मधुमेह के मरीजों के लिए खुशखबरी, गाय के दूध में मिलेगा इंसुलिन
हलधर किसान: गाय का दूध वैसे ही अमृत तुल्य है, लेकिन अब यह एक और बीमारी, मधुमेह (डायबिटीज) को रोकने में भी कारगर साबित होने वाला है। इस मामले में वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिया है।
अमेरिका के इलिनोइस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने गाय के दूध में मानव इंसुलिन बनाने में सफलता हासिल की है। इस दूध में ग्लूकोज को अवशोषित कर ऊर्जा प्रदान करने वाले प्रोटीन हैं।
यह खोज डायबिटीज के मरीजों के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकती है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो शरीर को ग्लूकोज का उपयोग करने में मदद करता है। डायबिटीज में शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या इसका उपयोग नहीं कर पाता है।
वैज्ञानिकों ने गाय के जीन में बदलाव कर उसे मानव इंसुलिन का उत्पादन करने में सक्षम बनाया है। यह गाय ब्राजील में स्थित है और यह दुनिया की पहली गाय है जो अपने दूध में मानव इंसुलिन का उत्पादन करती है।
यह खोज अभी भी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन यह डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बड़ी उम्मीद है। यह दूध भविष्य में डायबिटीज के इलाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है।
यह खोज निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:
- यह डायबिटीज के मरीजों के लिए एक प्राकृतिक और सस्ता इंसुलिन विकल्प प्रदान कर सकती है।
- यह गाय के दूध को और अधिक पौष्टिक बना सकती है।
- यह गाय के दूध की मांग को बढ़ा सकती है, जिससे किसानों को लाभ होगा।
यह खोज डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है और यह भविष्य में उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है।
जीन में परिवर्तन कर वैज्ञानिकों ने ऐसी गाय को तैयार किया है, जिसके दूध में ही इंसुलिन भरा रहेगा। इसका सीधा मतलब यह हुआ है कि दुनिया से मधुमेह पर करारा प्रहार हो सकेगा।
मधुमेह में इंसुलिन की कमी हो जाती है, जिसके कारण खून से शुगर का अवशोषण नहीं हो पाता है। यह बढ़ी हुई शुगर किडनी, लिवर, आंख, हार्ट जैसे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचाती है।

वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई गाय डायबिटीज के खिलाफ जंग में महत्वपूर्ण सफलता हाथ लेगी। दुनिया भर में मधुमेह के 50 करोड़ मरीज हैं, इनमें अकेले भारत में 10 करोड़ मरीज शुगर के हैं। टाइप 1 मधुमेह के मरीजों को रोजाना इंसुलिन लेना पड़ता है।
पहला ट्रांसजेनिक गाय से निकाला गया दूध
अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस में जानवरों के वैज्ञानिक मैट व्हीलर रिसर्च कर रहे थे। उन्होंने गाय के जीन में इंजीनियरिंग करके यह कमाल किया है। ब्राजील में पहला ट्रांसजेनिक गाय इंसुलिन वाला दूध देने योग्य हो गई है।
मैट व्हीलर ने बताया कि मां का दूध वास्तव में प्रोटीन की फैक्ट्री होता है। हमने इसका फायदा उठाया और इसी प्रोटीन को इस तरह बना दिया जो दुनिया भर में हजारों लोगों के लिए रामबाण साबित हो सकता है।
मैट व्हीलर के नेतृत्व में किस तरह गाय के जीन में परिवर्तन किया गया, यह बायोटेक्नोलॉजी जर्नल में विस्तार से प्रकाशित हुआ है।
वर्तमान में कई ऐसे मरीज हैं जिन्हें रोजाना इंसुलिन की जरूरत पड़ती है। यह इंसुलिन जेनेटिकली मोडिफाइड बैक्टीरिया से बनाया जाता है जो महंगा भी होता है। लेकिन अगर यह दूध से डायरेक्ट मिल जाए तो इसका फायदा लाखों लोगों को होगा।
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मैट व्हीलर की टीम ने गाय के भ्रुण को निकालकर उसके जीन में इंसुलिन प्रोटीन वाला इंसानी डीएनए के सेगमेंट को सेट कर दिया। इस डीएनए में इंसानी डीएनए का कोड मौजूद रहता है।
इस अध्ययन में पाया गया कि दूध का प्रोइंसुलिन इंसान के शरीर में जाकर इंसुलिन बन जाता है।
यह एक क्रांतिकारी खोज है जो मधुमेह के मरीजों के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकती है।