प्याज के गिरते दामो से किसान नाराज, दी चेतावनी

हालात नही सुधरे तो छोड़ देंगे खेती, 200 रुपये किलो बिकेगा प्याज..

हलधर किसान। लंबे समय से प्याज के दामो को लेकर परेशान महाराष्ट्र के किसानों को जून माह की शुरुआत में थोड़ी राहत मिली है. कुछ प्रमुख मंडियों में प्याज के दाम में कुछ सुधार हुआ है. लेकिन अब भी इतना भाव नहीं मिल रहा है कि लागत निकल पाए.। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में प्याज की कीमतों में लगातार गिरावट के चलते किसानों को रास्ता रोको अभियान का आंदोलन तक करना पड़ा था। किसानों का कहना है कि ग्रीष्मकालीन प्याज बाजार में आने से पहले भाव 30 से 32 रुपये प्रति किलो था. लेकिन पिछले दो तीन महीनों से प्याज की कीमतों में भारी गिरावट शुरू है. हालात ये रही कि मई माह में मंडियों में किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल याने 1 रुपये प्रति किलों का भाव मिला इसके चलते कुछ किसान अपने प्याज को मुफ्त में बांटा था।

महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है. यहां देश का करीब 40 फीसदी प्याज पैदा होता है. यहां नासिक के लासलगांव में एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है. जहां 1 जून को प्याज के दाम में कुछ सुधार दिखा. यहां न्यूनतम दाम 601 रुपये प्रति क्विंटल रहा. जबकि अधिकतम 1408 और औसत रेट 1051 रुपये प्रति क्विंटल रहा. इसी तरह निफाड में न्यूनतम दाम 450 रुपये रहा.

यहां अधिकतम रेट 1201 और औसत दाम 1071 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
किसानों का कहना है कि प्याज एक से लेकर पांच-छह रुपये किलो ही बिकता रहा तो किसान इसकी खेती छोड़कर दूसरी फसलों को अपना लेंगे और यह उपभोक्ताओं के लिए बहुत घातक साबित होगा. महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि अगर महाराष्ट्र में उत्पादन कम हुआ तो देश में प्याज इंपोर्ट करना पड़ेगा. इसके भाव में भारी वृद्धि होगी और यह 200 रुपये तक पहुंच सकता है. इसलिए सरकार को जल्द से जल्द प्याज उत्पादन लागत के हिसाब से इसके दाम को लेकर कोई अहम फैसला लेना चाहिए।

न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाई जाए प्याज
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि पांच साल पहले भी किसानों को प्याज का भाव 10 रुपये प्रति किलो से कम ही मिलता था और आज भी यही रेट मिल रहा है. जबकि फसल उत्पादन की लागत काफी बढ़ चुकी है. जब किसानों को दाम मिलना शुरू होता है तब सरकार उसे कम करने की कोशिश शुरू कर देती है, लेकिन अब जब सिर्फ 50 पैसे, 75 पैसे, 1 रुपये और 2-3 रुपये प्रति किलो का रेट मिल रहा है तो किसानों के नुकसान की भरपाई करने कोई नहीं आ रहा है
दिघोले का कहना है कि जब हर साल ऐसा ही रेट रहेगा तो किसान प्याज की खेती करना छोड़ देंगे. इससे उत्पादन कम हो जाएगा. फिर तिलहनी फसलों की तरह प्याज को भी इंपोर्ट करना पड़ेगा. तब इसकी कीमत क्या होगी, इसका अंदाजा लगा लीजिए. अनाज की फसलों के मुकाबले प्याज की खेती से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है. ऐसे में सरकार प्याज की खेती की लागत पर 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दे. वरना इस तरह प्याज उत्पादन करने वाले किसान बर्बाद हो जाएंगे.

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