरती, जुली, रंजनी जैन ने किया। विभिन्न पात्र निभाते हुए समाज की इन महिलाओं ने अपने अभिनय से सभी का ध्यान अपनी ओर खिंचा।

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