मिर्च में पर्ण कुंचन रोग प्रबंधन के लिए सुझाव

Green Pepper

हलधर किसान। मप्र खरगोन जिले में उद्यानिकी फसल मिर्च में पर्ण कुंचन रोग के प्रबंधन के लिए उद्यानिकी विभाग ने सुझाव जारी किए है।  उद्यानिकी उप संचालक केके गिरवाल ने मिर्च में पर्ण कुंचन रोक के प्रबंधन के लिए सुझाव देते हुए बताया कि किसान भाई ग्रीष्मकाल में खेत की गहरी जुताई अवश्य करवाएं।

मेंढ़े साफ.सुथरी रखी जाएं। खेत के आसपास पुराने विषाणु ग्रसित मिर्च, टमाटर, पपीते के पौधों को नष्ट किया जाए। खेतों में अधिक वर्षा की स्थिति में पानी निकास की उचित व्यवस्था की जाए। मिट्टी परीक्षण के अनुसार संतुलित मात्रा में खाद एवं उर्वरकों का उपयोग करें।

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पौधे कैसे तैयार करे

 उद्यानिकी विभाग की किसानों को सलाह दी गई है कि पौध शाला को कीट अवरोधक जाली (40.50 मेश कीट अवरोधक नेट) के अंदर तैयार करें। पौध को प्रो ट्रे में कोकोपीट के माध्यम में तैयार करें। यदि प्रो ट्रे की व्यवस्था नहीं हो तो बीजों की बुवाई के लिए 31 मीटर आकार की भूमि से 10 सेमी ऊंची उठी क्यारी तैयार करे।

मिर्च की पौध शाला की तैयारी के समय 50 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरडी को 3 किलो ग्राम पूर्णतया सड़ी गोबर हुई की खाद में मिलाकर प्रति 3 वर्ग मीटर की दर से में मिट्टी में मिलाएँ। मिर्च के बीज को बुवाई के पूर्व मेटालैक्सिल 31.8 प्रतिशत ईएसए 2 मिली प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित करें। इसके उपरान्त इमिडाक्लोप्रिड 70 प्रतिशत डब्ल्यएस् 4.6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करें।

पौध की खेत में रोपाई कैसे करे

 35 दिन आयु की पौध को खेत में रोपण करें। फसल को रस चसकू कीटों से बचाव के लिए रोपाई के पूर्व पौध को इमिडाक्लोप्रीड 17.8 प्रतिशत एसएल 0.3 मिली प्रति लीटर पानी के घोल में 20 मिनट तक पौध की जड़ों को डुबाने के बाद खेत में रोपाई करें। मिर्च के खेतों के आसपास ज्वारए मक्का की दो.तीन कतारे लगाना भी लाभदायक होता है। खेत में रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर पर्णकुंचित पौधों को उखाड़कर गढ्ढे में डालकर बंद करें।

 बचाव कैसे करें

 रोग के प्रसार को रोकने के लिए रोगग्रस्त पौधों को देखते ही खेत से उखाड़कर नष्ट करें। खेत में सफेद मक्खी की निगरानी के लिए पीले प्रपंच 10 प्रति एकड लगाना चाहिए। मिर्च में रोपाई के 30 से 35 दिन बाद नीम बीज गिरी सत 5 प्रतिशत या नीम तेल 3000 पीपीएम 3 मिली प्रति लीटर पानी पानी में घोलकर 10 दिन के अन्तराल पर दो बार छिड़काव करें।

मिर्च में लीफ कर्ल रोग वाहक कीट सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए पायरी प्रोक्सीफैल 10 प्रतिशत ईसी 200 मिली प्रति एकड 120 लीटर पानी या फेनप्रोपेचिन 30 प्रतिशत ईसी 100 से 136 मिली प्रति एकड 300 से 400 पानी या पायरी प्रॉक्सीफैन 5 प्रतिशत प्लस फेनप्रोपचिन 15 प्रतिशत ईसी 200 से 300 मिली प्रति एकड़ 200 से 300 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।

कीटनाशकों का 14 दिन के अंतराल पर अदल बदल कर छिडकाव करें। कीटनाशकों का छिड़काव फल बनने की अवस्था तक ही करें एवं एक ही कीटनाशक का बार बार उपयोग नहीं करें। किसान अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र के उद्यानिकी वैज्ञानिक से भी सम्पर्क किया जा सकता है।

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