गेहूं, चना बुआई से पहले बीजोपचार जरुर करें, किसानों को मौसम आधारित कृषि परामर्श दिया

गेहूं, चना बुआई से पहले बीजोपचार जरुर करें, किसानों को मौसम आधारित कृषि परामर्श दिया

हलधर किसान (रबी सीजन)। आने वाले 05 दिवस में हल्के बादल रहने एवं बारिश नही होने की संभावना है। जो किसान भाई गर्मी में मृदा की जांच नहीं करा पाये है वे मृदा की जांच करवाये। उसी अनुरूप अनुशंसित उर्वरकों का प्रयोग करे। मौसम को ध्यान में रखते हुए गेहूं एवं चने की बुआई के लिए खेतों की तैयारी कर उन्नत बीज एवं खाद की व्यवस्था करें। गेहूँ एवं चना बीजों की बुवाई से पहले बीज उपचार अनिवार्य रूप से करे। जिसमें जैविक फफूंदनाशक के रूप में ट्राईकोडर्मा विरडी का उपयोग करे। इसके अतिरिक्त 2 ग्राम थायरम प्लस 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज या वीटावेक्स 2 ग्रामध्किलोग्राम से उपचारित करे। इसके उपरांत राइजोबियम एवं पीएसबी कल्चर 5 ग्राम/किलोग्राम बीज के मान से उपचारित करे।

गेहूं एवं चने की नवीन किस्मों जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक रहती है एवं उनका उत्पादन भी अधिक होता है जैसे चना की किस्में आरवीजी.202, आरवीजी.203, आरवीजी.204, आरजीवी.205, जेजी.24, जेजी.36 एवं गेहूँ की किस्मे एचआई.8759, एचआई.1605, जेडब्ल्यू.3382, जीडब्ल्यू.451, एचआई.1636, एचआई.1634, डीबीडब्ल्यू.187, डीबीडब्ल्यू.303, डीडीडब्ल्यू.47, जीडब्ल्यू.513 की बुआई करे। ये किस्में जिले में बीज निगम, बीज उत्पादक समितियों एवं निजी विक्रेताओं के पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जिन खेतों में चना में उखटा रोग की समस्या हो उन खेतो में चने की बुआई न करे। चने की बुआई ब्रॉड बेड फरो या रिज फरो विधि से करे। जिससे नमी संरक्षित रहकर उपज में वृद्धि होती है। अरहर फसल में मेकनी के बचाव के लिए फुल एवं फल्ली अवस्था में प्रोपेनोफॉस 50 प्रतिशत की 30 एमएल मात्रा एण्डोक्साकार्ब की 15 एमएल प्रति पम्प का छिडकाव करे। किसान भाई कृषि आदान  खरीदते समय पक्का बिल अनिवार्य रूप से लें।

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