सैंपल फेल होने पर निर्माता कंपनी पर हो कार्रवाई, दुकानदार बने गवाह: श्री दुबे

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कृषि विभाग की कार्रवाई में विसंगतियों पर जागरुक कृषि आदान विक्रेता संघ के जिलाध्यक्ष ने केंद्रिय कृषि मंत्री को लिखा पत्र

हलधर किसान ,इंदौर। कीटनाशक दुकान के लायसेंस रिनिवल प्रक्रिया के साथ ही कीटनाशक बिक्री के दौरान कृषि अधिकारियों द्वारा सैंपल फेल होने पर दुकानदार को दोषी मानकर लायसेंस निलंबित करने की कार्रवाई पर जागरुक कृषि आदान विक्रेता संघ ने सवाल खड़े किए है। संघ के जिलाध्यक्ष श्रीकृष्ण दुबे ने केंद्रिय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रिय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय सेके्रटरी संजीव चोपरा के नाम मांगपत्र लिखकर कीटनाशक एवं बीज के सैंपल फेल होने पर निर्माता कंपनी को पार्टी बनाने एवं रिन्यूअल फीस समाप्त होने की सूचना जारी करने की मांग की है।

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पत्र में श्री दुबे ने बताया कि हमारा संघठन ऑल इंडिया एग्रो इनपुट डीलर्स एसोसिएशन नई दिल्ली के तहत कृषि आदान विक्रेताओं के हित में काम कर रहा है। समूचे देश में खाद, बीज एवं कीटनाशक का व्यापार करते हुए देश के कृषि उत्पादन को बढ़ाने में अपना महत्वपुर्ण सहयोग दे रहे है। इस व्यापार में जहां किसानों को आसानी से कृषि आदान उपलब्ध कराते है तो वही सरकार को भी टैक्स के रुप में राजस्व चुका रहे है। इसके बावजूद कीटनाशक एवं बीज अधिनियम के कुछ प्रावधानों के कारण इस व्यापार से जुड़े कारोबारी कहीं न कहीं खुद को कृषि विभाग से प्रताडि़त महसूस कर रहे है। ऐसे में कुछ प्रावधान समय की मांग को देखते हुए समाप्त किए जाएं, जो निम्नानुसार है-

  • कीटनाशक कंपनियों द्वारा केंद्र सरकार एवं सेंट्रल इंसेटिनाइड बोर्ड से अनुमति के बाद ही किसी भी कीटनाशक का उत्पादन किया जाता है और कीटनाशक अधिनियम के अनुसार उसे पुरे देश में व्यापार करने की अनुमति मिलती है। कंपनी के मूल पैकिंग का नमूना जब किसी विक्रेता के यहां से लिया जाता है तो उसका सैंपल फेल होने पर सर्वप्रथम लासेसिंग अधिकारी द्वारा संबंधित कंपनी की बजाय विक्रेता का लायसेंस निलंबित या निरस्त करने नोटिस जारी करते हुए लाइसेंस निलंबित या निरस्त किया जाता है जबकि दोष उस निर्माता कंपनी का होता है। अत: कीटनाशक का सैंपल फेल होने पर निर्माता कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई करने एवं विक्रेता को गवाह के रुप में नामित करने के लिए प्रावधान किया जाना चाहिए।
  • केंद्र सरकार के 5 नवंबर 2015 के गजट के अनुसार देश में कीटनाशक लाइसेंस में से वैधता अवधि समाप्त हो गई है, यानी अब उसको रिनिवल करवाने की आवश्यकता समाप्त हो चुकी है, एक बार यदि कोई लाइसेंस बन जाता है तो वह आजीवन होता है, लेकिन देश के कई राज्यों में कई जिलों में उप संचालक कृषि द्वारा कीटनाशक व्यापारियों से प्रतिवर्ष रिनिवल की फीस के नाम पर 7500 रुपए वसूल किए जा रहे है जो कि अवैध है। कई जिलो में यह वसूली कीटनाशक लाइसेंस में प्रिंसिपल सर्टिफिकेट जोडऩे के नाम पर ली जा रही है, जबकि अधिनियम की धारा 10 (4) में ऐसा कोई प्रावधान नही है, जो अवैध वसूली है।
  • खाद, बीज एवं कीटनाशक का व्यापार करते समय लाइसेंस जारी करते समय वर्तमान नियमों का अनुसार विक्रेता को एक साल का देसी डिप्लोमा कोर्स या कृषि स्नातक के डिग्री अनिवार्य है लेकिन यदि किसी फर्म के प्रोपराइटर की असामयिक मृत्यू होने पर परिवार के किसी व्यक्ति को यह लाइसेंस बिना डिग्री या डिप्लोमा के ट्रांसफर किया जाए, जिससे परिवार की आर्थिक मदद होती रहे।
  • कई राज्य में कीटनाशक के लाइसेंस जारी होने के बाद अलग- अलग गोडाउन के लिए अलग से लाइसेंस की आवश्यकता बताई जाती है जो कि आवश्यक नही है इसके लिए पत्र लिखकर सूचित किया जाए।
  • नकली कीटनाशक को प्रतिबंधित करने के लिए अभियान चलाया जाए, संगठन साथ है।
  • बीज व्यापार में भी व्याप्त है विसंगतियां
  • हमारें संगठन के सदस्यों द्वारा पूरे देश में बीजों के खरीदी बिक्री का व्यापार भी किया जाता है, जिसमें आ रही समस्याएं भी अवगत करा रहे है।-
  • बीज उत्पादक कंपनी द्वारा उत्पादित एवं सील पैक बीज में अमानक होने की स्थिति में निजी बीज विक्रेता की प्रथम पार्टी या सहयोगी पार्टी बनाया जाता है जो कि पूर्णरुप से गलत है क्योंकि बीज विक्रेता बीज उत्पादक कंपनियों एवं किसानों के बीच एक महत्वपुर्ण कड़ी है जो कि कृषि विभाग की निगरानी में 1 प्रतिशत से लगाकर 5 प्रतिशत लेकर अपना कार्य करता है और यह बीज हमारे गोडाउन में सिर्फ एक या 2 सप्ताह तक ही रहता है। कंपनियों का यह कहना पूर्णरुप से गलत है कि स्टोरेज में कमी होने के कारण बीज अमानक होता है। इसका एक महत्वपुर्ण कारण यह भी है कि कृषि विभाग द्वारा हमारे लायसेंस देेते समय पर एवं समय- समय पर निरीक्षण करते हुए और वहां संपूर्ण सुविधा होने के बाद ही लाइसेंस को प्रदान किया जाता है ऐसी स्थिति में सैपल फेल होने पर बीज की गुणवत्ता की जवाबदारी निजी विक्रेता की ना होकर बीज उत्पादक कंपनियों एवं उसे सर्टिफाइड करने वाले अधिकारियों पर होनी चाहिए।
  • श्री दुबे ने संघ की अपील करते हुए मांग की है कि बीज अधिनियम 1966 में संशोधन करते समय इस बात का स्पष्ट रुप से प्रावधान किया जाए की बीज की गुणवत्ता के लिए संपूर्ण जवाबदेही बीज उत्पादक कंपनी एवं निर्माताओं की होनी चाहिए ना कि छोटे डीलर या विक्रेता की।
  • कंपनी की ओर से पैकिंग में बीज आने के बाद विक्रेता के यहां पर उसके मूल पेकिंग में बीज अगर विक्रेता की ओर से छेड़ा हो ऐसी जगह पर उस विक्रेता को आप जिम्मेदान मान सकते है।
  • दूसरी महत्वपुर्ण बात यह है कि देश में खाद एवं कीटनाशक के अधिनियम में कंप्युटर के स्टॉक रजिस्टर को मान्यता प्रदान कि गई है लेकिन बीज अधिनियम में इस प्रकार का प्रावधान नहीं किया गया है। इसलिए बीज अधिनियम में कंप्युटराइज स्टॉक रजिस्टर को मान्यता प्रदान के लिए संशोधन प्रस्तुत किया जाए।
  • राज्यों एवं जिलों में बीज लाइसेंस रिन्युअल के समय कंपनियों के प्रिंसिपल सर्टिफिकेट की डिमांड की जाती है जबकि बीज अधिनियम में इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए सभी राज्य सरकारों को एक निर्देश पत्र जारी किया जाए कि बीज लाइसेंस में प्रिंसिपल सर्टिफिकेट की अवैधानिक मांग न करें।
  • बीटी कॉटन में डीलर मार्जिन बहुत कम है, जिसमें कालाबाजारी की स्थिति निर्मित होती है। इसलिए बीटी कॉटन में डीलर मार्जिन बढ़ाया जाए। संगठन ने केंद्रिय मंत्री, राज्यमंत्री सहित अन्य सेके्रटरी से मांग की है कि कृषि व्यापार से जुड़े इन गंभीर मुद्दों, विषयों, समस्याओं पर संज्ञान लेकर इनके निराकरण के आदेश जारी करें।

कृषि विभाग के किन नियमो, कार्रवाई में बदलाव की उठी मांग, जागरूक कृषि आदान विक्रेता संघ जिलाध्यक्ष ने केंद्रीय कृषि मंत्री को क्यों लिखा मांगपत्र, जानने के लिये देखिये खेती- किसानी, कृषि से जुड़ी ताजा खबरों के सबसे तेज प्लेटफॉर्म हलधर किसान की यह रिपोर्ट।

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