खरगोन। वैशाख मास की तृतीया याने अबूझ महामुहूर्त शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस बार अक्षय तृतीया पर रवि योग, धन योग, शुक्रादित्य योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व काफी बढ़ गया है। करीब 23 साल बाद संभवतया ऐसा संयोग बन रहा है, जब अक्षय तृतीया के दिन विवाह का मुहूर्त नहीं है। हालांकि अक्षय तृतीया को महामुहूर्त माने जाने से शुभ संस्कार संपन्न होंगे।
ज्योतिष डॉ. सुदीप सोनी (जैन) अजमेर के अनुसार के मुताबिक अक्षय तृतीया पर गुरु एवं शुक्र तारा अस्त रहने के कारण यह स्थिति बनी है। विवाह जैसे संस्कार के लिए गुरु और शुक्र तारा का उदय होना आवश्यक है। अक्षय तृतीया 10 मई को सुबह 05.31 बजे लग रही है


और अगले दिन 4.35 बजे तक रहेगी। इसके पहले 2001 में अक्षय तृतीया पर गुरु और शुक्र अस्त हुए थे। इस बार 29 अप्रैल को रात 11.13 पर शुक्र अस्त हो चुके हैं और छह मई की रात 11.01 बजे गुरु अस्त हो जाएंगे।
हिंदू पंचांग के मुताबिक वर्ष के दूसरे महीने, वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया कहलाती है। इस तिथि पर किए गए दान.धर्म का अक्षय यानी कभी नाश न होने वाला फल व पुण्य मिलता है। इसलिए यह सनातन धर्म में दान.धर्म का अचूक काल माना गया है। इसे चिरंजीवी तिथि भी कहते हैं, क्योंकि यह तिथि 8 चिरंजीवियों में से एक भगवान परशुराम की जन्म तिथि भी है।

पुराणों में अक्षय तृतीया को बहुत पुण्यदायी बताया गया है और यह एक अबूझ मुहूर्त है। इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। इस अक्षय तृतीया पर सूर्य, चंद्रमा और शनि अपनी उच्च राशि में रहेंगे, शनि के स्वराशि में होने से विशेष शुभ संयोग बन रहा है।
9 जुलाई से शुरू होंगे विवाह
गुरु व शुक्र का तारा उदित होने के बाद 9 जुलाई से एक बार फिर विवाह समारोह की धूम शुरू होगी। जुलाई में क्रमश: 9,11, 12, 13 व 15 जुलाई विवाह की तारीख हैं। इनमें अपने चंद्र बल व गुरु बल की गणना से विवाह के लिए तारीख का चयन किया जा सकता है।