भूमि सुधार के लिए नरवाई जलाना बंद करें किसान- कलेक्टर

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दो दिवसीय कृषि विज्ञान मेले का समापन

हलधर किसान, खरगोन। कृषि उपज मंडी में आयोजित दो दिवसीय कृषि विज्ञान मेले का शनिवार को समापन हुआ। समापन पर कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने कहा कि वैज्ञानिकों ने भूमि में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया है। इसके लिए किसान स्वयं दो काम करके अपनी जमीन का स्वास्थ्य सुधार सकता है। इसके लिए किसान को सबसे पहले खेती में से निकलने वाले नरवाई को जलाना बंद करना होगा। इसके अलावा अपने घरों में पशुओं की संख्या बढ़ानी होगी। खरगोन नर्मदा किनारे है और इसका लाभ शासन किसानों को नहरों और माइक्रो सिंचाई योजनाओं के सहारे दे रही है। किसानों को अच्छी उत्पादन क्षमता के लिए अपनी भूमि में पौषक तत्वों का ख्याल रखना होगा। इस दौरान पूर्व कृषि मंत्री बालकृष्ण पाटीदार, भगवानपुरा पूर्व विधायक जमना सिंह सोलंकी, जिला कृषि स्थायी समिति के अध्यक्ष पंकज बिरला, कृषि उपसंचालक एमएल चौहान, उद्यानिकी उपसंचालक केके गिरवाल, कृषि वैज्ञानिक आरके सिंह, कृषि उपज मंडी सचिव जगदीश ठाकुर व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
कृषि वैज्ञानिक जीएस कुल्मी ने कहा कि महाराष्ट्र में खरगोन से ज्यादा कपास का उत्पादन होता है। इसका अध्ययन नागपुर अनुसंधान केंद्र ने किया है। रिपोर्ट में बताया गया कि खरगोन में प्रति एकड़ 4444 पौधे या 7474 लगाए जाते है। जबकि महाराष्ट्र में प्रति एकड़ में अधिकतम 22222 पौधे लगाए जाते है। यहां कपास की सघन खेती की जाती है। किसान एक एकड़ में इस प्रणाली का प्रयोग करके देख सकता है। खरगोन का किसान कपास में ज्यादा लागत भी लगाता है। नागपुर अनुसंधान केंद्र ने पेस्ट कीट प्रबंधन के लिए मित्र कीट ट्रायकोगामा बेकट्री का अनुसंधान किया है। यह नुकसान पहुँचाने वाकई कीटों के अंडों पर अपना अंडा देता है और नुकसान देने वाले कीटों की लार्वी पसन्द कर खा जाता है। यह कीट उपलब्ध है किसान इस्तेमाल जरूर करें।

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