40 साल से कर रहे औषधीय पौधों के संरक्षण का काम
हलधर किसान। कर्नाटक के किसान एमवी प्रकाश राव उन किसानों के लिए मिसाल हैं, जो प्राकृतिक चुनौतियों के सामने घुटने टेक देते हैं। प्रकाश पिछले 40 साल से औषधीय पौधों को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं। अपनी जमीन को छोटे से जंगल में बदल चुके प्रकाश राव को उनके योगदान के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है। लगभग 200 से अधिक पौधों को संरक्षित करने वाले 64 वर्षीय प्रकाश राव कर्नाटक के शिवमोग्गा में औषधीय पौधों की खेती भी करते हैं। आईसीएआर अवॉर्ड से सम्मानित किसान प्रकाश, बहुस्तरीय खेती के अलावा बहु फसल वानिकी मॉडल के प्रचार में भी जुटे हैं।
विलुप्त हो रहे पौधों का संरक्षण
किसान प्रकाश राव के मुताबिक वे अपनी कृषि भूमि को कई खंडों में बांट कर औषधीय पौधे और मसाले उगाते हैं। विशेषज्ञों ने पश्चिमी घाट के जंगल (मलनाड क्षेत्र के औषधीय पौधे- Malnad medicinal plants) में लगभग 3,000 औषधीय पौधों की पहचान की है। कई पौधे विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रकाश बताते हैं कि अपनी भूमि पर उन्होंने 30 औषधीय किस्म के पौधों की खेती की है और 200 किस्मों को संरक्षित किया है।
पौधों की मार्केट वैल्यू और डिमांड
प्रकाश ने जिन 30 लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण किया है उनमें कई पौधों की मार्केट वैल्यू और डिमांड काफी अच्छी है। वे प्राकृतिक खेती के सिद्धांत से इन पौधों को उगाते हैं। अनोखे अंदाज में औषधीय पौधों की खेती कर रहे किसान प्रकाश राव से कई लोगों ने प्रेरणा पाई है।प्लांट जीनोम सेवियर अवॉर्ड से सम्मानित किसान एमवी प्रकाश राव ने शिवमोग्गा में अपने खेत में अमृत बल्ली , शतावरी, शंख पुषपा, ओंडेलगा, हिप्पली, छव्य, गणपे , अग्निशिके , जाली की खेती करते हैं। इन पौधों सहित 30 से अधिक प्रकार की लताएं, जिनका औषधीय महत्व है, किसान प्रकाश राव की भूमि पर उपलब्ध हैं।अपने खेत में हल्दी की कई किस्में उगाई हैं। इसके अलावा औषधीय कंद और लताओं सहित मलनाड औषधीय पौधों का संरक्षण भी किया है।
2011 में मिला था अवार्ड
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की ओर से नेशनल जीनोम सेवियर अवॉर्ड 2021 के लिए चुने गए प्रकाश को 11 नवंबर को दिल्ली में प्लांट जीनोम सेवियर अवॉर्ड दिया गया था। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक प्रकाश राव ने कहा, उनका संरक्षण कार्य देखने-समझने के लिए कई कृषकों ने उनसे मुलाकात की। खेतों में औषधीय पौधों के संरक्षण से लोग प्रेरित भी हुए।