बीज कानून पाठशाला अंक: 17 “नियम 23-A की पालना नहीं” बीज के उपभोक्ता मामले

beej kanun pathshala

हलधर किसान इंदौर। उत्तम बीज खेती का आधार है। उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों की गुणवत्ता पर निर्भर है। बीज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए बीज अधिनियम 1966, बीज नियम-1968, बीज नियन्त्रण आदेश 1968 तथा भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानक 1965, 1971, 1988, 2013 तथा 2023 की रचना की है। इन कानूनों के माध्यम से बीज उत्पादकों तथा बीज विक्रेताओं को उच्च गुणवत्ता का बीज उत्पन्न / विक्रय करने हेतु मार्ग निर्देशन और अवहेलना करने वाले उत्पादक/विक्रेता को कठोर दण्ड देने का प्रावधान है परन्तु बीज कानूनों में अमानक बीज होने की अवस्था में बीज उत्पादक/विक्रेता को दण्ड दिया जा सके ऐसा प्रावधान कानूनों में नहीं है।

कृषक को क्षतिपूर्ति का बीज अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं था परन्तु नये बीज अधिनियम के प्रारूप में धारा-21 क्षतिपूर्ति के अधिकार का प्रावधान रखा गया है। प्रारम्भ में संसद में प्रस्तुत बीज अधिनियम के प्रारूपों 2002, 2004 में बीज अधिनियम के अन्तर्गत ही क्षतूिपर्ति ट्रिब्यूनल बनाने का प्रावधान था जिसमें उपभोक्ता न्यायालयों में विभिन्न विषयों की भीड़ से हटकर बीज अधिनियम के तहत क्षतिपूर्ति का निपटारा हो जाता परन्तु 2010, 2015 तथा 2019 के प्रारूपों में ट्रिब्यूनल का प्रावधान हटा दिया गया और क्षतिपूर्ति का निपटारा पुनः उपभोक्ता न्यायालयों को दे दिया।

1. नियम 23A-

यद्यपि बीज कानूनों में फसल की क्षतिपूर्ति का प्रावधान नहीं है परन्तु भारत सरकार ने बीज नियम 1968 में संशोधन कर नियम-23A का समावेश किया जिसके द्वारा किसान की फसल को बीज के कारण क्षति होने पर कृषक बीज निरीक्षक (Seed Inspector) को लिखित में प्रार्थना-पत्र देगा। बीज निरीक्षक पीड़ित किसान के खेत का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। जिसे कृषि विभाग से प्राप्त कर किसान उपभोक्ता न्यायालय में क्षतिपूर्ति के दावे के साथ प्रमाण के रूप में प्रस्तुत कर सकता है।

बीज नियम – नियम 23A:-

यद्यपि बीज कानूनों में फसल की क्षतिपूर्ति का प्रावधान नहीं है परन्तु भारत सरकार ने बीज नियम 1968 में संशोधन कर नियम-23A का समावेश किया जिसके द्वारा किसान की फसल को बीज के कारण क्षति होने पर कृषक बीज निरीक्षक (Seed Inspector) को लिखित में प्रार्थना-पत्र देगा। बीज निरीक्षक पीड़ित किसान के खेत का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। जिसे कृषि विभाग से प्राप्त कर किसान उपभोक्ता न्यायालय में क्षतिपूर्ति के दावे के साथ प्रमाण के रूप में प्रस्तुत कर सकता है।

बीज नियम 23A:-

23(1): “If a farmer has complained in writing that the failure of the crop is due to the defective quality of Seed of any notified kind and variety supplied to him, the Seed Inspector shall take in his possession the mark or Labels, the containers and a sample of unused seed to the extent possible from complainant for establishing the source of supply of Seeds and shall investigate the cause of failure of his crop by sending sample of the lot to the Seed Analyst for detailed analysis at state Seed Testing Laboratory. He shall thereupon submit the report of his finding as soon as possible to the Competent Authority”.

23(2): “In case the Seed Inspector concludes that the failure of the crop is due to the quality of the Seed supplied to the farmer being less than the minimum standards notified by the Central Govt., launch proceeding against the supplier for contravention of the provision of the Act or the Rules”.

2. बीज निरीक्षक :-

कृषक कृषि विभाग से इस प्रकार की निरीक्षण रिपोर्ट प्राप्त कर न्यायालय में क्षतिपूर्ति का वाद दायर करता है तो आरोपित विपक्ष यानि बीज व्यापारी को सर्व प्रथम जांच करनी चाहिए की कृषक की फसल का निरीक्षण करने गया अधिकारी बीज नियम-23A के अनुसार बीज निरीक्षक है या नहीं। यदि फसल निरीक्षण करने वाला व्यक्ति बीज निरीक्षक की परिभाषा में नहीं आता तो उसके द्वारा बनाई गई रिपोर्ट को चुनौती दें। फसल निरीक्षण करने वाला अधिकारी बीज निरीक्षक है या नहीं उसकी पड़ताल राज्य द्वारा जारी बीज निरीक्षक की अधिसूचना से करें। प्रत्येक राज्य बीज निरीक्षक की अधिसूचना जारी करता है। मेरी पुस्तक ‘लेबल बीज के सिद्धान्त में अधिकतर राज्यों की बीज निरीक्षक की अधिसूचनाएं दी हुई हैं। हरियाणा में नवीनतम अधिसूचना 25.02.2022 द्वारा जारी की गई है जिसमें जिला स्तर पर बीज निरीक्षक की श्रेणी में उपनिदेशक (कृषि) (DDA), उपमंडल कृषि अधिकारी (SDAO), गुण नियन्त्रण निरीक्षक (QCI), तथा विषय विशेषज्ञ (SMS) आते हैं। ADO, BAO, APPO, ATM बीज निरीक्षक नहीं हैं अतः यदि किसान के खेत की रिपोर्ट ADO, BAO, APPO, ATM ने बनाई है तो न्यायालय में रिपोर्ट को चुनौती देकर प्रभावहीन करायें।

बीज निरीक्षक की अधिसूचनाएं बीज अधिनियम की धारा-13 या बीज नियन्त्रण आदेश की धारा-12 के साथ बीज अधिनियम की धारा-13 के साथ जारी की जाती है। बीज अधिनियम की धारा-13 और बीज नियन्त्रण आदेश की धारा-12 के तहत अधिसूचित सीड इन्स्पैक्टर ही गैर अधिसूचित किस्मों का निरीक्षण कर सकते हैं। बीज अधिनियम की धारा-13 मात्र से अधिसूचित निरीक्षक केवल अधिसूचित किस्मों के निरीक्षण करने के अधिकृत होंगे अन्यथा उपभोक्ता न्यायालयों में उनके द्वारा गैर अधिसूचित किस्मों की बनाई रिपोर्ट को चुनौती दी जाए।

3. आवश्यक प्रमाण लेना :-

बीज निरीक्षक का नियम-23A के अन्तर्गत यह उत्तरदायित्व भी डाला गया है कि कृषक की फसल की क्षतिपूर्ति का आँकलन करने के लिये जाने पर विवादित बीज का टैग, लेबल, पाउच, बिल एकत्र कर बोये गये बीज का सोत्र सुनिश्चित करें। कृषि विभाग द्वारा बनाई गई रिपोर्ट में उपरोक्त दस्तावेजों का अभाव होता है अतः रिपोर्ट को चुनौती दी जा सकती है।

4. सैम्पल लेना :-

बीज नियम-1968 की धारा-23A में यह प्रावधान है कि यदि कृषक के पास विवादित बीज का कुछ अंश शेष है तो उसका सैम्पल लें और उसे समुचित परिक्षणशाला में टैस्ट करायें। पिछले उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-13 (1) (c) तथा नवीनतम उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 की धारा-38(2) (c) में भी प्रावधान है कि यदि किसी वस्तु में ऐसा दोष है जो नंगी आँखों में नहीं दिखाई देता तो उसका परिक्षण उपभोक्ता न्यायालय द्वारा अधिसूचित बीज परिक्षणशाला से कराया जा सकता है।

5. खुले थैले / पात्र से सैम्पल अविधिक:-

यदि किसान के पास विवादित लॉट का खुले बीज से सैम्पल लिया गया है तो अमान्य होगा। यदि किसान के पास विवादित लॉट के सील बन्द थैले न हो तो, बीज निरीक्षक को बीज विक्रेता के परिसर से सैम्पल लेना चाहिए यदि उसके पास नहीं है तो उत्पादक के यहां उस लॉट का गार्ड सैम्पल से लें। यदि प्रमाणित बीज का लॉट विवादित है तो प्रमाणीकरण संस्था के पास गार्ड सैम्पल से सैम्पल लिया जा सकता है। यदि कहीं से भी सैम्पल न मिले तो विवादित फसल के उत्पादन से भी सैम्पल लिया जा सकता है।

6. सैम्पल बीज निरीक्षक द्वारा सारणी-13 (1) के अनुसार लिया जाए :-

केवल अधिसूचित बीज निरीक्षक द्वारा ही विवादित बीज लॉट का सैम्पल लिया जाए, कई बार न्यायालय किसी न्यायिक प्रतिनिधि वकील या कोर्ट मास्टर को सैम्पल लेने और फसल निरीक्षण के लिए नियुक्त कर देता है परन्तु उस न्यायिक अधिकारी की कार्यवाही बीज निरीक्षक को सम्मलित किए बिना चुनौती पूर्ण है।

7. बीज किस्म में दोष :-

किसी भी बीज में दो तरह के दोष हो सकते हैं, अंकुरण/भौतिक शुद्धता तथा किस्म सत्य रूप (True to Type) यानि प्योर नहीं है। अंकुरण दोषपूर्ण है के लिये अधिसूचित राज्य बीज परिक्षणशाला में सैम्पल एक माह की अवधि में रिपोर्ट प्राप्त की जा सकती है। यदि बीज में मिश्रण है तो उसके लिए जी०ओ०टी० कराया जा सकता है। ध्यान रहे उसी G.O.T. फार्म का परिणाम विधिक (Legal) होगा जो फार्म राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित हो। ऐसा एक मात्र G.O.T. Farm आन्ध्र प्रदेश में हीअधिसूचित है अन्यथा किसी अन्य राज्य में अभी तक कोई फार्म G.O.T. के लिये अधिसूचित नहीं है। कई बार बीज लॉट का G.O.T. कृषि विश्वविद्यालयों से भी कराया जाता है परन्तु उनका फार्म भी राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित न होने के कारण न्यायालय में चुनौती पूर्ण है। इसी प्रकार विवादित बीज / किस्म परखने के लिए D.N.A. Finger Printing Test का सहारा लिया जाता है परन्तु ध्यान रहे पूरे राष्ट्र में एक Lab तेलंगाना में और पंजाब में 2. लुधियाना एवं फरीदकोट लैब ही केवल अधिसूचित लैब है। गैर अधिसूचित D.N.A. Finger Printing की रिपोर्ट न्यायालय में चुनौती पूर्ण है।

8. बीज उत्पादक कम्पनियाँ सैम्पल दे :-

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में किसी किस्म के बीज में दोष सिद्ध करने का भार शिकायतकर्ता यानि किसान पर है अतः बीज नियम-23A तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-38 (2) (c) के अनुसार सैम्पल किसान ने उपलब्ध कराना चाहिए परन्तु विभिन्न विवादों में यह पाया गया कि किसान बीज इस नियत से शेष नहीं रखता की बीज में शिकायत आयेगी बल्कि वह सही नियत से तमाम बीज बो देता है। सर्वोच्च न्यायालय ने NSC बनाम मधुसूधन 2012 एवं राष्ट्रीय तथा राज्य आयोगों में विभिन्न विवाद निर्णित करते समय बताया कि बीज के दोष रहित सिद्ध करने के लिए सैम्पल देने के लिए बीज उत्पादक कम्पनियों को आगे आना चाहिए।

9. केवल वैधता अवधि तक उत्तरदायी :-

बीज कानूनों के अनुसार किसी भी बीज का जीवनकाल 9 माह, 6 माह या 3 माह होता है। यदि उपभोक्ता न्यायालय में विवाद आने तक विवादित लॉट की वैधता अवधि समाप्त हो गई है तो बीज व्यापारी का सैम्पल देने का औचित्य नहीं है।

10. वैज्ञानिक विधि द्वारा निरीक्षण :-

कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किया गया निरीक्षण मात्र नेत्र अवलोकन है और निरीक्षण हेतु कोई वैज्ञानिक या अधिकृत विधि नहीं अपनाई गई है। राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्थाओं द्वारा अपनाई गई पद्धति या राज्य / केन्द्र सरकार द्वारा काउन्ट लेकर किये गये निरीक्षण प्रणाली ही मान्य है। खेत पर जाकर 20-25% दूसरी किस्म के पौधे लिख देने मात्र से निरीक्षण की रिपोर्ट मान्य नहीं होती और न्यायालय में चुनौती पूर्ण है।

11. विभिन्न निर्णीत मामले :-

बीज नियम-23A की पालना न होने से निर्णीत मामले ।

(a) जरनैल सिंह गुरदासपुर बनाम राजवंश सीड्स अमृतसर जिला आयोग अमृतसर D.O.D. 06.11.2024

(b) Maayco Seed V/s Hanumantha Rao, Telangana High Court,

D.O.D. 29.11.2022. Para No. 9.

“Contention of the learned counsel for the defendant is the report/letter dated 16.06.1997 issued by the Assistant Director Horticulture, Nalgonda is not a consonance with the Seed Rules 1968 particularly Rule 23-A and this it is not Scientific Report”.

(c) Nand Kishore Laxminarain V/s State of Maharashtra, D.O.D. 29.08.2016.

Para-6 “In view of the provision of Rule 23-A, Sub Rule-2 of Seed Rules 1968, Seed Inspector can initiation a proceeding in respect of complaint of the farmers failure of crop due to defective quality of seeds after investigation by himself.”

(d) (i) Kora Srinivash Rao V/s State of Maharashtra, CWP 245/2000, Bombay High Court, D.O.D. 05.12.2000.

(ii) Bhutda Krishi Seva Kendra Khamgaon, Distt. Buldana, CWP 253/2000.

(iii) WP 300/2000 Shramik Krishi Sewa Kender. Akola. Seed Rule 23-A (i) not complied.

Para 16 & 17 Besides this as rightly submitted by Learned Advocate for petioner Sub Rule (2) specifically speak about launching proceeding in relation to contravention of provision of the Act and Rules made there under, and not relating the offence which can be should to be punishable under Indian Penal Code.

(e) M/s Deepak Gilda V/s State of Karnataka, Karnatak High Court 05.07.2022, Rule 23-A not complied.

(f) Doctor Seeds Ludhiana V/s Brar Seed Store, Ludhiana, F.A. 592/2012, D.O.D. 22.09.2016, Para No. 10, 11 & 12. Since the remedy under Seed Rules is available to the complainant, the learned district forum has erred in law in granting the compensation to the complainant.

:: लोकोक्ति::
अद्भुत है बीज का अंकुरण
स्वयं को होम कर, करता नया सृजन।

– सौजन्य से –
श्री संजय रघुवंशी, प्रदेश संगठन मंत्री, कृषि आदान विक्रेता संघ मप्र

श्री कृष्णा दुबे, अध्यक्ष, जागरुक कृषि आदान विक्रेता संघ इंदौर

dubey ji

आर.बी. सिंह, बीज कानून रत्न, एरिया मैनेजर (सेवानिवृत) नेशनल सीड्स कारपोरेशन लि० (भारत सरकार का संस्थान) सम्प्रति -“कला निकेतन, ई-70, विधिका-11, जवाहर नगर, हिसार-125001 (हरियाणा), दूरभाष सम्पर्क-79883-04770, 94667-46625 (WhatsApp)

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