छोटे किसानों को समृद्ध बनाने के लिए डेयरी एक महत्वपूर्ण विकल्प है, मंत्री अमित शाह

Dairying is an important option for small farmers to prosper

सहकारिता मंत्री शाह ने नई दिल्ली में “डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी पर कार्यशाला” का उद्घाटन किया

हलधर किसान नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी पर कार्यशाला का उद्घाटन किया। मंत्री  शाह ने कहा कि आज जब हम श्वेत क्रांति.2 की तरफ बढ़ रहे हैं तब सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी का महत्व बहुत बढ़ जाता है।  श्वेत क्रांति.1 से अब तक जो हमने हासिल किया है उससे सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी को पूरा करना अभी बाकी है।  श्वेत क्रांति 2.0 का मुख्य लक्ष्य सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी है और श्वेत क्रांति.2 की शुरूआत से ही इनका ध्यान रखा जाना चाहिए।

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 भारत का डेयरी क्षेत्र देश के साथ.साथ ग्रामीण विकास और भूमिहीन और छोटे किसानों को समृद्ध बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि ये हमारे देश की पोषण की चिंता करता है, देश को दुनिया का नंबर एक दूध उत्पादक बनाने में योगदान देता है और कृषि के अलावा किसानों को अतिरिक्त आय भी प्रदान करता है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमारे सामने भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था, दुनिया में तीसरे नंबर का अर्थतंत्र और 2047 में पूर्ण विकसित देश बनाने के तीन लक्ष्य रखे हैं। इन तीनों लक्ष्यों को सिद्ध करने के लिए हमें हर क्षेत्र में संभावनाओं का शत.प्रतिशत दोहन करने की पद्धति विकसित करनी होगी। उन्होंने कहा कि डेयरी सेक्टर ने आज सर्कुलरिटी के संबंध में गुड प्रैक्टिसिस को 250 दूध उत्पादक संघों तक पहुंचाने की विजऩरी शुरूआत की है।  भारत की कृषि प्रणाली छोटे किसानों पर आधारित है और गांवों से शहर की ओर हो रहा पलायन छोटे किसानों की समृद्धि के साथ जुड़ा हुआ है। ग्रामीण पलायन की समस्या का समाधान करने के साथ छोटे किसानों को समृद्ध बनाने के लिए डेयरी एक महत्वपूर्ण विकल्प है। श्री शाह ने कहा कि डेयरी क्षेत्र की सभी संभावनाओं को शत.प्रतिशत एक्सप्लोर करने के लिए होलिस्चिक अप्रोच के साथ काम करने के लिए यह सेमिनार बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री  मोदी के नेतृत्व में विगत 10 साल में देश में खेती में खुशहाली की एक अच्छी शुरूआत हुई है। उन्होंने कहा कि गांव से ग्लोबल तक जाने का हौंसला भी बढ़ा है और पद्धतियां भी बनी हैं और कोऑपरेटिव के माध्यम से समूह से सफलता पाने का विश्वास भी बढ़ रहा है।  अब समय आ गया है कि फार्म से फैक्ट्री तक की पूरी चेन ग्रामीण क्षेत्र में ही हो।  मोदी सरकार सहकार से शक्ति, सहकार से सहयोग और सहकार से समृद्धि के तीन सूत्रों के साथ.साथ  प्रोफिट फार पिपल के मंत्र चरितार्थ कर रही है।

 सहकारिता का उद्देश्य लाभ कमाने के साथ.साथ पिपल फस्र्ट भी है। उन्होंने कहा कि प्रॉफिट फॉर पिपल के सूत्र को हम सहकारिता के माध्यम से ही चरितार्थ कर सकते हैं। आज यहां डेयरी क्षेत्र में सर्कुलरिटी पर मार्गदर्शिका का विमोचनए छोटी और बड़ी बायोगैस कम्प्रेस्ड परियाजनाओं की वित्तीय सहायताओं के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड  की योजनाओं और  परियोजना का शुभारंभ भी हुआ है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि जैविक खाद का शत.प्रतिशत दोहन करने के लिए जि़ला स्तर के दुग्ध संघों और ग्रामीण डेयरियों को उन किसानों को भी सहकारिता के नेट में लाना होगा जो अभी कोऑपरेटिव से नहीं जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि कई किसान प्राइवेट डेयरी को दूध देते हैंए लेकिन उनके गोबर का प्रबंधन सहकारिता क्षेत्र को करना चाहिए, जिससे हमारी मिनिमम वायबिलिटी की समस्या दूर होगी और प्राइवेट सेक्टर की ओर जा रहे किसान को सहकारिता क्षेत्र की ओर आकर्षित करने में सफलता मिलेगी। श्री शाह ने कहा कि गैस उत्पादन के क्षेत्र के सफल प्रयोगों को 2 साल के लक्ष्य साथ 250 जिला दुग्ध उत्पादक संघों में मॉडल के रूप में सफलतापूर्वक लागू करने का कार्यक्रम बनाना चाहिए।

  हमने सारे खाते कोऑपरेटिव बैंकों में खोलने के लिए भी शुरूआत की है और आज गुजरात में 93 प्रतिशत संस्थाओं के खाते सहकारी बैंकों में खुले हुए हैं। इससे सहकारिता के लिए अपने आप धन भी उपलब्ध हुआ है और बैंक भी मज़बूत हुए हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात में माइक्रो के मॉडल से प्रदेश के पशुपालकों को अभूतपूर्व लाभ मिल रहा हैए इस मॉडल को नाबार्ड देश के हर जिले तक पहुंचाए। श्री शाह ने कहा कि हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि फैट नापने से लेकर डेयरी के सभी प्रॉडक्ट्स के साथ जुड़ी सभी मशीनों का उत्पादन भारत में हो। उन्होंने कहा कि कार्बन क्रेडिट को हमारी पद्धति का हिस्सा बनाना चाहिए और इसका फायदा किसान को मिले इसके लिए कोऑपरेटिव मॉडल पर वैज्ञानिक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए।

 वर्तमान की 28 विपणन डेयरियों की संख्या बढ़ाकर 3 गुना कर सकते हैं।  कोऑपरेटिव डेयरी क्षेत्र में उपभोक्ता के पास से आने वाले पैसे में से 75 प्रतिशत से अधिक किसानों को वापस मिलता है। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट सेक्टर में किसानों को 32 प्रतिशत पैसा वापस मिलता है। उन्होंने कहा कि हमें देश के हर किसान के लिए इस अंतर को कम करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसके साथ हीए 16 करोड़ टन गोबर को हमारे कोऑपरेटिव के नेट में लाने का भी प्रयास करना चाहिए।  

कार्यशाला का आयोजन भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग  द्वारा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड  के सहयोग से किया गया है। कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल एवं जॉर्ज कुरियन, श्रीमती अलका उपाध्याय, सचिव, मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

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