हलधर किसान खरगोन। जिले के ग्राम देवली और कोठा बुजुर्ग में रबी सीजन के दौरान लगाया मक्का बीज बगैर परागण की अवस्था में ही फसल सूखने के कारण किसानों को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई की मांग तेज हो गई है। इस मामले में कृषि विभाग के जांच दल ने भी किसानों की शिकायत सही पाते हुए अपने जांच प्रतिवेदन में बीज को अमानक करार दिया है। खराब फसलों की करीब 2 माह से शिकायत करने के बाद भी अब तक कोई आर्थिक सहायता नही मिलने से नाराज किसानों ने बीज कंपनी का बेग सिर पर टोपी की तरह पहनकर प्रदर्शन किया। नारेबाजी भी की।
मंगलवार को मुआवजे सहित संबंधित कंपनी पर कार्रवाई की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे कृषक नरेंद्र कुमरावत, छन्नू कुमरावत, राजेश, दिलीप, सोहन चौहान, अरविंद कुमरावत आदि ने बताया कि उन्होंने 4 से 20 नवंबर 2024 के बीच नवभारत सीड्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का कृषि मित्र मक्का बीज किस्म खरीदा था। बुआई के बाद समय- समय पर निंदाई- गुडाई, दवाई, खाद आदि का छिडकांव भी किया, लेकिन 80 से 90 दिन की अवस्था में परागण की स्थिति में ही पौधे सूखने लगे। क्षेत्र की करीब 50 एकड़ रकबे की फसलों चौपट हुई है।
अच्छी उपज की आस में लगाई फसल के रखरखाव के बाद भी गुणवत्ताहीन बीज के चलते सारी मेहनत पर पानी फिर गया है। इसकी शिकायत कृषि विभाग को भी कि, जिस पर कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों के दल ने 15 फरवरी 2025 को खेतों में पहुंचकर निरीक्षण भी किया। इसके बाद कृषि वैज्ञानिक डॉ. जीएस कुलमी और कृषि अधिकारी टीएस मंडलोई द्वारा दिए प्रतिवेदन में बताया है कि खेत निरीक्षण के दौरान देवली और कोठा बुजुर्ग के किसानों के खेत में लगी मक्का फसल प्रति एकड़ 6 से 8 किलोग्राम लगाई गई। पौधे से दूरी भी 9 इंच व लाईन से लाईन की दूरी 2.5 से 3 फीट पाई गई।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि, सूखे पौधों को उखाड़कर देखने पर जड़े तो स्वस्थ पाई गई, तनों में भी कोई कीड़ा या बीमारी नही मिली। सूखे पोधों के भुट् टे लगे पाए गए, जिसमें दाने अविकसित थे। निरीक्षण में निष्कर्ष निकला कि निम्न गुणवत्ता के बीच के कारण 70 से 80 प्रतिशत उत्पादन कम हुआ है। किसानों ने जांच प्रतिवेदन का हवाला देते हुए उन्हें हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई करने के साथ ही अन्य किसानों के साथ इस तरह का धोखा न हो इसलिए कंपनी और बीज विक्रेताओं पर भी कार्रवाई की मांग की है।