जानिए लीबिया फसल का क्या है उचित समय, कैसे ले सकते है बेहतर उत्पादन

man in gray hoodie and black pants holding brown cardboard box

हलधर किसान। खरीफ सीजन को दलहनी फसलों की खेती सबसे बेहतर मानते हैं, क्योंकि इस समय मिट्टी में पर्याप्त नहीं मौजूद होती है, जो फसल की बढ़वार में मदद करती है. दलहनी फसलों की खेती का सबसे बड़ा फायदा ये है कि फसल से उपज के साथ-साथ पशुओं के लिये चारे का इंतजाम भी हो जाता है.

ऐसी ही प्रमुख दलहनी फसल है लोबिया, जिसकी खेती करके उपज, पशु चारा और हरी खाद तीनों चीजें मिल जाती हैं. इसकी खेती खरीफ और जायद दोनों सीजन में की जाती है, लेकिन बेहतर उत्पादन लेने के लिये खरीफ सीजन यानी जून-जुलाई के बीच इसकी बुवाई का काम निपटा लेना चाहिये. 

लोबिया की खेती के लिये उन्नत बीज और रोग प्रतिरोधी किस्मों का चुनाव करना चाहिये, जिससे कीट नाशकों पर खर्च कम और पैदावार बढ़ने से ज्यादा आमदनी हो सके. 

खरीफ लोबिया की दानेदार उन्नत किस्मों में पूसा सम्पदा (वी- 585), पूसा फाल्गुनी, अम्बा (वी- 16), स्वर्णा (वी- 38), श्रेष्ठा (वी- 37), जी सी- 3 और सी- 152 आदि किस्में अधिक पैदावार देती हैं. 

लोबिया की पशु चारा फसल उगाने के लिये जी एफ सी- 1, जी एफ सी- 2 और जी एफ सी- 3 आदि किस्मों से पोषण युक्त हरा मिल जाता है.

खेत की तैयारी 

लोबिया की खेती करने के लिये सबसे पहले मिट्टी की जांच करवायें, जिससे आवश्यकतानुसार ही मिट्टी में खाद, बीज और उर्वरक डाले जा सकें.

खेत में 3-4 गहरी जुताईयां लगाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें.

आखिरी जुताई से पहले खेत में 20-25 टन गोबर की कंपोस्ट खाद, 20 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा. फास्फोरस और 50 किग्रा. का मिश्रण बनाकर खेत में डालें.

yellow and black tractor on green grass field during daytime

खेत में पाटा चलायें और जल निकासी की व्यवस्था करें, जिससे बारिश का पानी खेत में न भर पाये.

लोबिया की बुवाई मेड़ों पर भी कर सकते हैं, इससे फसल में नमी बनी रहेगा और पानी से फसल नहीं गलेगी.  

इस तरह करें बुवाई

खेत में लोबिया के बीजों की बुवाई से पहले बीजोपचार का काम कर लेना चाहिये, जिससे फसल में कीड़े और बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सके. 

एक एकड़ खेत में लोबिया की खेती के लिये 12-20 किग्रा. बीजों की जरूरत होती है.

लोबिया की पौध की बढ़वार के लिये बीजों को उचित दूरी पर लगायें, ताकि निराई-गुड़ाई में भी आसानी रहे.

इसकी झाड़ीदार फसलों की खेती के लिये लाइनों के बीच 45-60 सेमी. और बीज से बीज के बीच 10 सेमी. की दूरी रखकर ही बुवाई का काम करें.

लोबिया की बेलदार किस्मों की खेती के लिये लाइनों के बीच 80-90 सेमी. की दूरी होनी चाहिये.
देखभाल,

green plant on brown soil

ध्यान रखें कि बुवाई से पहले खेत में नमी का होना जरूरी है ताकि फसल का अंकुरण आसानी से हो जाये.
लोबिया की बुवाई के तुरंत बाद खेत में हल्की सिंचाई का काम कर देना चाहिये.

बुवाई के कुछ दिन बाद ही खेत में खरपतवार उगने लगते हैं, जिसके समाधान के लिये खेत में निराई-गुड़ाई का काम करते रहें.

लोबिया में फूल आने की अवस्था में सिंचाई न करें, बल्कि 20 किग्रा नाइट्रोजन प्रति हैक्टेयर की दर से फसल में डाल देना चाहिये.

कीड़े और बीमारियों से फसल की निगरानी करें और इसकी रोकथाम के लिये जैविक कीट नाशकों का प्रयोग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *