बीज कानून पाठशाला:13 “नई केन्द्रीय बीज परिक्षणशालाएँ”

beej kanun pathshala

हलधर किसान इंदौर : बीज कृषि उत्पाद का मुख्य आदान है और इसका परिक्षण बीज अधिनियम की धारा-4 (2) के अनुसार राज्य द्वारा स्थापित या घोषित बीज परिक्षणशाला के द्वारा की जाती है। बीज निरीक्षक अपने अधिकार का प्रयोग करते समय कानूनी विधि द्वारा सैम्पल निकाल कर अधिसूचित राज्य बीज परिक्षणशाला में भेजता है। यदि परिणाम भारतीय न्यूनतम बीज मानकों से कम आता है तो बीज निरीक्षक या लाइसेंसिंग अधिकारी को कोई प्रशासनिक विधिक कार्यवाही नहीं करनी चाहिए क्योंकि राज्य बीज परिक्षणशाला का परिणाम निर्णायक (Conclusive) नहीं होता।

1. केन्द्रीय बीज परिक्षणशाला पद्धति :-

राज्य बीज परिक्षणशाला के परिणाम की बीज अधिनियम 1966 की धारा-16(2) के अनुसार भारत सरकार द्वारा अधिसूचित केन्द्रीय बीज परिक्षणशाला से पुष्टि करवा कर बीज निरीक्षक कोई भी कार्यवाही कर सकता है। परन्तु यहाँ आरोपी बीज विक्रेता के खिलाफ बीज निरीक्षक को न्यायालय में वाद डालना होगा और आरोपी व्यापारी के न्यायालय में हाजिर होने पर उसका पुनः परिक्षण का अधिकार उपजेगा। आरोपी व्यापारी अपने लॉट को निर्दोष साबित करने के लिए पुनः परिक्षण की इच्छा प्रकट करेगा और न्यायालय के माध्यम से बीज व्यापारी के या बीज निरीक्षक के पास उपलब्ध गार्ड सैम्पल का परिक्षण करवाना होगा। इस प्रकार बीज निरीक्षक या बीज लाइसैंस अधिकारी की लाइसैंस निलम्बित या निरस्तीकरण की कार्यवाही से निजात मिल जायेगी।

बीज का जीवन काल :-

बीज व्यापारी जब न्यायालय के समन पर प्रथम बार न्यायालय में उपस्थित होता है तो वह रिसैम्पलिंग करवाने से पूर्व अपने बीज की वैधता (Validity) जाँच ले। यदि बीज का जीवनकाल समाप्त हो गया है तो न्यायालय के संज्ञान में लाए और रिसैम्पलिंग से मना कर दे। उत्तर प्रदेश की एक कम्पनी ने न्यायालय में उपस्थित होने पर पाया कि उसके बीज का जीवन काल 05.09.2023 को समाप्त हो गया और उस लॉट का परिणाम 15.09.2023 को आया। आरोपी ने केन्द्रीय परिक्षण शाला से रिसैम्पलिंग करवाने से मना कर दिया। क्योंकि उसके बीज लॉट का जीवनकाल (Validity) समाप्त हो गया था। इसी तरह बीज कम्पनी के एक लॉट की Validity 31.12.2023 तक थी उससे पहले न्यायालय से समन आया, व्यापारी उपस्थित हुआ और रिसैम्पलिंग करवाने की इच्छा प्रकट की न्यायालय ने रिसैम्पलिंग की तिथि 05.01.2024 दी। आरोपी कम्पनी ने 05.01.2024 को न्यायालय में उपस्थित होकर रिसैम्पलिंग करवाने से मना कर दिया क्योंकि बीज का 9 माह का जीवनकाल समाप्त हो गया था। निर्णय व्यापारी के हक में हुआ।

2. केन्द्रीय बीज परक्षिणशाला :-

वर्ष 1966 में बीज अधिनियम लागू होने पर भारत सरकार ने एक केन्द्रीय बीज परिक्षणशाला भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान आई०ए०आर०आई० पूसा में वर्ष 1961 में स्थापित की और 1969 में अधिसूचना S.O. 4435 दिनांक 29.09.1969 के द्वारा अधिसूचित की। भारत सरकार के निर्णय के कारण केन्द्रीय बीज परिक्षणशाला वर्ष 2007 में नेशनल सीड रिसर्च एवं ट्रैनिंग सैन्टर कलक्ट्री फार्म ग्रान्ड ट्रक रोड़, वाराणसी में स्थानान्तरित हो गई और अधिसूचना S.O. 331 क दिनांक 08.03.2007 के द्वारा अधिसूचित केन्द्रीय बीज परिक्षणशाला हो गई। केन्द्रीय बीज परिक्षणशाला में केवल विवादित परिणाम की पुष्टि हेतु ही रिसैम्पलिंग करवाई जाती है।

नई केन्द्रीय बीज परिक्षणशालाओं की आवश्यकता :-

बीज अधिनियम-1966 के शुरूआती सालों में विवादित मामले कम होते थे और बीज व्यापारियों में बीज कानूनों के प्रति अपने अधिकारों का कम ज्ञान था अतः मात्र एक केन्द्रीय बीज परिक्षणशाला पर्याप्त थी परन्तु अब बीज पुनः परिक्षण के सैम्पलों की संख्या बढ़ी तो सरकार ने कम से कम चार केन्द्रीय बीज परिक्षणशालाएँ खोलने की आवश्यकता महसूस की। प्रस्तावित बीज अधिनियम में भी उत्तर दक्षिण एवं पूर्व पश्चिम में 4 केन्द्रीय बीज परिक्षणशालाओं की आवश्यकता महसूस की। अब भारत सरकार ने नेशनल सीड्स कारपोरेशन, पूसा की लैब को हरियाणा, देहली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखण्ड तथा नेशनल सीड्स कारपोरेशन भोपाल की लैब को मध्य प्रदेश को गुजरात, महाराष्ट्र, एम.पी. और छत्तीसगढ़ तथा नेशनल सीड्स कारपोरेशन सिकन्दराबाद तेलंगाना की लैब को आन्ध प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, तमिलनाडू, केरल, पांडुचेरी को केन्द्रीय बीज परिक्षणशाला वाराणसी के क्षेत्रयी सैन्टर घोषित किया है।

3. परिक्षण शुल्क :-

भारत सरकार की अधिसूचना S.O. 4579 दिनांक 28.09.2022 के द्वारा परिक्षणशुल्क रुपये 10 से बढ़ा कर रुपये 1000/- कर दिया गया है जो P. & A.O. के नाम से भारत सरकार के खाते में जमा करवाना आवश्यक है। बीज निरीक्षक को नई फीस वृद्धि का ज्ञान नहीं है और वे अभी भी 10/- रुपये फीस भरने की सलाह दे रहे हैं।

beej kanun

:: लोकोक्ति::
अद्भुत है बीज का अंकुरण
स्वयं को होम कर, करता नया सृजन।

– सौजन्य से –
श्री संजय रघुवंशी, प्रदेश संगठन मंत्री, कृषि आदान विक्रेता संघ मप्र

श्री कृष्णा दुबे, अध्यक्ष, जागरुक कृषि आदान विक्रेता संघ इंदौर

dubey ji

लेखक–  आर.बी. सिंह, एरिया मैनेजर (सेवा निवृत) नेशनल सीड्स कारपोरेशन लि० (भारत सरकार का संस्थान) सम्प्रति ई-70, कला निकेतन, विथिका संख्या-11, जवाहर नगर, हिसार-125001 (हरियाणा), दूरभाष सम्पर्क 94667-46625, Email: rbsinghiffdc@gmail.com

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