हलधर किसान | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिली है। सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले 10 सालों में सालाना कृषि आय 5.23 प्रतिशत बढ़ी है। इस दौरान गैर-कृषि आय में हर साल 6.24 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025-26 में 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। मौजूदा वित्त वर्ष में इसमें 6.4 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। भारत की आर्थिक विकास दर वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत रही थी। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया कि कृषि और उससे जुड़ी अन्य गतिविधियां भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है, जिसने देश की आय और रोजगार में बड़ा योगदान दिया है। पिछले सालों में, कृषि क्षेत्र ने सालाना औसत 5 प्रतिशत का मजबूत इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र ने 3.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है। कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2015 में 24.38 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 30.23 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, 2024 में खरीफ अनाज का उत्पादन 1647.05 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) पहुंचने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले साल की तुलना में 89.37 एलएमटी का इजाफा है।
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, 2018-19 के केंद्रीय बजट में सरकार ने फसलों के उत्पादन का भारित औसत मूल्य कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर निर्धारित करने का फैसला किया था। इन पहलों के अंतर्गत सरकार ने पोषक अनाज, दलहन और तिलहन के एमएसपी में बढ़ोतरी की है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अरहर और बाजरा के एमएसपी को 59 प्रतिशत और उत्पादन के भारित औसत मूल्य का 77 प्रतिशत बढ़ाया है। इसके अलावा मसूर की एमएसपी को 89 प्रतिशत बढ़ाया गया है, जबकि रेपसीड में 98 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, सरकार सिंचाई सुविधा को बढ़ाने के लिए सिंचाई परियोजना के विकास और जल संरक्षण के कई नए तौर-तरीकों को प्राथमिकता दे रही है। वित्त वर्ष 2016 से वाटर कैपेसिटी को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के अंतर्गत ‘‘पर ड्रॉप मोर क्रोप’’ (पीडीएमसी) पहल को लागू कर रही है। पीडीएमसी के अंतर्गत सूक्ष्म सिंचाई यंत्रों को लगाने के लिए छोटे किसानों को कुल परियोजना लागत का 55 प्रतिशत तथा अन्य किसानों को 45 प्रतिशत आर्थिक सहायता दी जा रही है। वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2024 (दिसंबर 2024) तक, राज्यों को पीडीएमसी योजना कार्यान्वयन के लिए 21968.75 करोड़ रुपए दिए किए गए हैं और इसमें 95.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र शामिल किया गया है, जोकि पहले की-तुलना में 104.67 प्रतिशत अधिक है। सूक्ष्म सिंचाई निधि (एमआईएफ) के अंतर्गत राज्यों को नई परियोजनाओं के लिए लोन में 2 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।
इसके अलावा आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में कहा गया कि सरकार ने सिंचाई सुविधाओं को सुगम बनाने के लिए कृषि विकास और जल संरक्षण परिपाटियों को प्राथमिकता दी है। वित्त वर्ष 2015-16 और वित्त वर्ष 2020-21 के बीच सिंचाई क्षेत्र का कवरेज सकल फसली क्षेत्र (जीसीए) 49.3 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया है, जबकि सिंचाई की सघनता 144.2 प्रतिशत से बढ़कर 154.5 प्रतिशत हो गई है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2015-16 के वित्तीय वर्ष से, सरकार किसानों को सिंचाई को आसान बनाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत, प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) पहल को लागू कर रही है। पीडीएमसी योजना के लिए राज्यों को 21968.75 करोड़ रुपए जारी किए गए और 95.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया, जो प्री-पीडीएमसी अवधि की तुलना में लगभग 104.67 प्रतिशत अधिक है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के मुताबिक, सभी किसानों विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों तथा समाज के वंचित वर्गों को उपलब्ध कराई जा रही ऋण सहायता उनकी आमदनी तथा कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार मार्च 2024 तक देश में 7 करोड़ 75 लाख किसान क्रेडिट कार्ड खाते संचालित हो रहे हैं और इन पर 9.81 लाख करोड़ रुपये का ऋण अधिशेष है। 31 मार्च 2024 तक मत्स्य पालन कार्यों के लिए एक लाख 24 हजार किसान क्रेडिट कार्ड और पशुपालन गतिविधियों हेतु 44 लाख 40 हजार किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए थे।
वित्त वर्ष 2025 से संशोधित ब्याज सहायता योजना (एमआईएसएस) के अंतर्गत दावों और भुगतान करने में तेजी लाने के लिए आवश्यक प्रक्रिया किसान ऋण पोर्टल (केआरपी) के माध्यम से पूरी की जा रही है। जिसने योजना के क्रियान्वयन को गतिशील और अधिक प्रभावी बना दिया है। 31 दिसम्बर 2024 तक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के दावों का निपटान किया जा चुका था।
सरकार की योजनाएं जैसे किसानों को सीधे धनराशि अंतरित करने वाली पीएम-किसान तथा किसानों को पेंशन की सुविधा प्रदान करने वाली प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना सफलतापूर्वक किसानों की आमदनी बढ़ाने में अपना योगदान दे रही है और उनकी सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित कर रही हैं। पीएम-किसान योजना के अंतर्गत 11 करोड़ से अधिक किसानों ने लाभ उठाया है और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के अंतर्गत 23 लाख 61 हजार किसानों ने स्वयं का नामांकन कराया है। इन योजनाओं के अलावा कई अन्य प्रयास किए जा रहे हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार सरकार लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इस दिशा में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और लक्षित पीडीएस (टीपीडीएस), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) 2013 तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम ग्रामीण आबादी का करीब 75 प्रतिशत और शहरी आबादी का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा कवर करता है। लोगों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से मुफ्त में अनाज उपलब्ध कराया जाता है।